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मध्य प्रदेश में भाजपा फॉर्मूले पर कांग्रेस खेमे में खलबली

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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम तीन दिसंबर को आएंगे। इससे पहले दोनों ही राजनीतिक दल अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। अभी तक आए ओपिनियन पोल में दोनों ही दलों के बीच कड़ा मुकाबला बताया जा रहा है। इसको लेकर कांग्रेस अपने जीतने वाले विधायकों को लेकर सतर्क हो गई है। 

दरअसल, 2020 में भाजपा ने ऑपरेशन लोट्स कर कांग्रेस की सरकार गिरा दी थी। वहीं, इसके बाद 2022 में राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग हो गई थी। कांग्रेस के 18 विधायकों की निष्ठा अभी भी संदिग्ध है। ऐसे में कम सीटें आने पर भाजपा उथल पुथल कर सकती है। इसको लेकर कांग्रेस में खलबली मची हुई है। 

भाजपा फिर चल सकती है आदिवासी कार्ड 
भाजपा 2022 के फॉर्मूले पर आगे बढ़ रही है। दरअसल, 2022 में राष्ट्रपति चुनाव में मध्य प्रदेश में भाजपा ने आदिवासी कार्ड खेला था। जिसमें कांग्रेस के 19 विधायकों ने द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया था। उस समय कांग्रेस पार्टी ताकती रह गई थी। इनमें से कांग्रेस के एक विधायक सचिन बिरला अब भाजपा में शामिल हो गए। बाकी बचे 18 विधायकों की पार्टी के प्रति निष्ठा अभी भी संदिग्ध है। ऐसे में जानकारों का कहना है कि चुनाव फंसने की स्थिति में भाजपा आदिवासी कार्ड फिर खेल सकती है। 

2020 में हुआ था सत्ता परिवर्तन 
2018 में प्रदेश में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। 230 सीट वाली मप्र विधानसभा में बहुमत के लिए 116 सीटें चाहिए। पिछली बार 114 सीट के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। वहीं, भाजपा 109 सीट पर ही अटक गई थी। कांग्रेस ने निर्दलीय और अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई। इस बीच 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत 22 विधायकों ने भाजपा ज्वाइन कर ली थी। इस वजह से भी कांग्रेस की सरकार गिर गई थी। इसको लेकर भी कांग्रेस इस बार अलर्ट है। 

जीतने वाले बागियों से भी संपर्क 
विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेता टिकट नहीं मिलने से बागी होकर बसपा, सपा और निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इसमें पूर्व विधायक भी शामिल हैं। इसमें कुछ सीटों पर ये नेता मजबूत स्थिति में हैं। सरकार बनाने के लिए पार्टी ने इन नेताओं से अभी से संपर्क करना शुरू कर दिया है। 

कांग्रेस की तरफ से घर को सुरक्षित रखने की कोशिश 
वरिष्ठ पत्रकार प्रभु पटैरिया ने कहा कि मध्य प्रदेश में दल बदल का ट्रेंड 2020 से लगातार दिख रहा है। कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल हो गए। राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग हो गई। अब कांग्रेस अपने आकलन के अनुसार आगामी रणनीति बना रही है। हर राजनीतिक दल अपने घर को सुरक्षित रखने की कोशिश करता है। कांग्रेस की भी ऐसी ही तैयारी दिख रही है।

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