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सचिन पायलट को सीएम मानने से गहलोत गुट के विधायकों का इंकार,पर्यवेक्षक खड़गे ले रहे कांग्रेस विधायकों की राय

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नई दिल्ली: राजस्थान में अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के बाद अब प्रदेश के नए मुख्यमंत्री को लेकर पेंच फंस गया है। माना जा रहा था कि अशोक गहलोत के दिल्ली आने के बाद सचिन पायलट प्रदेश के नए मुखिया बनेंगे। इस बीच कांग्रेस विधायकों की बगावत से पूरी कहानी ही बदल गई है। गहलोत गुट के विधायक सचिन पायलट को सीएम पद के रूप में नहीं देखना चाहते। बस इसी बात की नाराजगी ने उन्हें इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया। विधायकों का कहना है कि हमें सचिन से कोई व्यक्तिगत नाराजगी नहीं है लेकिन सचिन पायलट को हम सीएम पद पर नहीं देखना चाहते। गहलोत गुट के विधायकों के अलावा खुद सीएम अशोक गहलोत को सचिन का नाम सीएम पद के लिए मंजूर नहीं था। वह शुरू से सीपी जोशी को अपनी सीएम की गद्दी सौंपना चाहते थे। तो क्या पायलट को गद्दी पर बैठने से रोकने के लिए अशोक गहलोत ने यह प्लान रचा था। आपको इस बगावत के बिगुल का मतलब समझाते हैं।

धालीवाल के घर बैठक में हो गया खेला
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए अशोक गहलोत नामांकन दाखिल करेंगे। वह अपनी जगह प्रदेश की कमान सीपी जोशी को सौंपना चाहते थे। कांग्रेस विधायक दल की बैठक सीएम पद के सौंपने को लेकर थी। सीएम आवास पर होने वाली बैठक से पहले एक बैठक विधायक शांति धारीवाल के घर पर हुई थी। इस बैठक में सभी विधायकों को बताया गया कि गांधी परिवार ने सीएम पद के लिए सचिन पायलट के नाम पर मुहर लगाई है। अब आप लोग सचिन पायलट को अपना अगला सीएम स्वीकार कीजिए। जैसे ही यह जानकारी दी गई गहलोत गुट के विधायक इस फैसले के खिलाफ हो गए। बात यहां तक पहुंच गई कि 70 विधायकों ने अपना इस्तीफा तक लिखित में दे दिया। इतना ही नहीं सामूहिक इस्तीफे वाली पेशकश दिल्ली तक पहुंचा दी गई है। इसके साथ अशोक गहलोत और सचिन पायलट को कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली तलब किया है। वहीं अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे जो पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद थे उन्हें भी वापस बुला लिया गया है। अब अंतिम फैसला कांग्रेस हाईकमान को ही करना है।

सचिन को नहीं चाहते को रचा यह खेल
सीएम अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर कहा जाता है। उनके पिता बाबू लक्ष्मण सिंह दक्ष पेशेवर जादूगर थे और प्रदर्शन करने के लिए विभिन्न शहरों की यात्रा करते थे। राजनीति के क्षेत्र में वही काम उनका बेटा अशोक गहलोत कर रहा है। जो इस सियासी उठापटक की अच्छी समझ रखते हैं उन्होंने कहा कि सचिन के नाम पर गहलोत पहले से ही राजी नहीं थे। गहलोत को अक्सर यह लगता है कि सचिन पायलट बीजेपी के साथ मिलकर राजस्थान की सरकार गिराना चाहते थे। ऐसे में उनकी जगह कोई ऐसा नेता प्रदेश की कमान न संभाले जिसने सरकार गिराने की कोशिश की हो। तो फिर गहलोत ने ऐसा क्या किया कि सभी इस फैसले के खिलाफ हो गए। दरअसल, गहलोत गांधी परिवार के वफादरों में गिने जाते हैं। ऐसे में गहलोत सीधे तौर पर सचिन के नाम का खुलकर विरोध नहीं कर सकते इसलिए गहलोत गुट के विधायकों के इस्तीफे के जरिए अपना संदेश दिल्ली पहुंचा दिया है।

गहलोत ने पहले ही बता दिया था अपना मूड
यह बात अब किसी से छुपी नहीं है कि अशोक गहलोत की सबसे पहली पसंद सीपी जोशी हैं। बीते कुछ दिनों से दोनों के बीच नजदीकियां यह बताने के लिए पर्याप्त हैं। सीपी जोशी गहलोत गुट के खास नेता माने जाते हैं। अशोक गहलोत ने कांग्रेस अलाकमान को पहले ही अपने मन की बात बता दी थी। उन्होंने कहा था कि मैं चाहता हूं कि जो भी अगला सीएम बने वह युवाओं पर ध्यान दे। उन्होंने आगे कहा कि मैंने अगस्त में ही बता दिया था कि अगला मुख्यमंत्री उसे बनाइए जो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रिपीट करवा सके।

इस बयान के भी अपने मतलब हैं। गहलोत को शायद यह नहीं लगता कि सचिन पायलट अपने बल-बूते सरकार रिपीट करवा सकते हैं। दूसरा सचिन को वह अपना उत्तराधिकारी नहीं मानते। गहलोत और पायलट के बीच यह खींचतान आज की नहीं है। इस खींचतान का फायदा बीजेपी भी उठाने का खूब प्रयास करती है जिसके चलते उसपर सरकार गिराने जैसे आरोप लगते आए हैं। राजस्थान सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी इस घटनाक्रम के दौरान कहा कि हम सचिन पायलट को किसी भी तौर पर सीएम पद के रूप में नहीं देखना चाहते। उनका कहना है कि सचिन ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने की कोशिश की थी। हम भाजपा की इस साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे।

गहलोत गुट के विधायकों की बात भी सुन लीजिए
अशोक गहलोत सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने गहलोत के फैसले से नाराज होकर कहा कि सभी विधायक गुस्से में हैं और इस्तीफा दे रहे हैं। हम इसके लिए अध्यक्ष के पास जा रहे हैं। विधायक इस बात से खफा हैं कि CM अशोक गहलोत उनसे सलाह लिए बिना फैसला कैसे ले सकते हैं। हालांकि मीडिया के सामने कुछ देर में उनके रुख में बदलाव भी देखने को मिला। विधायक खाचरियावास ने कहा कि सरकार नहीं गिरी है। हमारे परिवार के मुखिया(अशोक गहलोत) हमारी बात सुनेंगे तो नाराजगी दूर हो जाएगी। लोकतंत्र संख्या बल से चलता है। राजस्थान के विधायक जिसके साथ होंगे, नेता वही होगा। हमें सचिन पायलट से नफरत नहीं है लेकिन गहलोत जी को हमारी बात सुननी चाहिए थी। 100 से अधिक विधायक एक तरफ हैं और 10-15 विधायक एक तरफ हैं। 10-15 विधायकों की बात सुनी जाएगी और बाकी की नहीं। पार्टी हमारी नहीं सुनती, अपने आप फैसले हो जाते हैं।

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