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गहलोत सरकार की तुष्टीकरण की नीति के विरोध में जयपुर में सर्व समाज का धरना

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एस पी मित्तल, अजमेर 

4 अक्टूबर को राजस्थान के जयपुर में बड़ी चौपड़ पर सर्व समाज की ओर से बड़ा धरना प्रदर्शन किया गया। यह धरना गहलोत सरकार की तुष्टीकरण की नीति के विरोध में दिया गया। सांसद दीया कुमारी, रामचरण बोहरा, घनश्याम तिवाड़ी, पूर्व विधायक अरुण चतुर्वेदी आदि ने कहा कि गत 29 सितंबर की रात को दो मोटर साइकिल की टक्कर में जो विवाद हुआ उस में एक तीसरे पक्ष के युवक इकबाल की मौत हो गई। यह पूरा विवाद आपसी झगड़े का था, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तुष्टीकरण की नीति पर अमल करते हुए मृतक के परिवार को पचास लाख रुपए का मुआवजा, सरकारी नौकरी तथा डेयरी बूथ दे दिया। धरने में शामिल लोगों का कहना रहा कि मृतक के परिवार को इतना मुआवजा देने पर कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन ऐसी नीति सभी घटना क्रमों में समान रूप से अपनानी चाहिए। ऐसे झगड़ों में जब किसी हिन्दू व्यक्ति की मौत होती है तो उसे मात्र पांच लाख रुपए का मुआवजा बड़ी मुश्किल से दिया जाता है। 29 सितंबर की घटना के विरोध में 30 सितंबर को जयपुर के रामगंज और हवा महल क्षेत्र में बड़ी संख्या में समुदाय विशेष के लोग सड़कों पर आ गए और देखते ही देखते कुछ युवकों ने बाजारों में दहशत का माहौल कर दिया। दुकानों पर बैठे लोगों के साथ मारपीट और तोडफ़ोड़ भी की गई। ऐसे युवकों के वीडियो जयपुर पुलिस के पास हैं, लेकिन अभी तक भी कोई कार्यवाही नहीं की गई है, जिसकी वजह से जयपुर में दहशत का माहौल बना हुआ है। चार अक्टूबर के धरने में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हुए और यह दिखाने का प्रयास किया कि 30 सितंबर की घटना के विरोध में सर्व समाज एकजुट है। धरने में शामिल लोगों की मांग रही कि जिन युवकों ने 30 सितंबर को दहशत फैलाई उनके विरोध सख्त कार्यवाही की जाए। सरकार से यह भी मांग की गई कि मुआवजा देने में समान नीति अपनाई जाए।

पुलिस का व्यापक प्रबंध:

30 सितंबर के माहौल और 4 अक्टूबर के धरने को ध्यान में रखते हुए जयपुर पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए। धरना स्थल पर ड्रोन कैमरों से निगरानी की ताकि कोई उपद्रवी माहौल न बिगड़ सके। जयपुर पुलिस के आयुक्त बीजू जॉर्ज, एडिशनल कमिश्नर कुंवर राष्ट्रदीप, विश्नोई सहित तमाम अधिकारी मौजूद रहे। पुलिस का यह प्रयास रहा कि धरने के दौरान कोई गड़बड़ी न हो। हालांकि सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक चारदीवारी के सभी बाजार बंद रहे। लेकिन फिर भी बाजारों की छतों पर सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया। 30 सितंबर को भी पुलिस ने विपरीत परिस्थितियों में हालातों को संभाला था। 

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