भोपाल। शिवपुरी विधानसभा वह सीट है, जहां पर न कोई मुद्दे मायने रखते हैं और न ही जाति समीकरण, यहां पर सिर्फ और सिर्फ महल का सिक्का चलता है। यही वजह है कि 2008 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए तो यशोधरा यहां से 1998 से लगातार जीत दर्ज कर रहीं हैं। शिवपुरी पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। शिवपुरी कई ऐतिहासिक विरासत समेटे हुए है। यशोधरा राजे सिंधिया स्थानीय विधायक और शिवराज सरकार में खेल मंत्री हैं। इसके बाद भी करीब ढाई लाख की आबादी वाले शहर को पेयजल और सीवर लाइन जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं। विपक्ष का आरोप है कि विधायक के रोजगार मंत्री होने के बावजूद यहां के युवा बेरोजगार हैं और क्षेत्र से पलायन कर रहे हैं।
महल फैक्टर होने की वजह से शिवपुरी का सियासी समीकरण बदलेगा ऐसी संभावना कम ही है। हालांकि जहां तक वायदों को पूरा करने की बात है तो वो महल उम्मीदवार होने के बाद भी अब तक अधूरे हैं। शिवपुरी में सिंध नदी का पानी लाने की वायदे को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है। मूलभूत सुविधाओं को लेकर भी शिवपुरी की जनता परेशान है। प्रत्याशी की बात की जाए तो भाजपा से एकमात्र नाम यशोधरा राजे सिंधिया के सामने कमलनाथ, हरिवल्लभ शुक्ला को उतारना चाहते हैं ,परंतु कमलनाथ की टीम का एक वर्ग हरिवल्लभ शुक्ला के पक्ष में नहीं है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष विजय सिंह चौहान का कहना है कि प्रदेश में बदलाव की लहर है। जनता ठान चुकी है इस बार कमलनाथ में नेतृत्व में कांग्रेस को प्रदेश की सत्ता सौंपना है। जहां तक कांग्रेस उम्मीदवार की बात है तो हम ऐसा चेहरा सामने लाएंगे जो न तो महल से डरेगा और ना ही दबेगा। सभी 290 पोलिंग बूथों पर चार महीने पहले एजेंट नियुक्त कर दिए जाएंगे। शिवपुरी में विकास के नाम पर सिर्फ जनता से छलावा हुआ है। रोजगार नहीं है। युवा पलायन कर रहे हैं। नशे का कारोबार बढ़ रहा है।
सियासी समीकरण
यह सीट हमेशा से ही महल के प्रभाव में रही है। 1980 और 1985 के चुनाव में स्व. माधव राव सिंधिया के करीबी रहे गणेश गौतम जीते। शिवपुरी विधानसभा सीट पर 1998 से यशोधरा लगातार जीत रही हैं। कांग्रेस ने सिर्फ एक बार 2008 में उपचुनाव जीता। 2007 में ग्वालियर से लोकसभा चुनाव यशोधरा के उतरने से सीट खाली हुई थी। 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में यशोधरा राजे सिंधिया ने हरिवल्लभ शुक्ला को 7300 वोटों से हराया था। 2003 में दूसरी बार राजे ने 25 हजार से ज्यादा मतों से कांग्रेस के गणेशराम गौतम को मात दी। ग्वालियर से लोकसभा उपचुनाव लडऩे की वजह से 2007 में यशोधरा राजे को शिवपुरी सीट छोड़नी पड़ी। इसके बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के वीरेंद्र रघुवंशी ने बीजेपी के गणेश गौतम को हराया था। 2008 में बीजेपी ने माखनलाल राठौर को मैदान में उतारा। इस चुनाव में राठौर ने कांग्रेस के वीरेंद्र रघुवंशी को 1751 वोटों से हराया। 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में राजे को एक बार फिर बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में राजे ने कांग्रेस के वीरेंद्र रघुवंशी को 11 हजार से ज्यादा मतों से हराया। 2018 में यशोधरा ने कांग्रेस के युवा नेता सिद्धार्थ लाडा को 28,748 वोटों से हराया।
शिवपुरी के अहम मुद्दे
अगर शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र की समस्या के बारे में बात की जाए तो पानी की कमी यहां की सबसे बड़ी समस्या है। शहर की प्यास बुझाने के लिए सिंध जल आवर्धन योजना शुरू की गई थी, लेकिन 140 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च करने की बाद लोगों को अब तक राहत नहीं मिल पाई है। पानी के बाद रोजगार यहां का अहम मुद्दा है। 2016 में उद्योग मंत्री रहते हुए यशोधरा राजे सिंधिया ने फूड पार्क की नींव रखी थी। इसके लिए बड़ौदी के पास 13 हेक्टेयर जमीन को रिजर्व किया गया था, लेकिन 6 साल निकलने के बाद भी एक भी इकाई यहां पर नहीं लग पाई। सीवेज सिस्टम ना होने से लोग परेशान हैं। इसको लेकर लोगों ने कई बार प्रदर्शन भी किया, लेकिन कोई हल नहीं निकला। ड्रेनेज सिस्टम ठीक ना होने से बारिश में शहर में बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं।
विकास के अपने-अपने दावे
विधानसभा क्षेत्र में विकास पर लोग बंटे हुए हैं। क्षेत्र के एडवोकेट संजीव बिलगैंया का कहना है कि बड़े प्रोजेक्ट आते हैं, पर पूरे नहीं होते। हमारी विधायक की राजनीतिक पृष्ठभूमि मजबूत होने के कारण यहा काफी बड़े-बड़े प्रोजेक्ट स्वीकृत हो जाते हैं, परंतु इन सभी प्रोजेक्ट के धरातल पर उतरने के बाद इनकी मॉनिटरिंग उस स्तर की नहीं हो पाती, जिस स्तर पर होनी चाहिए। इसी का परिणाम है कि कई प्रोजेक्ट की गुणवत्ता दोयम दर्जे की रहती है। दूसरा हमारी विधायक को आम जनता से सीधा संवाद नहीं हो पाता है। वहीं मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया का कहना है कि मुझे तो बस अपने शिवपुरी को बढिय़ा बनाना है। थीम रोड का काम हो रहा है। डैम का काम करवा रहे हैं। नगरपालिका के काम शुरू हैं। किसी को हृदय रोग है। किसी को पढ़ाई के लिए पैसा चाहिए, इन्हें मदद कर मैं तो अपना कर्तव्य निभा रही हूँ। हमारे यहा स्टेडियम में भी लगातार खेल गतिविधियां चल रही हैं।
जातिगत समीकरण
शिवपुरी विधानसभा में सीट पर जातिगत समीकरण मायने नहीं रखते हैं। यहां महल का असर है। शिवपुरी विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा वैश्य वोटर्स हैं। दूसरे नंबर पर आदिवासी वोटर्स हैं। यहां वैश्य 50 हजार, आदिवासी 40 हजार, ब्राह्मण वोटर्स 20 हजार हैं। शिवपुरी विधानसभा सीट में कुल वोटर्स 2 लाख 22 हजार 539 हैं, जिसमें 1 लाख 24, हजार 771 पुरुष, वहीं 1 लाख 10 हजार 075 महिला वोटर्स हैं। माना जाता है कि शहरी वोटर्स जिसके पक्ष में जाता है, जीत उसी की होती है।