कर्ज लेकर घी पी रही हे शिवराज सरकार…फिर से दो हजार करोड़ का कर्ज ले रही है सरकार
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चुनाव के ठीक पहले वादों को पूरा करने में जुटी सरकार एक बार फिर से नया कर्ज लेने जा रही है। इस पखवाड़े में यह तीसरा मौका है, जब सरकार द्वारा कर्ज लिया जा रहा है। दरअसल अगले माह के पहले ही पखवाड़े में चुनावी आचार संहिता लागू होने की संभावना के चलते प्रदेश सरकार अपनी घोषणाओं पर तेजी से अमल करने में लगी हुई है, जिसके लिए लगातार पैसों की जरूरत पड़ रही है। दरअसल सरकारी खजाने की स्थिति अच्छी नहीं होने की वजह से सरकार को कर्ज लेकर काम चलाना पड़ रहा है। यही वजह है कि पहले एक हजार और फिर पांच सौ करोड़ और अब दो हजार करोड़ का नया कर्ज लिया जा रहा है। इस बार सरकार यह नया कर्ज मौजूदा वित्तीय वर्ष में सबसे कम समयावधि के लिए लेने जा रही है। नए कर्ज के लिए वित्त विभाग ने जो कार्यक्रम तय किया है, उसके मुताबिक 26 सितंबर को भारतीय रिजर्व माध्यम से ऑक्शन कार्यवाही पूरी की जाएगी, इसके बाद ही यह पता चल सकेगा की मप्र को किन वित्तीय संस्थाओं और बैंकों ने कर्ज देना मंजूर किया है। नए कर्ज के लिए सरकार अपनी सिक्युरिटीज को गिरवी रखेगी। अब तक सरकार 4 बार में 7500 करोड़ रुपए कर्ज ले चुकी है। नए कर्ज को मिलाकर ये आंकड़ा अब 9500 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। 22 सितंबर से पहले 13 सितंबर को 1000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया था। अगर इस वित्तीय वर्ष की बात की जाए तो अब तक सरकार बाजार से 4 बार में 7500 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। इसके बाद अब यह पांचवी बार कर्ज लिया जा रहा है। सरकार पर मौजूदा वित्तीय वर्ष 2023-24 की अवधि में कर्ज को नया बोझ बढक़र 9500 करोड़ रुपए हो जाएगा। इसके पहले 26 मई को 2 हजार करोड़ रुपए और 9 जून को 4000 करोड़ रुपए का कर्ज उठाया गया था।
क्यों पड़ रही जरूरत
प्रदेश में शासकीस सेवा से जुड़े हुए अलग-अलग संवर्गों के लिए चाहे वेतन का मामला हो या फिर मानदेय का मामला हो या फिर अन्य तरह के पारितोषिक का ही मामला क्यों न हो। सरकार पर इन बढ़े हुए वेतन या फिर मानदेय का बोझ अगले माह से ज्यादा बढ़ जाएगा। इसी तरह अब सरकार हर हाल में माह की एक तारीख को वेतन देना सुनिश्चित करने जा रही है। इधर लाड़ली बहना योजना सहित बहनों को 450 रुपए में गैस सिलेंडर देने के वादे को भी पूरा करने जा रही है। जिसके लिए सरकार को नगद राशि की जरूरत है।
यह है पात्रता
इस वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज ले सकती है। मप्र के लिए जो लिमिट तय की गई है, उस हिसाब से वह जीएसडीपी का 3.5 फीसदी तक कर्ज बाजार से उठा सकता है। इस लिहाज से वित्तीय वर्ष की पहली छहमाही में 9500 करोड़ रुपए की राशि बेहद कम ही मानी जा रही है। उधर, सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आचार संहिता लगने से पहले अभी और कर्ज लिया जा सकता है। संभव है कि सरकार एक बार और बाजार से कर्ज उठाए। मप्र पर 31 मार्च 2023 की अबधि में 3 लाख 31 हजार 651 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है जो कि वित्तीय वर्ष 2023-24 की अवधि के कुल बजट 3 लाख 14 हजार करोड़ रुपए से अधिक है।
इस वर्ष कब कितना लिया कर्ज
अगर वर्ष 2023 की बात करें तो सरकार ने इस साल 25 जनवरी को 2000 करोड़, 2 फरवरी को 3000 करोड़ ,9 फरवरी को 3000 करोड़, 16 फरवरी को 3000 करोड़ , 23 फरवरी को 3000 करोड़, 2 मार्च को 3000 करोड़, 9 मार्च को 2000 करोड़, 17 मार्च को 4000 करोड़, 24 मार्च को 1000 करोड़ , 29 मई को 2000 करोड़, 14 जून को 4000 करोड़ रुपए और 13 सितंबर को 1000 करोड़ रुपए और 22 सितंबर को 500 करोड़ का कर्ज लिया गया है।