मांगों को लेकर दिल्ली कूच के लिए अंबाला में शंभू बार्डर पर पहुंचे किसानों व पुलिस के बीच मंगलवार को जबरदस्त टकराव हुआ। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले सैकडों की गिनती में जुटे किसानों को खदेड़ने के लिए हरियाणा पुलिस प्रशासन की ओर से ड्रोन के जरिये आंसू गैस के गोले छोड़े गए। जिससे एकदम से भदगड़ मचने से कईं किसान घायल हो गए, जबकि बड़ी गिनती में किसानों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
जवाब में किसानों ने पुलिस पर पथराव किया। किसानों ने ट्रैक्टर-ट्रालियों से टक्कर मार कर कुछ बैरिकेड भी इस दौरान तोड़ दिए। नदी के किनारे ऊंचे करने के लिए लगाई रेलिंग को भी किसानों ने तोड़कर पानी में फेंक दिया।
पुलिस की ओर से पूरे दिन में कईं बार किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़़े गए। इससे पहले मंगलवार सुबह पंजाब के विभिन्न हिस्सों से ट्रैक्टर-ट्रालियों के काफिले के साथ किसान बड़ी गिनती में शंभू बार्डर के लिए रवाना हुए। इस दौरान हाईवे व प्रमुख सड़कों पर जाम की स्थिति बनी रहने से आम जनता को काफी परेशानी का सामना भी करना पड़ा।
ऐसे शुरू हुआ हंगामा
एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत अन्य कईं मांगों को लेकर दिल्ली कूच के लिए मंगलवार को शंभू बार्डर पर पहुंचे किसानों को हरियाणा पुलिस की तरफ से सुबह 11.45 बजे चेतावनी दी गई कि धारा 144 लागू है, इसलिए बड़ी गिनती में एक साथ इकट्ठा न हो। किसान नहीं माने। जैसे ही उन्होंने बैरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस ने कईं किसानों को गिरफ्तार कर लिया। फिर भी किसान नहीं माने, तो ड्रोन के जरिये आंसू गैस के गोले दागे गए।
इस एक्शन से किसानों में एक बार के लिए तो भगदड़ मच गई। इस दौरान कईं किसान घायल भी हुए, परंतु जवाब में भड़के किसानों ने पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। किसानों ने इस दौरान ट्रैक्टर-ट्रालियों से मल्टी बैरिकेडिंग में से दो बैरिकेड को भी तोड़ दिया। यह सब देखकर पुलिस ने करीब 12.30 बजे दोबारा आंसू गैस के गोले छोड़े।
किसानों ने इस बार धुएं से बचने के लिए गीली बोरियां इन गोलों पर डालनी शुरू कर दी। इसके बाद लगातार टकराव होता रहा। किसान बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश करते रहे और पुलिस उन पर आंसू गैस के गोले दागती रही। हर तरफ फैल रहे धुएं से किसान बेहाल हो रहे थे, लेकिन वह आगे बढ़ने पर अड़े रहे। हरियाणा पुलिस ने बॉर्डर पर कर्मचारियों की संख्या में भी वृद्धि कर दी है। किसानों का कहना है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी व अन्य मांगों को मनवा कर ही वह वापस लौटेंगे।
केंद्रीय मंत्री का कहना है कि सरकार किसानों के मुद्दों पर सजग है। सरकार की किसान संगठनों से बात हुई है, लेकिन कुछ मुद्दों पर सहमति बनी है, तो कुछ पर नहीं बन पाई है। हम बातचीत के माध्यम से समाधान ढूंढेंगे। हम आगे भी बैठक के लिए तैयार हैं। हमारे दरवाजे किसानों के लिए खुले हुए हैं। कुछ लोग नहीं चाहते हैं कि समाधान निकले। कुछ लोग जानबूझकर माहौल खराब कर रहे हैं। मेरी किसानों से अपील है कि ऐसे लोगों से बचें। किसानों के हितों को लेकर हमारी सरकार प्रतिबद्ध है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि बातचीत के जरिए हर मुद्दे का समाधान निकाला जा सकता हैं। किसानों और उनके संगठनों को भी समझना चाहिए कि सरकार की भी एक पद्धति और मापदंड होते हैं। कई मामले राज्यों से जुड़े होते हैं उनके साथ भी विचार-विमर्श करना होता है। इसके बाद फिर संगठनों से चर्चा करनी होती है। किसानों को इस बात को समझने की जरूरत है।
कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सरकार को जानकारी मिली है कि कुछ लोग वातावरण को प्रदूषित करने की कोशिश कर रहे हैं। मैं किसानों को कहना चाहूंगा कि वे इनसे बचें। भारत सरकार किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए बाध्य है। कुछ मुद्दों पर सहमति बन गई है। हम कुछ मुद्दों पर काम करने के लिए समाधान ढूंढ रहे हैं। जनता को परेशानी में नहीं डालना चाहिए किसान यूनियन को इसे समझना चाहिए।
कृषि मंत्री मुंडा कहते हैं कि किसान संगठन एमएसपी की जो बात कर रहे हैं, एमएसपी में 2013-14 की तुलना में 2023 और 24 में एमएसपी दर क्या है ये देखना चाहिए। सरकार भी चाहती है कि किसानों को उनके उत्पाद का पूरा मूल्य मिले। एमएसपी के मामले में यह बात कहना कि अभी ही सारी चीजें मिल जानी चाहिए, इसे राजनीति से प्रेरित नहीं होना चाहिए।