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इंदौर ईडी की पूछताछ में पिंटू छाबड़ा, मोहन चुघ का भी आया नाम

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नाचानी को सौदा कर इन्हीं ने बिकवाई थी मजदूर पंचायत सोसाइटी की जमीन

इंदौर में भूमाफियाओं के यहां हुए ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के छापों के बाद हुई पूछताछ में शहर और प्रदेश के सबसे बड़े मॉल संचालक (होटल रेडिसन भी इन्हीं की जमीम पर है) पिंटू छाबड़ा का भी नाम आ गया है। इसके साथ ही जाने-माने बिल्डर मोहन चुघ का भी नाम आया है। यह सभी नाम ईडी द्वारा गुरुवार से शनिवार तक अलग-अलग लोगों से हुई पूछताछ के दौरान सामने आया है। सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार पुष्पविहार में मजदूर पंचायत सोसाइटी की जमीन खरीदने के मामले में उलझे केशव नाचानी ने पूछताछ में दोनों के नाम स्वीकार किए हैं। 

इसलिए आया पिंटू और चुघ का नाम

पूछताछ में नाचानी से पुष्पविहार की जमीन के हुए सौदे और इसके लिए भुगतान की गई करोड़ों की राशि को लेकर लंबी पूछताछ हुई। इसमें बताया गया कि मूल सौदा तो होटल रेडिसन के सामने के प्लॉट का चुघ से हुआ था, जहां आज सी-21 बिजनेस पार्क पिंटू छाबड़ा द्वारा बनाया हुआ है। लेकिन बाद में पिंटू ने कहा कि इससे बड़ी जमीन पास में दिलवा देता हूं और उसने फिर दीपेश वोरा, जो मजदूर पंचायत सोसाइटी में अध्यक्ष था, उससे मिलवाकर यहां की जमीन पास के प्लाट से कम कीमत में यहां दिलवा दी और खुद चुघ से वह प्लॉट पिंटू ने ले लिया। जब मैं यहां मॉल बनाने के लिए नक्शे पास कराने के लिए मिला तब पता चला कि मेरे साथ धोखाधड़ी हो गई है और मुझे सोसाइटी की जमीन दिलवा दी, जिस पर तो आईडीए की स्कीम लगी हुई है। नाचानी ने ईडी को बताया कि धोखाधड़ी तो मेरे साथ हुई, मेरे करोड़ों रुपए डूब गए, केस भी हो गया और जेल भी हो गई। जबकि मूल लोग बच गए, क्योंकि वह कागज पर कहीं नहीं हैं। नाचानी से पूछताछ मद्दा पर दर्ज केस को लेकर हुई, जिसमें वह मजदूर पंचायत यानी पुष्पविहार की जमीन बेचने का मुख्य आरोपी और मास्टर माइंड बताया गया है। 

संघवी ने भी खुद को पीड़ित बताया

दो दिन तक चली पूछताछ के दौरान सुरेंद्र संघवी और प्रतीक संघवी ने भी खुद को भूमाफिया और आरोपी की जगह पीड़ित पक्षकार बताया। ईडी में उन्होंने कहा कि देवी अहिल्या सोसाइटी के अध्यक्ष रणवीर सिंह सूदन ने अयोध्यापुरी की चार एकड़ जमीन सिम्पेल्कस मेगा फाइनसेंस कंपनी को बेची थी। लेकिन जमीन नहीं मिली और करोड़ों का भुगतान भी हमसे ले लिया, इस तरह धोखाधड़ी तो हमारे साथ हुई है। मेरा तो कोई लेना-देना नहीं है, बेटे ने सोसाइटी की जमीन खरीद ली और उसके साथ धोखाधड़ी हुई है।

दीपेश वोहरा ने पूछताछ में बताया, मेरे साइन ही नहीं है

उधर, ईडी में पूछताछ के दौरान दीपेश वोहरा (जैन) ने बताया कि मैं तो बस जब मजदूर पंचायत में अध्यक्ष बना तभी कुछ साइन किए, बाद में मेरे किसी भी जमीन के सौदे से कोई लेना-देना नहीं रहा है और ना ही मेरे असल साइन कहां पर है। यह तो सभी फर्जी हस्ताक्षर के जरिए सौदे हुए हैं। 

शाहरा से त्रिशला संस्था की जमीन को लेकर हुई पूछताछ

उधर, बिल्डर मनीष शाहरा के छोटे भाई नितेश शाहरा से भी ईडी के दफ्तर में शनिवार को लंबी पूछताछ हुई। उनसे मुख्य तौर पर त्रिशला संस्था की जमीन के सौदे को लेकर पूछताछ की गई। यह सौदा भी दीपक मद्दा के संस्था में अध्यक्ष रहते हुए किया गया था। इसमें शाहरा ने करोड़ों का भुगतान किया, लेकिन जमीन नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने यह सौदा राशि को अपने एकाउंट में डूबत राशि के तौर पर दिखा दी। इसे लेकर ईडी ने मद्दा के पूरे खेल की जानकारी और कितना भुगतान मिला है, इसकी जानकारी ली है।

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