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3 नवंबर से पदयात्रा पर निकलेंगे शहडोल कमिश्नर राजीव शर्मा

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भोपाल। मध्यप्रदेश के एक आइएएस ऑफिसर को पद यात्रा करना है। वे अगले तीन दिनों तक नर्मदा किनारे के क्षेत्रों की पद यात्रा करेंगे। खास बात यह भी है कि वे ग्रामीणों के बीच रात भी बिताएंगे। नर्मदा किनारे बसे गांवों और नर्मदा परिक्रमा वासियों की समस्याओं को बारीकी से जानने उन्होंने यह फैसला लिया है।

मध्यप्रदेश के शहडोल कमिश्नर आएएस आफिसर राजीव शर्मा 3 नवंबर से 6 नवंबर तक अमरकंटक क्षेत्र के भ्रमण पर रहेंगे। इस दौरान वे परिक्रमावासियों और नर्मदा किनारे बसे गांवों के लोगों के साथ रात भी बिताएंगे। इसके साथ ही वे नर्मदा को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखने का भी संदेश देंगे।


शहडोल कमिश्नर राजीव शर्मा कहते हैं कि देशभर से यहां मां नर्मदा पर आस्था रखने वाले श्रद्धालु पहुंचते हैं। कुछ देश के कई क्षेत्रों से पैदल परिक्रमा करते हुए यहां आते हैं, लेकिन कई बार हम और हमारे अधिकार इन गांवों तक नहीं पहुंच पाते हैं। इस वजह से समस्याएं जस की तस रहती हैं। इसी वजह से अब परिक्रमावासियों के रूट पर पैदल तीन दिन भ्रमण करने का निर्णय लिया है। यहां पर ग्रामीणों के साथ परिक्रमावासियों से भी चर्चा भी करेंगे कि परिक्रमा के दौरान कौन-कौन सी समस्याएं आ रही हैं। इन क्षेत्रों को विकास से जोड़ने की दिशा में भी बाद में कार्ययोजना बनाएंगे।

परिक्रमावासियों के साथ रात भी रुकेंगे

कमिश्नर राजीव शर्मा परिक्रमावासियों के साथ दो रात परिक्रमा स्थल पर ही रुकेंगे। कमिश्नर का कहना था कि परिक्रमावासी जिन सुविधाओं का उपयोग करते हैं, उन्ही के साथ वे भी नर्मदा किनारे पदयात्रा करेंगे। उनकी समस्याओं को करीब से जानेंगे।

नर्मदा परिक्रमा के लिए यह दो रूट

नर्मदा किनारे परिक्रमा के लिए दो रूट हैं। इसमें कमिश्नर किसी एक रूट पर जाएंगे। ऊपर तट पर 5 किमी बाद डिंडौरी है। माई की बगिया (mai ki bagiya) से परिक्रमा शुरू होगी। पहला ठहरने का स्थान 15 किमी दूर पंचधारा (panchdhara) फिर 35 किमी में शिवनी संगम, 45 किमी में शीशघाट है। इसी तरह दूसरे रूट में पंचकोशी नर्मदा परिक्रमा है। यह 35 किमी का क्षेत्र है। माई की बगिया से सोन मूड़ा, कबीर चबूतरा, बालको, पंचधारा, कपिलधारा, जालेश्वर, दुर्गाधारा, नर्मदा मंदिर और माइ की बगिया में वापसी है।

परिक्रमावासियों ने बताई थी समस्या

राजीव शर्मा कहते हैं कि कुछ दिन पहले वे एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। तभी ग्रामीण और परिक्रमावासियों ने उन्हें कई समस्याएं बताई थीं। इसके बाद उन्होंने पदयात्रा का निर्णय लिया। ग्रामीणों का कहना था कि कुल्हाड़ी नदी में पुल नहीं है। पुल होने से डिंडौरी आसानी से जुड़ जाएगा। इसी तरह नर्मदा किनारे सामुदायिक भवन नहीं है। सामुदायिक भवन बनने से ग्रामीण व परिक्रमावासियों को काफी राहत मिलेगी।

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