कुसमुंडा (कोरबा)। कोरबा जिले के एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र में तहसील दर्री के अंतर्गत एक गांव है खम्हरिया। 1978 में एसईसीएल ने इस गांव के किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया था। 1983 में अवार्ड पारित किया गया था कि 20 वर्ष बाद मूल खातेदारों को जमीन वापस की जाएगी तथा अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को रोजगार और मुआवजा दिया जाएगा। आज तक अधिग्रहण प्रभावित किसानों को न रोजगार मिला, न मुआवजा। लेकिन अधिग्रहण के 40 सालों बाद अब एसईसीएल इस गांव को बेदखल करने और यहां अन्य गांवों के विस्थापितों का पुनर्वास करने का कारनामा दिखाने जा रही है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने खम्हरिया गांव की बेदखली और एसईसीएल द्वारा भूमि अधिग्रहण और अवार्ड के प्रावधानों के उल्लंघन के खिलाफ आंदोलन करने की घोषणा की है।
माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने एक विज्ञप्ति में बताया है कि भारत सरकार के अधिसूचना क्र.एस.ओ. 638 ई/ दिनांक 09.11.1978 के अंतर्गत ग्राम खम्हरिया की भूमि का मध्यप्रदेश भू-राजस्व सहिता 1959 की धारा 247/1 के तहत कथित रूप से अधिग्रहण किया गया था और एसईसीएल प्रबंधन द्वारा कोयला उत्खनन के लिए धारा 247/3/ के तहत चाही गई अनुमति पर न्यायालय अतिरिक्त कलेक्टर, कोरबा ने म.प्र. राजस्व प्रकरण क्र.1/ अ-67/82-83 दिनांक 27/04/1983 को एक आदेश पारित कर ग्राम खम्हरिया के अधिग्रहण प्रभावित किसानों का पुनर्वास, मुआवजा और रोजगार आदि पाँच शर्तों के आधार पर दखल करने का अधिकार दिया गया था। चूंकि इस अवार्ड की कोई भी शर्त आज तक पूरी नहीं की गई है, इसलिए कथित अधिग्रहण विधिमान्य नहीं है और ग्रामीणों की बेदखली गैर-कानूनी है।
माकपा नेता ने कहा कि इस आदेश पत्र की निहित शर्तो में इस गांव की सीमा के अंदर अन्य गाँवों के खनन प्रभावित विस्थापितों को बसाहट दिए जाने का भी कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए इस गांव के मूल भू-स्वामियों को बेदखल कर अन्य गांवों के विस्थापितों को बसाना गलत है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1983 में पारित अवार्ड में स्पष्ट रूप से 20 वर्ष पश्चात मूल खातेदारों को जमीन वापस करने की बात कही गई है, इसलिए एसईसीएल ग्रामीणों को बेदखल करने के बजाए उन्हें उनकी जमीन का विधिक कब्जा देना चाहिए।
माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिला सचिव दीपक साहू, सुमेंद्र सिंह कंवर के नेतृत्व में आज एक प्रतिनिधिमंडल ने खम्हरिया पहुंच कर ग्रामीणों का समर्थन किया। माकपा और किसान सभा ने मांग की है कि एसईसीएल अपने सामाजिक उत्तरदायित्व को पूरा करें, मूल ग्रामीणों की बेदखली पर रोक लगाए, खनन प्रभावित गांवों में बुनियादी मानवीय सुविधाएं उपलब्ध कराएं तथा भू-विस्थापितों का गैर विवादित क्षेत्रों में पुनर्वास करें। माकपा और किसान सभा ने इन मांगों को लेकर अभियान और आंदोलन चलाने की भी घोषणा की है।
*प्रशांत झा*
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कोरबा जिला सचिव, माकपा