भोपाल. मध्य प्रदेश (MP) में अब जल संसाधन विभाग में महा घोटाला हो गया. 3 हजार 333 करोड़ रुपये के टेंडर में नियम विरुद्ध निजी कंपनियों को 800 करोड़ का एडवांस भुगतान कर दिया गया. EOW ने विभाग के इंजीनियर्स और अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिक दर्ज की है.यह घोटाला 877 करोड रुपए का है और इसमें टेंडर की शर्तों में बदलाव कर कुछ चुनिंदा कंपनियों को एडवांस भुगतान किया गया था। यह जांच प्रदेश के मुख्य सचिव रहे आईएएस अफसर एम गोपाल रेड्डी की परेशानी बढ़ा सकती है।
जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एसएन मिश्रा ने इस घोटाले का खुलासा किया था. उनके अनुसार अगस्त 2018 से फरवरी 2019 के बीच सिंचाई प्रोजेक्ट के आधार पर बांध और हाई प्रेशर पाइप नहर बनाने के लिए 3333 करोड़ रुपये के सात टेंडर्स को मंजूरी दी गयी थी. टर्न के आधार पर मंजूर टेंडर्स मुख्य रूप से बांध निर्माण और जलाशय से पानी की आपूर्ति के काम के लिए थे. इसके लिए निर्धारित प्रेशर पंप हाउस, प्रेशराइज्ड पाइप लाइन के साथ-साथ नियंत्रण उपकरण लगाकर पानी सप्लाई की जाना थी. उसी दौरान मुख्य अभियंता गंगा कहार रीवा ने सरकार के संज्ञान में लाया था कि गोंड मेगा प्रोजेक्ट के लिए शासन के 27 मई 2019 के आदेश में पेमेंट शेड्यूल की कंडिका 3 को शिथिल कर एडवांस भुगतान कर दिया गया. इसके बाद शासन ने इसकी छानबीन की तो पता चला शासन ने भुगतान के संबंध में ऐसी कोई छूट नहीं दी थी.
नियम विरुद्ध भुगतान
मामला ध्यान में आने के बाद विभाग ने प्रमुख अभियंता और मुख्य अभियंता से फाइल बुलवायी थी. यह तथ्य भी सामने आए कि शासन की इजाजत के बिना इस शर्त को खत्म कर चीफ इंजीनियर ने अपने स्तर पर अधीनस्थ अफसरों को पत्र जारी कर दिया था. जबकि शासन और कंपनियों के बीच कॉन्ट्रैक्ट होने के बाद किसी भी शर्त को हटाया और जोड़ा नहीं जा सकता है.
एम गोपाल रेड्डी के समय हुआ था भुगतान…
इस एडवांस भुगतान के प्रकरण में कई बड़े अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है. विभाग के प्रमुख एस एन मिश्रा ने शिवराज सरकार में मुख्य सचिव बनाए गए वर्तमान मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को इसकी जानकारी दी थी. जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास यह मामला आया तो उन्होंने जांच के आदेश दिए. मुख्यमंत्री के आदेश के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने इंजीनियर्स और अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए EOW को मंजूरी दी थी. अब EOW ने जांच के बाद प्राथमिक जांच दर्ज की है.