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शेयर घोटाले का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

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लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद शेयर बाजार में आई गिरावट का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर कर केंद्र सरकार और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) को लोकसभा 2024 के चुनाव नतीजों के बाद शेयर बाजार में आई गिरावट और निवेशकों को हुए नुकसान पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देने की मांग की गई।

यह आवेदन एडवोकेट विशाल तिवारी ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले में दायर रिट याचिका में अंतरिम आवेदन के रूप में दायर किया। उस रिट याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जनवरी में भारत सरकार और सेबी को भारतीय निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए नियामक ढांचे को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर विचार करने का निर्देश दिया।अदालत ने आगे निर्देश दिया था कि सेबी और केंद्र सरकार की जांच एजेंसियां इस बात की जांच करेंगी कि क्या हिंडनबर्ग रिसर्च और किसी अन्य संस्था द्वारा शॉर्ट पोजीशन लेने के कारण भारतीय निवेशकों को हुए नुकसान में कानून का उल्लंघन शामिल है। यदि ऐसा है तो उचित कार्रवाई की जाएगी।”

आवेदन में आवेदक एडवोकेट विशाल तिवारी ने यह भी तर्क दिया है कि यह स्पष्ट नहीं है कि सेबी ने न्यायालय के आदेश के अनुपालन में लंबित जांच पूरी की, या नहीं और क्या न्यायालय में कोई रिकॉर्ड प्रस्तुत किया गया।यह जनता और निवेशकों का जानने का अधिकार है, जिन्होंने नुकसान उठाया है कि क्या किसी कॉर्पोरेट समूह द्वारा कुछ अनियमितताओं और उल्लंघनों के कारण हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद भारतीय शेयर बाजार में गिरावट आई, जिससे जनता के पैसे को बड़ा नुकसान हुआ। इस संबंध में सेबी द्वारा की गई जांच के परिणाम को रिकॉर्ड में रखा जाना चाहिए, जिससे चीजें छिपी और दबी न रहें।

इस आवेदन के माध्यम से तिवारी ने इस निर्देश के अनुपालन के लिए भी प्रार्थना की, अर्थात, अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सेबी यह जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाए। तिवारी ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई। मीडिया की खबरों का सहारा लेते हुए उन्होंने कहा कि नुकसान लगभग 20 लाख करोड़ रुपये था।

आगे कहा गया,”इससे स्टॉक एक्सचेंज के विनियामक तंत्र पर फिर से सवालिया निशान खड़ा हो गया और 2023 में हुए नुकसान के बाद भी यही दोहराया गया। माननीय न्यायालय के चेतावनी भरे निर्देश के बावजूद कुछ भी नहीं बदला। ऐसा कहा जाता है कि लोकसभा 2024 के नतीजों के संबंध में एग्जिट पोल की घोषणा के बाद शेयर बाजार में उछाल आया लेकिन जब वास्तविक नतीजे घोषित किए गए तो शेयर बाजार में भारी गिरावट आई।

दरअसल लोकसभा चुनाव के लिए सातवें चरण का मतदान 1 जून को शाम 6 बजे खत्म हो गया था. इसके बाद तमाम मीडिया हाउस की ओर से एग्जिट पोल जारी किए गए, जिसमें बीजेपी और एनडीए को भारी बहुमत से चुनाव में जीत हासिल करने की संभावना जताई गई। फिर 3 जून सोमवार को स्टॉक मार्केट खुला और एग्जिट पोल के अनुमानों के असर के चलते बाजार में रिकॉर्ड तोड़ तेजी देखने को मिली।

चुनावी नतीजों से एक दिन पहले तीन जून को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स इंडेक्स 2000 प्वाइंट चढ़कर ओपन हुआ था और दिनभर के कारोबार के दौरान अपने नए ऑल टाइम हाई 76,738.89 के स्तर को छू लिया था। बीएसई सेंसेक्स 2507.47 प्वाइंट यानी 3.39% की उछाल के साथ 76,468.78 पर बंद हुआ था। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 600 प्वाइंट की तेजी के साथ खुला और कुछ ही देर में 23,338.70 का रिकॉर्ड हाई छू लिया। शाम को निफ्टी 733.20 प्वाइंट यानी 3.25% की तेजी के साथ 23,263.90 के स्तर पर बंद हुआ। 3 जून को शेयर बाजार में इस तेजी के चलते निवेशकों ने करीब 13 लाख करोड़ रुपये की कमाई की थी।

मंगलवार 4 जून को सुबह 8 बजे चुनावी नतीजे आना शुरू हुए. असल में चुनाव नतीजे एग्जिट पोल के मुताबिक नहीं आए। इस कारण शेयर मार्केट में सुनामी आ गई और सेंसेक्‍स-निफ्टी भरभरा कर गिर गए।सुबह 9:15 बजे कारोबार शुरू होते ही गिरावट का सिलसिला शुरू हुआ और नीचे गिरता ही चला गया।बीएसई का सेंसेक्स 1700 प्वाइंट्स टूटकर खुला था और दोपहर 12.20 बजे तक 6094 प्वाइंट्स की गिरावट लेते हुए 70,374 पर आ गया। वहीं निफ्टी इंडेक्स करीब 1947 प्वाइंट्स की भारी गिरावट के साथ 21,316 के लेवल पर पहुंच गया था। इस तरह बीएसई का मार्केट कैप एक ही दिन में करीब 31 लाख करोड़ रुपये कम हो गया था।

