झारखंड जन संघर्ष मोर्चा व विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के साथी भगवान दास किस्कू को नक्सली बताकर अवैध गिरफ्तारी पर हेमंत सरकार चुप्पी तोड़ो!
झारखंड! गिरीडीह जिला के खुखरा थाना क्षेत्र के चतरो गांव के 26 वर्षीय युवा भगवान दास किस्कू को एएसपी गुलशन तिर्की के नेतृत्व में बनी टीम ने गिरफ्तार कर नक्सली वारदात को अंजाम देने के मामले में जेल भेज दिया।
Jharkhand Jan Sangharsh Morcha के संयोजक साथी Bachcha Singh कहते हैं कि भगवान दास किस्कू झारखंड जन संघर्ष मोर्चा और विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन से जुड़े हुए साथी हैं, जो लगातार झारखंड में आदिवासी-मूलवासी पर पुलिसीया दमन का मुखर होकर विरोध करते रहे हैं।
यही बात झारखंड सरकार व पुलिस प्रशासन को लगातार चुभता रहा है। झारखंड में पुलिसीया गुंडागर्दी इस तरह अपनी चरम सीमा पर है कि झारखंड में कहीं भी किसी जगह से किसी युवा को उठाके गिरफ्तार कर लिया जाता है जो मुखर होकर पुलिसीया दमन के खिलाफ बिना डर हमेशा बोलते रहते हैं।
यहां कि अखबार भी पुलिसीया भाषा ही बोलता है, वो इतना भी जोखिम नहीं उठाना स्वीकार करते हैं कि एक बार पुलिस के द्वारा उठाये गए युवाओं के परिवार वाले और गांव के लोगों से भी इन गिरफ्तारी के बारे में पुछताछ करें और उनके पक्ष को भी अखबारों में लिखे।
कहें तो एक पूरी साजिश रची जाती है और उन साजिश में मेन स्ट्रीम मीडिया घरानों से लेकर पुलिस प्रशासन व सरकार संलिप्त होते हैं और एक इस तरह का भयावह कहानी रचते हुए समाज के सामने प्रस्तुत किया जाता है कि पुलिस को एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुआ हो और इस बहाने समाज में एक खौफ पैदा करना चाहता है कि कोई भी सरकार व पुलिसीया दमन के खिलाफ आवाज उठायेगा उसका हस्र यही होगा।
क्योंकि झारखंड सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई ये है कि जिस तरह से जल, जंगल,जमीन की लूट लगातार जारी है और उसके विरोध में यहां के आदिवासी लगातार संघर्षरत हैं, क्योंकि आज भी विस्थापित होने का दर्द ये झेल रहे हैं। जिन विकास के नाम पर इन आदिवासी को जल, जंगल, जमीन से बेदखल किया जा रहा है, उनके सामने एक बड़ी संकट सामने खड़ा हो रहा है जो उनके जीवन से जुड़ा उनके अस्तित्व का सवाल है। जब अस्तित्व बचाने का सवाल उनके सामने होगा तो वो लड़ेंगे ना कि चुप्पी साधे रहेंगे।
झारखंड में लंबे समय से स्वतंत्र पत्रकारिता कर रहे रूपेश कुमार सिंह पर भी नक्सली होने का ठप्पा लगाते हुए जेल में बंद कर दिया गया था लेकिन आज तक प्रशासन कोई साक्ष्य न्यायालय में जमा नहीं कर पाया है। वो जेल से निकलने के बाद लगातार सक्रिय होकर आदिवासी पर हो रहे दमन के खिलाफ अपनी लेखनी जारी रखे हुए जो काम यहां के मेन स्ट्रीम मीडिया घरानों के पत्रकार उठाने से डरते हैं, वो उन सवालों को बेहिचक उठाते हैं ये जानते हुए कि कभी भी प्रशासन उठाकर एक झूठी कहानी बनाकर फिर से माओवादी बताकर जेल में बंद कर देंगे।
इस गिरफ्तारी पर स्वतंत्र पत्रकार Rupesh Kumar Singh अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखते हैं कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार के साथ जो युवा दिख रहे हैं, उनका नाम भगवान दास किस्कू है। कल इन्हें पुलिस ने दुर्दांत माओवादी बताकर गिरफ्तार कर लिया है।
