मुंबई: शिवसेना से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले संजय निरुपम की 19 साल के बाद फिर से ‘घर वापसी’ होगी। कांग्रेस की ओर से निष्कासित किए जाने के बाद वह महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे-नीत शिवसेना में शामिल होने जा रहे हैं। संजय निरुपम ने कहा कि बाला साहेब भवन में सीएम शिंदे से मिलने के बाद ये तय किया गया है कि 3 मई को अपने सभी साथियों के साथ शिव सेना (शिंदे गुट) ज्वॉइन करेंगे और जोरदार तरीके से प्रचार किया जाएगा। दरअसल शिवसेना छोड़ने के बाद निरुपम 2005 में कांग्रेस में शामिल हुए थे और उन्हें महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी का महासचिव नियुक्त किया गया था। वह 2009 के लोकसभा चुनाव में मुंबई उत्तर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज नेता राम नाइक को मामूली अंतर से हराकर सांसद निर्वाचित हुए।
कांग्रेस में 19 साल तक किया काम
कांग्रेस में 19 साल तक रहने के दौरान उन्होंने कई पदों पर काम किया जिनमें से मुंबई इकाई के प्रमुख पद की जिम्मेदारी भी शामिल थी। कांग्रेस ने पिछले महीने अनुशासनहीनता और पार्टी-विरोधी गतिविधियों के चलते छह साल के लिए उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। निष्कासन से कुछ दिन पहले ही निरुपम ने मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट पर फैसला करने के लिए पार्टी को एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया था।
एकनाथ शिंदे ने क्या कहा?
शिवसेना पार्टी पदाधिकारियों की बैठक के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि संजय निरुपम जल्द ही शिवसेना में शामिल होंगे। इस मौके पर निरुपम भी उनके साथ थे, लेकिन शिंदे ने इसे शिष्टाचार मुलाकात करार दिया। इस बीच शिंदे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुंबई में दो चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे। मुंबई में 20 मई को मतदान होगा।
बिहार के रहने वाले हैं निरुपम
मूल रूप से बिहार के निवासी निरुपम 1990 के दशक में पत्रकारिता के रास्ते राजनीति में आए। वह मुंबई से प्रकाशित अविभाजित शिवसेना के हिंदी मुखपत्र ‘दोपहर का सामना’ के संपादक बने। उनके कार्य से प्रभावित तत्कालीन शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने उन्हें 1996 में राज्यसभा भेजा। निरुपम शिवसेना के मुखर नेता के रूप में उभरे।
2005 में छोड़ी थी शिवसेना शिवसेना उस वक्त मुंबई में बसे उत्तर भारतीय मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही थी। हालांकि निरुपम को उस वक्त झटका लगा जब शिवसेना ने 2005 में उनसे राज्यसभा की सदस्यता छोड़ने को कहा। शिवसेना से मतभेद होने पर अंतत: 2005 में उन्होंने पार्टी छोड़ दी और उसके बाद कांग्रेस में शामिल हो गए।