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शेखावत का भी इंकार

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जब सारे देश के राजनितिज्ञ जानते हैं कि इन्दौर पिछले 35 सालों से भाजपा के हाथ में है इंदौर में किसी दूसरी पार्टी के कैंडिडेट को जीतना उतना ही मुश्किल है जितना छिंदवाड़ा की सीट को कांग्रेस से छीनना । जिस तरह छिंदवाड़ा जाकर  कोई भी भाजपाई अपने दम पर जीतने की हिम्मत नहीं कर रहा है (पहले दम भरने वाले “” ठाकुर””  भी बगले झांक रहे हैं ) उसी तरह इन्दौर में कांग्रेसियों का हाल है ।

भंवर सिंह शेखावत कांग्रेस में गया हुआ भारतीय जनता पार्टी का ऐसा नेता है जिसके भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय रहते  इंदौर में लोकसभा का चुनाव जीता गया और आज स्थिति यह हो गई है कि खुद अपने आप को विधायक बनाने के लिए गणवेश और पार्टी को छोड़कर कांग्रेस में गये भंवर सिंह शेखावत में भी दम नहीं है कि वह किसी भी पार्टी के लिए अपने आप को इस तरीके से कुर्बान कर पाए जिस तरीके की कुर्बानी कांग्रेस को इंदौर में चाहिए ।

*देवलिया का ‘राजनीतिक दिवालिया’..? शून्य हुआ निर्वाचन…*

इंदौर के वार्ड 44 की भाजपा पार्षद निशा देवलिया का ”राजनीतिक दिवालिया” होते हुए उनका निर्वाचन शून्य घोषित किया गया… नंदिनी पिंटू मिश्रा विजयी घोषित हुईं… न्यायाधीश श्री मुकेश नाथ द्वारा उक्त निर्णय लिया गया… देवलिया ने चुनाव के दौरान शपथ-पत्र में कमर्शियल मकान की जानकारी छिपा उसके जगह आवासीय भवन बताया था… मामला देवलिया के छोटी खजरानी स्थित 1600 वर्गफिट भवन का रहा..!

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