एस पी मित्तल,अजमेर
चार मार्च को राजस्थान में भाजपा की ओर से दो बड़े आयोजन हुए। एक आयोजन भाजपा की ओर से पेपर लीक के विरोध में जयपुर में हुआ तो दूसरा कार्यक्रम पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के जन्मदिन के मौके पर चूरू के सालासर बालाजी धाम में हुआ। जयपुर के विरोध प्रदर्शन में युवा मोर्चे के आह्वान पर प्रदेश भर के युवा जयपुर आए। पहले यह कार्यक्रम विधानसभा घेराव के तौर पर होना था, लेकिन एक दिन पहले ही विधानसभा को स्थगित कर दिया गया, इसलिए चार मार्च को मुख्यमंत्री के आवास का घेराव किया। इसमें बड़ी संख्या में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। दावा किया गया कि पचास हजार से भी ज्यादा कार्यकर्ता मौजूद रहे। प्रदर्शनकारियों को प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ आदि ने संबोधित किया। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के शासन में हर परीक्षा का पेपर लीक होने की वजह से युवा वर्ग में आक्रोश है। भाजपा नेताओं का कहना रहा कि अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार अब अंतिम सांसें गिन रही हैं। बजट में जो घोषणाएं की गई है उनकी क्रियान्वित संभव नहीं है। प्रदेश की जनता कांग्रेस के शासन को देख चुकी है और अब नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिलना तय है।
राजे का शक्ति प्रदर्शन:
चार मार्च को ही सालासर धाम में जन्मदिन के अवसर पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने भी राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन किया। सालासर में हुए धार्मिक अनुष्ठान में बड़ी संख्या में राजे समर्थक भाजपा कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। असल में विधानसभा चुनाव से पहले यह आखिरी अवसर है जब जन्मदिन के बहाने राजे की ओर से शक्ति प्रदर्शन किया गया। राजे के समर्थक चाहते हैं कि विधानसभा का चुनाव राजे के नेतृत्व में लड़ा जाए। यही वजह रही कि चार मार्च को जयपुर के प्रदर्शन के मुकाबले में सालासर के शक्ति प्रदर्शन को ज्यादा बड़ा बताया गया। राजे के प्रति समर्थन जुटाने के लिए भाजपा के अनेक विधायक तीन मार्च को ही सालासर पहुंच गए। राजे के समर्थन में सांसदों ने भी उपस्थिति दर्ज कराई। अनेक सांसद विधायक जयपुर वाले विरोध प्रदर्शन के बाद सालासर पहुंचे, लेकिन सांसद रामचरण बोहरा, राहुल कंसवा, निहालचंद मेघवाल, दुष्यंत सिंह के साथ साथ विधायक कालीचरण सराफ, अशोक लाहोटी, दीप्ति माहेश्वरी, अनिता भदेल आदि सुबह से ही सालासर में मौजूद रहे। इन सांसद और विधायकों ने राजे के साथ धाम परिसर में हनुमान चालीसा का पाठ किया और हवन में आहुति भी दी। इन जनप्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि वे राजे के जन्मदिन को पहली प्राथमिकता दे रहे हैं। संगठन ने राजे के जन्मदिन के कार्यक्रम को लेकर कोई खींचतान न हो, इसको लेकर प्रभारी अरुण ने पहले ही कह दिया था कि दोनों कार्यक्रम भाजपा के हैं। उन्होंने कहा कि वसुंधरा राजे पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है, इसलिए उनके जन्मदिन का कार्यक्रम संगठन से अलग नहीं हो सकता है।
सीएम गहलोत खुश:
चार मार्च को जिस प्रभावी तरीके से वसुंधरा राजे ने सालासर में अपना जन्मदिन मनाया, उससे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बेहद खुश बताए जाते हैं। असल में जब पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट कांग्रेस में ऐसे ही शक्ति प्रदर्शन करते हैं, जब भाजपा के नेता सीएम गहलोत को लेकर प्रतिकूल टिप्पणियां करते हैं, अब जब भाजपा में राजे की ओर से पायलट जैसा शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है, तब अशोक गहलोत का खुश होना लाजमी है। जानकारों की मानें तो चार मार्च को विधानसभा का अवकाश भी इसलिए घोषित किया गया कि ताकि भाजपा के विधायक अधिक से अधिक संख्या में सालासर पहुंच सके। विधानसभा का अवकाश होने के कारण भी भाजपा के विधायक बड़ी संख्या में सालासर पहुंचे। इसमें कोई दो राय नहीं की राजे के शक्ति प्रदर्शन से भाजपा की खींचतान उजागर हुई है।
देवनानी और भदेल:
चार मार्च को अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी पूरी तरह जयपुर में संगठन के कार्यक्रमों में नजर आए। देवनानी ने एयरपोर्ट पर प्रभारी महासचिव अरुण सिंह की अगुवानी भी की। युवा मोर्चे के प्रदर्शन के दौरान देवनानी संगठन के साथ ही सक्रिय रहे। वहीं अजमेर दक्षिण की भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल सुबह से ही सालासर धाम में उपस्थित रही। भदेल ने राजे के साथ बैठ कर धाम परिसर में हनुमान चालीसा का पाठ किया और हवन में भी भाग लिया। अजमेर देहात भाजपा के जिला अध्यक्ष देवी शंकर भूतड़ा के नेतृत्व में बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने जयपुर वाले प्रदर्शन में भाग लिया। वहीं एडीए के पूर्व अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा के नेतृत्व में भी बड़ी संख्या में कार्यकर्ता राजे का जन्मदिन मनाने के लिए सालासर धाम पहुंचे। पूर्व देहात जिला अध्यक्ष बीपी सारस्वत पिछले कई दिनों से जन्मदिन के कार्यक्रम को सफल बनाने में सक्रिय रहे। सारस्वत की ओर से अजमेर शहर में जगह जगह फ्लेक्स भी लगाए गए। अजमेर जिले से अधिक से अधिक कार्यकर्ताओं को सालासर ले जाने में सारस्वत की भी भूमिका रही। हेड़ा के साथ सालासर जाने वालों में सामाजिक कार्यकर्ता बसंत सेठी भी शामिल रहे।