दिल्ली को अधिकार देने वाले बिल पर वोटिंग के दौरान संसद में गैरहाजिर रहने वाले राष्ट्रीय लोकदल (RLD) मुखिया चौधरी जयंत सिंह (Jayant Chaudhary) गुरुवार को कांग्रेस नेता खड़गे के दफ्तर में बुलाई गई I.N.D.I.A गठबंधन में शामिल विपक्षी दलों की मीटिंग में शामिल हुए हैं। सियासी हलकों में जयंत के बार-बार बदलते रुख को लेकर चर्चा है कि आरएलडी नेता की की तरफ से 2024 चुनाव से पहले ये दबाव की राजनीति है या फिर कुछ और!
वेस्ट यूपी में फिलहाल मजबूत मानी जा रही आरएलडी के मुखिया यूं तो समाजवादी पार्टी के साथ सियासी दोस्ती में हैं। उनके साथ आजाद समाज पार्टी (आसपा) भी हैं। आरएलडी मुखिया चौधरी जंत, एसपी प्रमुख अखिलेश यादव, आसपा चीफ चंद्रशेखर आजाद अक्सर साथ रहते हैं। बीजेपी के खिलाफ हाल में बने I.N.D.I.A. गठबंधन में भी ये दल शामिल हैं। लेकिन जयंत चौधरी भाजपानीत गठबंधन NDA के खिलाफ विपक्ष की हर मुहिम से या तो दूरी बनाकर या फिर बयानों से चर्चा छोड़ देते हैं।
गौर करें तो NDA के खिलाफ पटना में 23 जून को विपक्षी दलों की पहली मीटिंग हुई। लेकिन चौधरी जयंत मीटिंग में नहीं पहुंचे थे। तब चर्चा चली थी कि जयंत की बीजेपी से नजदीकी बढ़ रही है। बीजेपी के साथ जयंत 2024 में जा सकते हैं। कई दिन तक जयंत की चुप्पी ने सस्पेंस और बढ़ा दिया था। सोशल मीडिया पर जयंत की चावल को लेकर खिचड़ी और खीर खाने वाली द्विअर्थी पोस्ट ने भी सियासी हलचल तेज कर दी थी।
हालांकि NDA से नजदीकी बढ़ने की चर्चा के बाद एकाएक जयंत बेंगलुरु में 17 जुलाई को I.N.D.I.A. गठबंधन की हुई बैठक में जा पहुंचे थे। बाद में वह विपक्षी सांसदों के दल के साथ मणिपुर हिंसा का जायजा लेने भी पहुंचे। लेकिन दो दिन पहले दिल्ली को अधिकार दिए जाने के बिल पर संसद में होने वाली वोटिंग से जयंत फिर दूर हो गए। उनकी इस गैरहाजिरी ने फिर से सियासी हलकों में चर्चा तेज कर दी। हालांकि आरएलडी की तरफ से तर्क दिया गया था कि चौधरी जयंत की पत्नी के ऑपरेशन होने के कारण वह संसद नहीं जा सके थे।
आरएलडी के प्रवक्ता अनिल दूबे साफ कर चुके है कि बिल पर वोटिंग में काफी अंतर था, अगर स्थिति निर्णायक होती को चौधरी जयंत जरूर संसद जाते और वोटिंग करते। उसके बाद संसद में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर चल रही बहस पर रणनीति बनाने के लिए कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे के दफ्तर में गुरुवार को हुई I.N.D.I.A. गठबंधन के दलों की मीटिंग ने जयंत शामिल हुए है।
गैरहाजिरी सीट हासिल करने की कोशिश तो नहीं…
दरअसल, I.N.D.I.A. गठबंधन बनने से पहले एसपी और आरएलडी का मिलकर 2024 में चुनाव लड़ना तय माना जा रहा था। आरएलडी के प्रदेशाध्यक्ष ने एसपी हाईकमान को एक पत्र लिखकर वेस्ट यूपी की जाट बहुल 12 लोकसभा की सीट बागपत, मथुरा, मेरठ, कैराना, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, अमरोहा, फतेहपुर सीकरी, हाथरस, नगीना, बिजनौर पर दावा किया था। गठबंधन के बाद भी आरएलडी का इन सीटों पर दावा बरकरार हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि जयंत चौधरी I.N.D.I.A. गठबंधन पर अपने दावे के मुताबिक 12 में से कम से कम 10 सीट हासिल करने की तमन्ना रखते हैं। माना जा रहा है बार बार NDA के करीबी होने की चर्चा में आकर आरएलडी और जयंत की दबाव बनाने की कोशिश है। आरएलडी के राष्ट्रीय सचिव डॉक्टर राजकुमार सांगवान के मुताबिक वेस्ट यूपी में 12 सीटों पर हमारा दावा मजबूत हैं।