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दिल्ली की अदालत द्वारा जारी समन से खफा है राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत

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एस पी मित्तल, अजमेर 

ज्यूडिशियरी में करप्शन वाले बयान पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीन अक्टूबर को बिना शर्त माफी मांग ली है। गहलोत के इस माफीनामे पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एजी मसीह और न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव अब 7 नवंबर को अपना निर्णय देंगे। गहलोत ने गत 30 अगस्त को सार्वजनिक तौर पर कहा था कि लोअर और अपर ज्यूडिशियरी में भ्रष्टाचार है। वकील जो लिखकर लाते हैं, अदालत वही फैसला दे देती है। गहलोत के इस बयान पर वकील शिवचरण गुप्ता ने न्यायालय की मानहानि का मामला हाईकोर्ट में दायर किया है। गहलोत का कहना है कि ज्यूडिशियरी में करप्शन वाला बयान उनका निजी नहीं है, बल्कि सुना सुनाया है। गहलोत को माफी मिलती है या नहीं, यह तो 7 नवंबर को पता चलेगा, लेकिन गहलोत ने एक माफी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष रहीं श्रीमती सोनिया गांधी से भी मांग रखी है। गहलोत ने यह माफी गत वर्ष 25 सितंबर को हुई कांग्रेस विधायकों की बगावत पर मांगी। गहलोत ने कहा कि वे कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं, इसलिए उनका दायित्व था कि केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ विधायकों की बैठक करवाएं। चूंकि वे अपने दायित्व निर्वहन में विफल रहे, इसलिए सोनिया गांधी से माफी मांग ही है। हालांकि विधायकों की बगावत से गहलोत की मुख्यमंत्री की कुर्सी बच गई है, लेकिन अभी तक यह नहीं पता चला है कि सोनिया गांधी ने गहलोत की माफी स्वीकार की है या नहीं, लेकिन 25 सितंबर की बगावत के बाद अशोक गहलोत का गांधी परिवार में जाना बंद हो गया है। इस बीच गहलोत एक और माफीनामा अब हाईकोर्ट में लंबित हो गया है। 7 नवंबर को जब इस माफी नामे पर निर्णय जाएगा, तब राजस्थान में विधानसभा का चुनाव चरम पर होगा। एक माह बाद दिसंबर में चुनाव के परिणाम भी आ जाएंगे, तब गहलोत की राजनीतिक स्थिति का भी पता चल जाएगा। सवाल उठता है कि गहलोत ने सुनी सुनाई बातों पर ज्यूडिशियरी को भ्रष्ट कैसे बताया? जानकार सूत्रों के अनुसार केंद्रीय मंत्री गजेंद्र ङ्क्षसह शेखावत की मानहानि वाली याचिका पर दिल्ली अदालत ने जो समन जारी किया है, उससे गहलोत खफा हैं। गहलोत को लगता है कि शेखावत के वकील ने जो लिखकर दिया, उसी पर समन जारी कर दिया। इस केस में गहलोत अब तक तीन बार वीसी के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके हैं। गहलोत को यह नागवार है कि मुख्यमंत्री रहते उन्हें अदालत में उपस्थिति दर्ज करवानी पड़ रही है। हो सकता है कि गहलोत, जब मुख्यमंत्री न रहे तब उन्हें दिल्ली जाकर अदालत में अपनी उपस्थिति दर्ज करवानी पड़े। शेखावत का आरोप है कि संजीवनी सोसायटी के धोखाधड़ी के प्रकरण में एफआईआर में नाम न होने के बाद भी गहलोत ने उन्हें तथा दिवंगत माताजी आदि को मुल्जिम बता दिया। शेखावत का कहना है कि गहलोत या तो माफी मांग या फिर जेल जाने के लिए तैयार रहें। जबकि गहलोत का कहना है कि उन्होंने एसओजी की रिपोर्ट पर शेखावत के परिवार को आरोपी बताया है।  यानी अब लोअर से लेकर अपर ज्यूडिशियरी में गहलोत के खिलाफ मानहानि के मामले विचाराधीन है। 

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