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भारत मे आत्मनिर्भरता का अर्थ है : सारी सरकारी सम्पत्ति बेच दो

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कृष्णन अय्यर

भारत मे आत्मनिर्भरता का अर्थ है : सारी सरकारी सम्पत्ति बेच दो. इसके लॉजिक भी मूर्खतापूर्ण है : सरकारी कर्मचारी काम नही करते. तो फिर सरकार कैसे चल रही है ? बेच देना कोई समाधान नही है.

RBI की ‘फाइनेंसियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट’ जनवरी 2021 : 2014-2020 में 18 लाख करोड़ नए NPA जुड़े है. NPA का एक अर्थ ये भी है कि व्यापार खत्म हो रहा है और जनता की जेब खाली है. यही NPA 1952-2014 तक केवल 2.5 लाख करोड़ था.

सरकार का काम व्यापार करना है या नही ये एक अलग मुद्दा है. पर सरकार का काम चोरों को पकड़ना है, भगाना नही है. मोदी ने बैंक चोरों से चन्दा लिया और उन्हें विदेश भगा दिया.

अगर बैंक बेचना ही है तो बैंको को 2014 के लेवल पर लाओ. अडानी, अम्बानी से लोन/NPA वापस लो और फिर बैंको का वैल्यूएशन करो, जो वैल्यूएशन आएगी उस पर अमेरिका की RBI की भी औकात नही होगी कि भारत का सरकारी बैंक खरीद ले.

मोदी अपनी चोरी का सबूत मिटाना चाहता है पर बैंक किसी दामोदर ने नही बनाई थी,  न ही किसी हीरा के दहेज में बैंक मिली थी. बैंक देश की जनता की है. एक भी बैंक बिका तो रास्तो पर जनता दौड़ाएगी और तुम्हे बचाने वाला कोई नही होगा.

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उत्तर भारत के युवाओं के दिमाग को प्रोग्राम कर दिया गया कि हिंसा नफरत, दंगा और गरीबी ही आपका काम है. आधे पेट खाना और अधनंगा रहना ही जीवन है. अगर परिवार खत्म भी हो जाता है तो वो देश के लिए कुरबानी है. अपराधी बनना ही जीवन का उद्देश्य है.

इन्हें विदेश की छोड़िए, भारत के अलग अलग हिस्सों में जीवन कितना उन्नत हो चुका है, ये भी मालूम नही है. अगर इन युवाओं को यूरोप के देशों में भेज दिया जाए तो ये लोग ‘कल्चरल शॉक’ से मर जाएंगे. उधर जब ‘चूम्मा लेना’ देखेंगे तो संस्कृति बचाने को दिल मचलना तय है और कूटाई भी तय है.  ऊपर से कपड़े, खाना, शिक्षा वगैरह को देखते ही तड़ीपार अमित शाह को फोन कर बोलेंगे : इधरे हमको पन्ना परमुख बनाय दीजिए. संस्कृति पूरा भिरस्ट हो गया है.

उत्तर भारत के युवाओं को लगता है कि पूरा देश दुश्मनों से घिरा हुआ है और वो दुश्मनों से देश की रक्षा कर रहे है. सारे गोबरमुरख है. देश दुश्मनों से घिरा हुआ तो है, पर वो दुश्मन अशिक्षा, गरीबी, धर्मांधता, बेरोजगारी है..

उत्तर भारत और Rest Of India के बीच आर्थिक Gap बढ़ता जा रहा है. इस Gap की अपनी एक सीमा या Elasticity है. जिस दिन ये सीमा टूटेगी उस दिन देश मे क्या होगा ये बताना मुश्किल है, पर उत्तर भारत आज भारत और पूरे एशिया के विकास के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है. आर्थिक बोझ और सामाजिक खतरा कौन कितने दिन तक बर्दाश्त करता है ?

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देश का गृहमंत्री अमित शाह केवल तड़ीपार ही नही था, तड़ीपार अमित शाह को CBI ने 2011 में कोर्ट में हलफनामा दे कर गुजरात के ‘हफ्ता वसूली गैंग का लीडर’ बताया था. गोदी मीडिया क्यो नही बताता ?

केवल इतना ही नही केतन पारिख शेयर घोटाले में अमित शाह पर 2 करोड़ की घूस के भी आरोप थे. गैरक़ानूनी एनकाउंटर यानी लोगो की हत्या का भी आरोप था.

