अग्नि आलोक

मेधा पाटकर के अनशन के समर्थन में सड़क पर उतरे लोग

Share

पटना। नर्मदा घाटी में डूब प्रभावित लोगों के लंबित पुनर्वास को लेकर प्रसिद्द समाजसेवी और जन आन्दोलनों की राष्ट्रीय नेत्री मेधा पाटकर 15 जून से अनशन पर बैठी हैं। इस अनशन के समर्थन में जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) की बिहार इकाई ने बुद्ध स्मृति पार्क,  पटना के सामने एक सांकेतिक प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में  पटना के कई प्रबुद्ध नागरिक शामिल हुए।

ज्ञात हो कि नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध की वजह से लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। एक लम्बे संघर्ष के बाद लोगों का पुनर्वास किया गया। लेकिन आज भी ऐसे हजारों परिवार हैं जिन्हें सरकार द्वारा घोषित लाभ नहीं मिला है और हर साल  पानी के स्तर बढ़ने की वजह से वे डूब क्षेत्र में आ जाते हैं। नर्मादा घाटी विकास प्राधिकरण की कानूनी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे परिवारों को पुनर्वासित करें पर दुःख की बात है कि इतने सालों बाद भी गांव के गांव डूब क्षेत्र में बिना पुनर्वास के रहने को मजबूर हैं।

मेधा पाटकर के नेतृत्व में नर्मदा बचाओ आन्दोलन लोगों के उचित पुनर्वास के लिए कई दशकों से संघर्षरत है। उनकी मांग हैं कि डूब से प्रभावित लोगों के नुकसान का सही आकलन कर, नियमनुसार पंचनामा कर जल्द से जल्द पूरी सहायता, नुकसान की भरपाई दी जाय। इसके साथ बैक  वाटर लेवल का झूठा आकलन करने अपने ही नियम का पालन नहीं करने के लिए अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाय! बैक  वाटर लेवल का पुन: आकलन कर, अधिग्रहण से छूटे पर डूब में आई ज़मीन का मुआवजा व पुनर्वास का लाभ दिया जाय और डूब में आये घरों के लिए परिवारों को नियमुनासर पुनर्वासित किया जाए।

प्रदर्शन में शामिल एनएपीएम से जुड़ी सिस्टर डोरोथी ने कहा कि हम सभी आज मेधा पाटकर द्वारा जारी अनिश्चितकालीन अनशन के समर्थन में यहां एकजुट हुए हैं। उनका संघर्ष देश के लिए एक मिसाल है। सरकार को चाहिए कि तुरंत उनकी मांगों पर कारवाई करें। यह बहुत शर्म की बात है कि इतने सालों बाद भी सरकार लोगों का पूर्ण पुनर्वास नहीं कर पाई है और हर साल वह डूब से प्रभावित होते हैं।

एनएपीएम से जुड़े महेंद्र यादव ने कहा कि बिहार के लोग नर्मदा घाटी के लोगों का दर्द समझ सकते हैं। यहां भी लाखों लोग हर साल बाढ़ से प्रभावित होते हैं। मेधा पाटकर की मांग है कि जितने भी लंबित मामले हैं उनका तुरंत निष्पादन हो। बांध के  पानी को 122 मीटर तक सीमित किया जाय ताकि नर्मदा घाटी के गांव में बिना पुनर्वास के बसे लोग डूब क्षेत्र में नहीं आयें। इन सभी मांगों पर सरकार को तुरंत कारवाई करनी चाहिए।

उदयन राय ने कहा कि नर्मदा के लोगों के प्रति सरकार की उदासीनता बहुत दुखद है। मेधा पाटकर 65 साल की हो चुकीं हैं और वह आज सात दिनों से अनशन पर बैठीं हैं। क्या मध्य प्रदेश सरकार बिलकुल बेशर्म हो गयी है?

सभा को भाकपा-माले नेत्री एवं विधान परिषद सदस्य शशि यादव, बिहार महिला समाज की निवेदिता झा, आइसा की अध्यक्ष प्रीति पटेल, पत्रकार पुष्पराज, एडवोकेट मणिलाल, मजदूर नेता एसके शर्मा और भाकपा माले नेता जितेन्द्र ने संबोधित किया। संचालन महेंद्र यादव और अध्यक्षता सिस्टर डोरोथी द्वारा किया गया।

प्रदर्शन में काशिफ यूनुस अनिल अंजुमन, अशर्फी सादा, प्रमोद यादव, आरिफ, प्रतिमा पासवान, राजेश, दिलीप मंडल, प्रकाश, सुदर्शन, पिंकी, दिनानाथ, सरस्वती, भोला, बबली प्रमिला सहित दर्जनों प्रबुद्ध नागरिक शामिल हुए।

Exit mobile version