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने दो दिन बाद 6 जून को कांग्रेस पार्टी ने शेयर बाजार में 30 लाख करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस मार्केट क्रैश को स्टॉक मार्केट के इतिहास का सबसे बड़ा स्कैम बताया। उन्होंने इसके लिए पीएम मोदी, अमित शाह और निर्मला सीतारमण पर सीधा निशाना साधा।

राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल उठाते हुए कहा, “पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने देश की जनता को निवेशकों को बाजार में निवेश करने की सलाह क्यों दी? शेयर बाजार में 4 जून को रिकॉर्ड तेजी की उम्मीद क्यों जगाई? प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, उनके लिए काम कर रहे एक्जिट पोल्स्टर्स और मीडिया ने मिलकर देश के सबसे बड़े ‘स्टॉक मार्केट स्कैम’ की साजिश रची।एक ही दिन में 5 करोड़ छोटे निवेशकों के 30 लाख करोड़ रुपये डूब गए।

उन्होंने कहा कि शेयर बाज़ार पर प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के बयान व एग्ज़िट पोल और फिर नतीजे के बीच एक क्रोनोलॉजी है। उन्होंने इसके लिए गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। यह लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद राहुल की ऐसी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस थी। बीजेपी ने राहुल के इन आरोपों को खारिज कर दिया है। कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने कहा है कि राहुल गांधी निवेशकों को गुमराह करने की साज़िश रच रहे हैं।

राहुल गांधी ने एग्जिट पोल के नतीजों की घोषणा के समय शेयर बाजार में तेजी और गिरावट की जेपीसी यानी संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की। राहुल ने पूछा, ‘प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने 5 करोड़ परिवारों को निवेश की सलाह क्यों दी? भाजपा, फर्जी पोल करने वालों और संदिग्ध विदेशी निवेशकों के बीच क्या संबंध है, जिन्होंने एग्जिट पोल की घोषणा से एक दिन पहले निवेश किया और 5 करोड़ परिवारों की कीमत पर भारी मुनाफा कमाया?’

राहुल ने आगे कहा कि भाजपा के आंतरिक आधिकारिक सर्वेक्षण में उनके लिए 220 सीटों का अनुमान लगाया गया था। उन्होंने दावा किया, ‘खुफिया एजेंसियों ने सरकार को बताया था कि उन्हें 200-220 सीटें मिलेंगी। शेयर बाजार 3 जून को सारे रिकॉर्ड तोड़ देता है और 4 जून को बाजार गर्त में चला जाता है। राहुल ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह दोनों ने एक समाचार चैनल को साक्षात्कार क्यों दिया, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि इसका स्वामित्व उसी व्यापारिक समूह के पास है जो शेयरों में हेरफेर करने के लिए सेबी की जांच के दायरे में है।

इसके पहले टीएमसी सांसद साकेत गोखले ने 2024 के एग्जिट पोल के जरिए शेयर बाजार में कथित हेरफेर की जांच के लिए सेबी को पत्र लिखा।टीएमसी नेता ने सेबी से यह जांच करने को कहा है कि क्या ऐसी कोई संस्थाएं थीं, जिन्होंने 3 जून को बिकवाली के जरिए मुनाफा कमाया और 4 जून को शॉर्ट सेलिंग के जरिए और भी अधिक मुनाफा कमाया और क्या इनमें से किसी संस्था का भाजपा या एक्सिस माईइंडिया जैसे पोलस्टर्स के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध है।

एग्जिट पोल के जरिए शेयर बाजार में कथित हेरफेर की विनियामक जांच की मांग तेज हो गई है। राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को पत्र लिखकर एग्जिट पोल, खास तौर पर एक्सिस माईइंडिया की जांच की मांग की है।

सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को लिखे अपने पत्र में गोखले ने आरोप लगाया कि एक्सिस माईइंडिया ने अपने एग्जिट पोल में बीजेपी-एनडीए की सीटों की संख्या को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया, जिसके बाद भारतीय शेयर बाजार में तेजी आई। हालांकि, वास्तविक चुनाव परिणामों और एग्जिट पोल की भविष्यवाणियों के बीच काफी अंतर सामने आया, जिसके परिणामस्वरूप अगले दिन शेयर बाजार में भारी गिरावट आई।

“मैंने सेबी को पत्र लिखकर एग्जिट पोल (खास तौर पर एक्सिस माईइंडिया) की जांच की मांग की है, जिसमें बीजेपी-एनडीए की सीटों की संख्या को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। बंगाल में, उन्होंने बीजेपी के लिए 26-31 सीटों की भविष्यवाणी की थी, जबकि वास्तव में उसे सिर्फ़ 12 सीटें मिलीं। यह 116-158% की बहुत ज़्यादा वृद्धि है। यह किसी भी मानक त्रुटि सीमा से कहीं ज़्यादा है,” गोखले ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा।

गोखले ने कहा, “शेयर बाजार में तेजी लाने के लिए एग्जिट पोल में साफ तौर पर हेराफेरी की गई थी। कल बाजार में भारी गिरावट के बाद निवेशकों के लाखों करोड़ रुपये डूब गए। यह पता लगाने के लिए जांच होनी चाहिए कि क्या एक्सिस माईइंडिया जैसे पोलस्टर्स ने जानबूझकर भाजपा के लिए एग्जिट पोल को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया था। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि एक्सिस माईइंडिया के पास भी भाजपा का क्लाइंट था।”

उन्होंने आगे कहा कि जांच में यह भी पता लगाया जाना चाहिए कि क्या भाजपा और किसी भी चुनाव एजेंसी ने एग्जिट पोल के जरिए शेयर बाजारों में हेरफेर करके करोड़ों रुपये कमाए हैं।

जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार

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