नब्बे के दशक के बाद देश की राजनीति में आए बदलावों ने संसद के उच्च सदन राज्यसभा के गणित को भी बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। हाल के राज्यसभा चुनाव के बाद भाजपा 100 सदस्यों के साथ अपने शिखर पर पहुंची है तो कांग्रेस 33 सांसदों के साथ अपने न्यूनतम स्तर पर है।आने वाले राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए थोड़ी लाभ की स्थिति बनेगी, लेकिन पार्टी जिस तरह राज्यों में अपनी सत्ता खो रही है, उससे कुछ साल बाद उसके सामने राज्यसभा में भी मुख्य विपक्षी दल का दर्जा खोने की नौबत आ सकती है।
भाजपा ने झटकों के बावजूद अपना ग्राफ ऊपर रखा
90 के दशक के आखिर में मंडल-कमंडल की राजनीति ने देश की दशा और दिशा बदली थी। भाजपा का ग्राफ बढ़ना शुरू हुआ था, दूसरी तरफ कांग्रेस के लिए समस्याएं बढ़ने लगी थीं। इसके बाद तीन दशक में भाजपा ने कुछ झटकों के बावजूद अपना ग्राफ ऊपर रखा है, वहीं कांग्रेस के लिए अब दिक्कतें ज्यादा बढ़ रही हैं। खासकर 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने के बाद कांग्रेस को राज्यों में अपनी सरकारों को बरकरार रख पाना मुश्किल हो रहा है। इस समय केवल दो राज्यों में ही कांग्रेस सत्ता में बची है।
राज्यसभा का अंकगणित
इससे संसद खासकर राज्यसभा के अंकगणित पर भी काफी अंतर आया है। 1990 में कांग्रेस के पास 108 राज्यसभा सांसद होते थे, जो अब घटकर 33 रह गए हैं। वहीं, भाजपा 55 से 100 पर पहुंच गई है। राज्यसभा में मुख्य विपक्षी दल का दर्जा हासिल करने के लिए 25 सांसदों की जरूरत होती है और कांग्रेस के हाथ से राज्यों की सरकारें निकलती रही तो लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी उसके सामने मुख्य विपक्षी दल का दर्जा होने का खतरा खड़ा हो जाएगा। गौरतलब है कि बीते दो लोकसभा में वह मुख्य विपक्षी दल के दर्जे से बाहर है। हालांकि, जुलाई में होने वाले राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में कांग्रेस की हालत कुछ ठीक होगी।
उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिलेगा लाभ
जुलाई में होने वाले राज्यसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा के विधायक घटने के बावजूद राज्यसभा में उसके ज्यादा सांसद बनेंगे। दरअसल, भाजपा को यह लाभ कांग्रेस और बसपा के बेहद कमजोर होने के कारण मिलने जा रहा है। यूपी में 11 सांसदों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, जिनमें भाजपा के पांच सांसद हैं।
मौजूदा विधानसभा में भाजपा की संख्या को देखते हुए उसके सात सांसद का चुना जाना तय है। जोड़-तोड़ से वह आठवां सांसद भी जिता सकती है। दूसरी तरफ राज्य में मुख्य विपक्षी दल सपा के खाते में तीन सीटें जाएंगी। सपा के तीन सांसदों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इसलिए वह किसी तरह के नफा-नुकसान में नहीं रहेगी।