यह तस्वीर 5 दिसंबर, 2020 की है, जब ये अपने क्षेत्र में ग्रामीण आदिवासियों के साथ हो रहे पुलिसिया दमन के सवाल पर मुख्यमंत्री से मिलने गये थे। Bhagwandas Kisku का घर गिरिडीह जिला के पारसनाथ पर्वत की तलहटी में खुखरा थानान्तर्गत चतरो गांव में है। ये वर्तमान में झारखंड जन संघर्ष मोर्चा, विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन व अपने गांव के ‘शहीद सुंदर मरांडी स्मारक समिति’ से भी जुड़े हुए हैं।
इनसे मेरी मुलाक़ात 3-4 फरवरी, 2022 को बोकारो स्टील सिटी में आयोजित झारखंड जन संघर्ष मोर्चा के वर्कशॉप में हुई थी। तब इन्होंने बताया था कि लगातार पुलिसिया दमन के ख़िलाफ़ आवाज उठाने के कारण पुलिस ने उनपर कई मुकदमा दर्ज कर दिया है, जिसके ख़िलाफ़ उनके निवेदन पर एचआरडीए ने एनएचआरसी को भी लिखा है।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिन-रात आदिवासी-मूलवासी जनता के हितैषी होने का दावा करते नहीं थकते हैं, लेकिन उनके दावे के ठीक विपरीत उनकी पुलिस आदिवासी अधिकार कार्यकर्ताओं को ही झूठे मुक़दमे दर्ज कर जेल भेज रही है। मेरा सवाल सिर्फ़ इतना है कि अगर भगवान दास किस्कू माओवादी है, तो वे सीएम कार्यालय में क्या कर रहे थे? और अगर माओवादी नहीं है, तो आखिर उन पर झूठा मुकदमा दर्ज कर क्यों गिरफ्तार किया गया?
मैं देश के तमाम प्रगतिशील व्यक्तियों से अपील करता हूँ कि आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता भगवान दास किस्कू की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ आवाज उठाएं व झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनकी अविलंब रिहाई की मांग करें।
आगे झारखंड जन संघर्ष मोर्चा के संयोजक व महिलाओं के प्रश्नों पर हमेशा मुखर होकर लिखती बोलती रही हैं जिसके कारण उन्हें व्यक्तिगत रूप से ढ़ेर से परेशानियां भी उठानी पड़ी हैं, उसके वाबजूद भी वो हमेशा मुखर होकर लिखती वो बोलती रही हैं Rajni Murmu अपने फेसबुक पोस्ट में गिरफ्तारी के सवाल को लेकर हेमंत सरकार से अपील करते हुए लिखती हैं कि पिछले साल मार्च महिने में मुझे नक्सलियों के नाम पर गरीब आदिवासियों के साथ हो रहे पुलिसिया दमन पर फेक्ट फाइंडिंग टीम के साथ काम करने का मौका मिला था. जहाँ मेरी की मुलाकात भगवान दास किस्कु से हुई थी. इसके अलावा भी झारखंड जनसंघर्ष मोर्चा की बोकारो मिटिंग में भी उनसे मुलाकात हुई थी. भगवान दास किस्कु मजदूर संगठन से भी जूड़े हुए हैं.और लगातार आदिवासियों के साथ हो रहे शोषण के खिलाफ आवाज उठाते हैं. विभिन्न मुद्दे को लेकर भगवान दास की मुलाकात मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी हुई है. इसके बावजूद भी हेमंत सरकार भगवान दास को नक्सली किस आधार पर घोषित कर रही है ये समझ से परे है।
झारखंड के आदिवासियों ने जिस हर्ष के साथ एक आदिवासी मुख्यमंत्री को सर आंखों पर बिठाया था कि ये सरकार आ जायेगी तो सभी आदिवासियों के साथ शोषण और अत्याचार बंद हो जायेगा. पर दुर्भाग्य से हो रहा है उल्टा।
हेमंत सरकार से आग्रह है कि वो जल्द से जल्द भगवान दास को रिहा करे।
गिरिडीह के सभी साथियों से आग्रह है कि वो जल्द से जल्द गिरिडीह एसपी से इस संबंध में मिले
फिर वो अपने दूसरे पोस्ट में लिखती हैं कि मेरी फेसबुक फ्रेंड लिस्ट में हेमंत सोरेन सरकार से जूड़े कई लोग हैं.आप सब से आग्रह है कि आदिवासी सरकार के रहते गरीब आदिवासी समाजिक कार्यकर्ता भगवान दास किस्कू की नक्सली बोल कर गिरफ्तारी के सम्बन्ध में हेमंत सोरेन सरकार को तुरंत सूचित करें. ये बहुत गलत हो रहा है. गिरिडीह जिले और उसके आसपास के इलाके में लगातार नक्सली के नाम पर गरीब संतालों को पुलिस पकड़ कर जेलों में ठूस दे रही है.
