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राष्ट्रपति चुनाव: ‘गांधी के पोते’ बनेंगे विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार?

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नई दिल्ली : देश में राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक दलों में मंथन शुरू हो गया है। विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति का उम्मीदवार कौन होगा? इस सवाल का जवाब तो भविष्य की गर्त में है लेकिन विपक्ष दलों के बीच मनमुटाव अभी से शुरू हो गया है। राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त उम्मीदवार पर चर्चा के लिए बैठक बुलाने के तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी के ‘एकतरफा’ फैसले से नाराज मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने मंगलवार को कहा कि वे अपने सांसदों को नई दिल्ली में 15 जून को होने वाली विपक्ष की बैठक में भेजेंगे। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और भाकपा महासचिव डी राजा ने कहा कि टीएमसी प्रमुख की ओर से बुलाई गई बैठक में शीर्ष नेतृत्व शामिल नहीं होगा।

बैठक में माकपा का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में पार्टी के नेता ई. करीम करेंगे। दोनों वाम दलों ने इस तरह की बैठक बुलाने के बनर्जी के ‘एकतरफा’ फैसले पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनर्जी ने 15 जून को राष्ट्रीय राजधानी के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में बैठक बुलाई है, जिसमें राष्ट्रपति चुनाव के लिए आम सहमति से विपक्षी उम्मीदवार को उतारने पर चर्चा की जाएगी। येचुरी ने बनर्जी को एक पत्र भी लिखा है, जिसमें उन्होंने बैठक बुलाने के तरीके पर अपनी आपत्ति दोहरायी है। येचुरी ने अपने पत्र में कहा है कि विपक्षी दलों की इस तरह की बैठकों में हमेशा पूर्व पारस्परिक परामर्श की प्रक्रिया का पालन किया जाता है ताकि इसमें शामिल होने के इच्छुक लोगों की अधिकतम भागीदारी हो सके।
बैठक बुलाने के तरीके पर जताई आपत्ति
येचुरी ने कहा, ‘हालांकि, इस मामले में, हमें तारीख, समय, स्थान और एजेंडा की जानकारी देने वाला एकतरफा पत्र प्राप्त हुआ। आपके पत्र में उल्लेख किया गया है कि विपक्षी आवाजों का एक उपयोगी संगम समय की जरूरत है। इसे बेहतर तरीके से हासिल किया जा सकता था यदि आपसी परामर्श होता और पार्टी नेताओं को ऐसी बैठक में भाग लेने के लिए अपनी पूर्व प्रतिबद्धताओं को पुनर्निर्धारित करने के लिए उचित समय मिलता। दुर्भाग्य से, आपके पत्र की प्राप्ति और बैठक की तारीख के बीच केवल तीन दिन हैं।’

कई विपक्षी नेता जता सकते हैं आपत्ति
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने भारतीय संविधान और भारतीय गणराज्य के धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक चरित्र की रक्षा के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों की व्यापक एकजुटता को मजबूत करने की आवश्यकता का लगातार समर्थन किया है। उन्होंने कहा, ‘इसके अनुरूप, चूंकि मुद्दा भारत के राष्ट्रपति के आगामी चुनाव पर चर्चा करने का है और इस तथ्य को देखते हुए कि राष्ट्रपति भारतीय संविधान का संरक्षक है, बैठक में माकपा का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में हमारी पार्टी के नेता श्री ई. करीम करेंगे।’ सूत्रों ने कहा कि जिस तरह से यह बैठक बुलाई गई है, उस पर आपत्ति जताने के लिए कई विपक्षी नेताओं की ओर से इसी तरह के और पत्र भेजे जाएंगे।

राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ेंगे शरद पवार
ममता बनर्जी और वामपंथी नेताओं ने मंगलवार को राकांपा प्रमुख शरद पवार से अलग-अलग मुलाकात की और उनसे राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों का संयुक्त उम्मीदवार बनने का अनुरोध किया। हालांकि, सीताराम येचुरी ने मंगलवार को कहा कि राकांपा प्रमुख शरद पवार ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों का उम्मीदवार बनने से इनकार कर दिया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता पवार ने येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी. राजा और राकांपा नेताओं प्रफुल्ल पटेल और पी. सी. चाको से दिल्ली में मुलाकात की और उन्हें चुनाव नहीं लड़ने संबंधी अपने फैसले के बारे में बताया।

ऐसा मुकाबला नहीं लड़ेंगे जिसमें हार तय हो!
येचुरी ने कहा, ‘मुझे बताया गया है कि पवार राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष का चेहरा नहीं होंगे, अन्य नामों पर विचार किया जा रहा है।’ विपक्षी सूत्रों ने कहा कि पवार एक ऐसा मुकाबला लड़ने के इच्छुक नहीं थे, जिसमें उनके राजनीतिक जीवन में इस समय हारना तय है। बनर्जी गैर-भाजपा दलों के नेताओं के साथ बैठक के लिए दिल्ली पहुंची हैं। उन्होंने आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त रणनीति बनाने के लिए यह बैठक बुलाई है। राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 18 जुलाई को होगा।
विपक्ष ने खटखटाया गोपालकृष्ण गांधी का दरवाजा
राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए संयुक्त उम्मीदवार पेश करने की विपक्ष की कवायद के बीच कुछ नेताओं ने संभावित विकल्प के तौर पर पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी से संपर्क किया है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। गांधी 2017 में उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार थे। हालांकि, वह चुनाव में एम वेंकैया नायडू से हार गए थे। सूत्रों ने बताया कि कुछ विपक्षी दलों के नेताओं ने गांधी से फोन पर बात की और उनसे राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने के अनुरोध पर विचार करने का आग्रह किया।

कौन हैं गोपालकृष्ण गांधी?
सूत्रों के मुताबिक, कुछ अन्य नामों पर भी विचार किया जा रहा है और विपक्षी नेताओं ने उनकी सहमति लेने के लिए उनसे भी संपर्क किया है। सूत्रों ने कहा कि वर्ष 2004 से 2009 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे गोपाल कृष्ण गांधी ने इन नेताओं से बुधवार तक का समय मांगा है। गांधी से संपर्क करने वाले नेताओं ने बताया कि इस अनुरोध पर उनकी शुरुआती प्रतिक्रिया ‘सकारात्मक’ रही है। पूर्व नौकरशाह गांधी (77) ने दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त के रूप में भी काम किया है। वह महात्मा गांधी के पोते हैं।

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