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मध्यप्रदेश में इन 5 नेताओं का खत्म होगा राज्यसभा कार्यकाल 

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भोपाल: मध्य प्रदेश की रिक्त हो रही राज्यसभा की पांच सीटों के लिए चुनाव होने वाले हैं। इन स्थानों के लिए दावेदारों के नाम की चर्चा भी शुरू हो गई है। राज्य से राज्यसभा के पांच सदस्यों का कार्यकाल दो अप्रैल को खत्म हो रहा है। इसके लिए चुनाव प्रक्रिया का भी ऐलान कर दिया गया है। इन पांच सीटों में से चार सीटों पर भाजपा के सांसद हैं, जबकि, सिर्फ एक सीट कांग्रेस के पास है। राज्य में राज्यसभा की जो सीटें रिक्त हो रही हैं, उनसे सांसद वर्तमान में भाजपा के अजय प्रताप सिंह और कैलाश सोनी हैं, जो राज्य के ही हैं। जबकि, राज्य के बाहर से धर्मेंद्र प्रधान और एल मुरूगन सदस्य हैं। वहीं, कांग्रेस से राजमणि पटेल हैं।

विधानसभा में भाजपा के 163 सदस्य हैं और एक सदस्य के लिए 39 विधायकों का समर्थन जरूरी है, इस तरह भाजपा के चार और कांग्रेस का एक राज्यसभा सदस्य निर्वाचित होना तय है। राज्य में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के कई दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा है तो वहीं कांग्रेस के कई दिग्गज भी चुनाव हारे हैं।

राज्यसभा के लिए जुगत लगा रहा हैं नेता
विधानसभा का चुनाव हार चुके दिग्गज भी राज्यसभा में जाने की जुगत में हैं। इसकी वजह भी है क्योंकि जो विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं, उन्हें पार्टी लोकसभा के चुनाव में मौका देगी, इस बात की संभावना कम है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा इस बार भी राज्य के बाहर के कम से कम दो नेताओं को उम्मीदवार बनाएगी तो शेष दो राज्य के ही होंगे।

जबकि, कांग्रेस के सामने बेहतर उम्मीदवार के चयन की समस्या है क्योंकि राजमणि पटेल पिछड़ा वर्ग से आते हैं और कांग्रेस को पिछड़े वर्ग के व्यक्ति को ही मैदान में उतारने का दबाव है। कांग्रेस पिछड़े वर्ग से ऐसे व्यक्ति को मौका देना चाहेगी, जिसकी पूरे राज्य में पहचान हो और उसका अपना जनाधार भी हो। ऐसा हो पाएगा, यह संभव नहीं है, क्योंकि कांग्रेस के भीतर की राजनीति में ताकतवर नेता नहीं चाहते कि कोई पिछड़े वर्ग का प्रभावशाली चेहरा सामने आए।

कांग्रेस से कौन-कौन हैं दावेदार
कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी इस बार राऊ विधानसभा सीट से चुनाव हार गए हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि जीतू पटवारी को राज्यसभा भेजा जा सकता है। वहीं, यह भी अटकलें हैं कि जीतू पटवारी इंदौर या फिर मालवा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। वहीं, अरुण यादव को भी राज्यसभा भेजे जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं। फिलहाल अरुण यादव के पास कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है।

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