मोदी की महिला मित्र मानसी सोनी प्रसंग में मानसी सोनी की जासूसी के अमित शाह के ऑडियो टेप तो आज भी वायरल है. क्या सर्विस देता था अपने मालिक मोदी को ?

ऐसे महान तड़ीपार, हफ्ता वसूली वाले का ‘महान क्रिकेटर’ बेटे की कमाई 50,000 से 80 करोड़ हो जाती है, पर गोदिमीडिया चुप !! तड़ीपार अमित शाह की पत्नी की कमाई 5 सालो में 14 लाख से 2.3 करोड़ हो जाती है. कौन सा ऐसा धन्धा है जिसमे देश की दूसरी महिलाएं इतना नही कमा पाती ? गोदी मीडिया बताए ?

तड़ीपार अमित शाह के परिवार की कमाई हज़ारों गुना बढ़ जाए तो भी ये साहूकार है और दुसरो की कमाई बढ़े तो वो चोर है ? वाह ! और ऐसा तड़ीपार अमित शाह जब दुसरो पर आरोप लगाता है तो पता चलता है कि संघी कितने बेशर्म और भ्रष्टाचारी होते है.

ये लोग कोई राष्ट्रवादी नही है. ये चोर, उचक्के, भ्रष्ट लोग है और जिन्नाह/ब्रिटिश के वंशज है. संघी गैंग इज्जत देने लायक नही है. इन्हें तथ्यों के साथ जलील, अपमानित करना ही देशभक्ति है.

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भारत एशिया और पूरे विश्व के विकास के लिए एक ‘Global Threat’ बन चूका है. Pew Research की ताजा रिपोर्ट में इस बात को खुल कर लिखा गया है. एक वहशी संघी, दरिंदा संघी, मूर्खराज संघी ने भारत का सत्यानाश कर दिया. रक्तपिपासु, रेपिस्टों के संघी सरदार ने भारत का सामाजिक स्ट्रक्चर तहस-नहस कर दिया. जानिए Pew की रिपोर्ट को-

याद कीजिए मोदी की मूर्खता जब मोदी ने संसद में मनरेगा का मजाक उड़ाया था और आज मनरेगा ने ही गरीबो को बचाया. भारत का मूर्खश्रेष्ठ PM. भारत मे गरीबो की संख्या 13.4 करोड़ हो सकती है जबकि इसका अनुमान 5.9 करोड़ था. यानी गरीबो की संख्या भी दुगनी कर दी.  (गांधी के हत्यारों ने देश के हर ‘गांधी’ यानी गरीब को मार डाला).

सुनो संघ/बीजेपी के गोबरमूर्खो, नेहरुजी से डॉ मनमोहन सिंह जैसे संतो की 70 साल की तपस्या को संघी आतंकियों ने बरबाद कर दिया. तुम भी बरबाद हो चूके हो.  एक आतंकी हरदम मंदबुद्धि होता है क्योंकि आतंकी की सोच में केवल हिंसा होती है. भारत में एक आतंकी संगठन के गुर्गे सत्ता में है और देश की जनता पर आर्थिक आतंकवाद का कहर ढाया जा रहा है.

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भारत का संविधान केंद्र और राज्य में एक दल की सरकार की वकालत नही करता. बहुदलीय संसदीय व्यवस्था में कोई भी पार्टी कही भी सरकार बना सकती है तो मोदी की ‘डबल इंजन की सरकार’ संविधान विरोधी बकवास है. ‘गटर की गैस से चाय बनती है’ जैसी एक मंदबुद्धि बात है.

मोदी की बातों को सीरियसली मत लीजिए. मोदी कोई शिक्षित या तार्किक व्यक्ति नही है. नाही PM मटेरियल है. बस बिल्ली के भाग्य में छींका टूटा है. मोदी एक संघी है. आपराधिक, नफरती सोच है. आर्थिक, सामाजिक ज्ञान नही है. गालीबाज है, असभ्यता और बदतमीजी ट्रेडमार्क है. मूर्खतापूर्ण बातें करना फितरत है. मोदी की हर बात को कॉमन सेंस से परखिए, आपको बेवकूफी का एक चलता फिरता टोकरा दिखाई देगा.

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग

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