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अजमेर के आनासागर को कब्जा मुक्त करवाने में जनभागीदारी भी जरूरी

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एस पी मित्तल,अजमे

अजमेर में ऐसे अनेक नेता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो आनासागर झील के भराव क्षेत्र में कब्जे होने से चिंतित रहते हैं।ऐसे नेता और कार्यकर्ता अखबारों में विज्ञप्तियां भी देते रहते हैं। लेकिन अब अखबारों में फोटो और नाम छपवाने से काम नहीं चलेगा। यदि हकीकत में आनासागर को बचाना है तो ठोस और प्रभावी कार्यवाही करनी होगी। हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त जांच कमेटी के प्रमुख वरिष्ठ आईएएस डॉ. समित शर्मा ने यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष आनासागर को बचाने में जुटे धर्मेश जैन से आग्रह किया है कि कब्जाधारियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाए। अब यह धर्मेश जैन की जिम्मेदारी है कि वे कब्जाधारियों के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाएं। यह सही है कि यह कार्य अकेले धर्मेश जैन भी नहीं कर सकते है। इसमें जन भागीदारी जरूरी है। आनासागर से मोहब्बत करने वाले लोग एक मंच पर आए और डॉ. समित शर्मा को सहयोग करें। हाईकोर्ट ने सोच विचार कर डॉ. शर्मा को कमेटी का प्रमुख बनाया है। अजमेर के लोग भी यह अच्छी तरह समझ लें कि आनासागर को कब्जा मुक्त करवाने का यह सुनहरा अवसर है। जो जानकारियां उपलब्ध करवाई जाएगी, उन पर डॉ. शर्मा पूर्ण ईमानदारी से कार्यवाही करवाएंगे, अजमेर के लोगों को डॉॅ. समित शर्मा जैसा अधिकारी भविष्य में नहीं मिलेगा। डॉ. समित शर्मा के रहते यदि अजमेर वासियों ने सहयोग नहीं किया तो भविष्य में आनासागर को कब्जा मुक्त नहीं करवाया जा सकता। कब्जा धारियों के खिलाफ डॉ. शर्मा ने अभी तक जो तेवर दिखाएं हैं, उस से प्रतीत होता है कि यदि सही और सटीक जानकारी होगी तो आनासागर कब्जामुक्त हो जाएगा। कल्पना कीजिए कि जब आनासागर के किनारे एक किलोमीटर तक कब्जे हटा दिए जाएंगे तक आनासागर कितना बड़ा और सुंदर लगेगा। यदि स्मार्ट सिटी योजना में बना पाथवे और सेवन वंडर जैसे निर्माण भी कब्जे की श्रेणी में आते हैं तो हटाए जाने चाहिए। अजमेर अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की नगरी है। चौहान ने बिना चूक किए मोहम्मद गौरी को अपने तीन से ढेर कर दिया था। अजमेर के लोगों को आनासागर को बचाने के लिए कब्जाधारी बनाम भू माफियाओं पर तीर चलाना होगा। मोबाइल नंबर 9414227510 पर धर्मेश जैन से संपर्क किया जा सकता है।

सैटेलाइट इमेज:

राज्य सरकार ने आनासागर में कब्जों को रोकने के लिए तीन जनवरी 2014 को आनासागर के भराव क्षेत्र को नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया था। लेकिन इसके बाद भी भराव क्षेत्र में पक्के निर्माण हुए। जब जनवरी 2014 की सैटेलाइट इमेज से पता चल जाएगा कि नो कंस्ट्रक्शन जोन में अक्टूबर 2022 तक कितने निर्माण हुए है। सैटेलाइट इमेज से कब्जाधारियों के चेहरे उजागर हो सकते हैं। डॉ. समित शर्मा आईटी तकनीक के भी अच्छे जानकार हैं। शर्मा को भी इस तकनीक के माध्यम से कब्जों की पहचान करनी चाहिए। संभवत: शर्मा इस तकनीक पर काम भी कर रहे होंगे। जहां तक अजमेर विकास प्राधिकरण और नगर निगम का सवाल है तो इन दोनों ही विभाग डॉ. समित शर्मा को सहयोग नहीं करेंगे। क्योंकि इन विभागों के भ्रष्ट अधिकारियों ने आनासागर के भराव क्षेत्र में नक्शे स्वीकृत किए हैं। अपनी काली करतूतों पर पर्दा डालने के लिए ऐसे अधिकारियों ने स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत आनासागर में पाथवे का निर्माण करवा दिया। ऐसे अधिकारी नौकरी से बर्खास्त होने चाहिए, जिन्होंने कब्जे हटाए बिना ही आनासागर के पाथवे बनवा दिया। डॉ. शर्मा की अध्यक्षता वाली कमेटी को भी चाहिए कि कोर्ट के स्टे आदेशों का कानूनी अध्ययन  करवा कर हाईकोर्ट से ऐसे आदेशों को खारिज करवाए। अब हाईकोर्ट के सामने भी स्टे लेने वाले कब्जाधारियों का चेहरा उजागर हो गया है। 

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