हेमंत सरकार को तुरंत इस मामले को संज्ञान में लेना चाहिए।
इस पूरे मामले पर विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन झारखंड इकाई के संयोजक शैलेन्द्र नाथ सिन्हा व Damodar Turi प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहते हैं किसर्व विदित हो कि भगवान किस्कु ग्राम-चतरो,थाना-खुखरा,जिला- गिरिडीह के रहने वाले एक राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ता है और इन्होंने अपने आदिवासी-मूलवासी समाज में चल रहे विभिन्न प्रकार के जुल्म अत्याचार के खिलाफ कई जनांदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाते रहा है जैसे जल, जंगल, जमीन एवं समस्त प्राकृतिक संसाधनों की लूट, एवं इस लूट को अमलीजामा पहनाने के लिए CRPF केंप लगना, तथा आम ग्रामीणों को झूठे मुकदमे दर्ज कर गिरफ्तार करना,फर्जी मुठभेड़ में मार दिया जाना। विश्व प्रसिद्ध आदिवासियों का धर्म स्थल परास नाथ (मरांग बुरू) को बचाने के लिए “धर्मगढ़ रक्षा समिति”परास नाथ गिरिडीह। संगठन बनाकर आदिवासी-मूलवासी जनता के बीच जागरूकता लाने का प्रयास कर रहा था भगवान किस्कु।जिसे गिरिडीह प्रशासन गिरफ्तार कर माओवादी बताकर कई फर्जी मुकदमे डाल कर जेल भेज दिया है। जबकि भगवान किस्कु धर्मगढ़ रक्षा समिति के सदस्य के साथ-साथ विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन झारखंड इकाई के सक्रिय सदस्य हैं। इसके अलावा झारखंड जन संघर्ष मोर्चा का सदस्य हैं और अपने क्षेत्र के जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता है। जो सभी राजनीतिक दलों एवं सामाजिक संगठनों के लोग जानते हैं। इसके बावजूद गिरिडीह प्रशासन द्वारा झुठे मुकदमे में गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने का विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन तीब्र निंदा व भ्रत्सना करता है एवं बिना सर्त अविलंब रिहा करने की मांग करता है, अगर रिहा नही क्या गया तो, पूरे झारखंड क्षेत्र में तीब्र जनांदोलन किया जाएगा।साथ ही साथ सभी जन संगठनों, सामाजिक संगठनों, मानवाधिकार संगठनों से अपील है कि भगवान किस्कु का रिहाई के लिए आगे बढ़े।निवेदक: विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन झारखंड इकाई,संयोजक: शैलेन्द्र नाथ सिन्हा, दामोदर तुरी।
*आइये**साथी झारखंड में हो रहे आदिवासी मूलवासी पर हो रहे लगातार पुलिसीया जुल्म के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करें। अपनी बारी आने के पहले अपनी चुप्पी तोड़े ना तो ऐसा ना हो कि हमारी बारी आने से पहले कोई बोलने वाले ही नहीं बचे।*