नई दिल्ली : मेरे भारत के जितने भी वर्कर या मजदूर हैं उनके सैलरी को लेकर कोई भेदभाव न हो जिससे वो आगे परेशान न हों या दिक्कतें न आएं। उन लोगों को इतनी सैलरी दी जाए कि उनकी परेशानियां दूर हों। आज कल कंपनियां ऐसी हैं जिन्हें टेंडर मिल रहे हैं वो क्या करते हैं कि काम करवाते हैं और पैसे रोक लेते हैं। कभी आधे दे दिए कभी नहीं दिए। ऐसे में बेचारा मजदूर भटकता रहता है। वह किसी से कुछ कह ही नहीं पाता है। वो ऐसे ही तंग हो जाता है उसकी फैमिली भी परेशान हो जाती है। ये दर्द है उत्तराखंड में सिलक्यारा सुरंग मजदूरों को निकालने में अहम भूमिका निभाने वाले रैट माइनर मुन्ना कुरैशी का।
मुन्ना कुरैशी ने पीएम मोदी से अपील की है कि मजदूरों की सुविधा की जाए। पूरे भारत के मजदूरों के बारे में सोचा जाए। मुन्ना ने कहा कि मेरे काम में जो परेशानी है वो तो हैं। इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में मुन्ना ने कहा कि मेरे जीवन में पहले कभी इतनी खुशी नहीं मिली जितनी आज मिल रही है। उन्होंने कहा कि मैं कभी नहीं रोता मगर इस खुशी ने मुझे रुला दिया। मैं तीन बार रोया। बता दें कि मजदूरों को बचाने के काम में रैट माइनर्स ने सुरंग का निर्माण करा रही कंपनी से अपने काम की ऐवज में कोई पैसे नहीं लिए। एक अन्य रैट माइनर देवेंद्र ने इसे अपने जीवन का सबसे सुकून देने वाला काम बताया था। देवेंद्र का कहना था कि पूरे देश को हमारे से उम्मीद थी और हम लोगों को किसी भी तरह से निराश नहीं करना चाहते थे।
बच्चों को ये कहानी नहीं सुनाऊंगा
सिलक्यारा टनल हादसे में मजदूरों को निकालने की कहानी अपने बच्चों से शेयर करने के सवाल पर मुन्ना ने अलग ही जवाब दिया। मुन्ना ने कहा कि मैं अपने बच्चों को बचाव की कहानी नहीं बताऊंगा, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि वे रैट माइनिंग के करीब पहुंचें। ये चीजें मैं उन्हें दिखाना नहीं चाहता। उन्होंने कहा कि हर मां बाप चाहता है कि उनका बेटा पढ़े-लिए और डॉक्टर या इंजीनियर बनें। मुन्ना ने कहा कि मैं बस यही कहूंगा कि किसी की जिंदगी बचाना बहुत बड़ा पुण्य का काम है। उन्होंने कहा कि सुरंग में जो 41 लोग फंसे थे उनके पीछे मां-बाप, भाई-बहन उनका पूरा परिवार था।
17 दिन बाद बाहर निकले 41 मजदूर
इससे पहले सिलक्यारा सुरंग में करीब 17 दिन तक फंसे रहे सभी 41 श्रमिकों मंगलवार को सकुशल बाहर निकाले गए थे। इन्हें निकालने में विभिन्न एजेंसियों के संयुक्त बचाव अभियान के तहत निकालने में सफलता पाई थी। मजदूरों के बाहर निकलने पर वहां खुशी का माहौल बन गया था। चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन साढ़े चार किलोमीटर लंबी सिलक्यारा—बड़कोट सुरंग के 12 नवंबर को एक हिस्सा ढहने से मजदूर उसमें फंस गए थे। ऐसे में बचाव दल में रैटमाइनर्स ने देवदूत बनकर इन मजदूरों को बाहर निकालने के काम में सफलता पाई।