समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करना केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना है। इससे जुड़े बिल को 20 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र में संसद में पेश किए जाने की चर्चा चल रही है। लेकिन यूसीसी की जरूरत पर बहस छिड़ी है। कई दल इसके साथ तो कई इसके खिलाफ है। इस बीच शुक्रवार को यूसीसी के मुद्दे पर केंद्र सरकार को एक बड़ा झटका तब लगा जब लंबे समय तक एनडीए का साथ निभाने वाली सहयोगी पार्टी ने यूसीसी की मुखालफत की। दरअसल शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की लंबे समय तक साथ निभाने वाली शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने यूसीसी का विरोध किया। अकाली दल ने कहा कि देशव्यापी अंतर-धार्मिक सहमति के बिना UCC को लागू करना गलत है। इससे अल्पसंख्यकों के बीच भय पैदा करेगा। साथ ही यह संविधान की भावना का उल्लंघन होगा।
बादल बोले- भारत विविधता में एकरूपता का प्रतीक
शिरोमणि अकाली दल ने शुक्रवार को कहा कि 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का प्रस्ताव दिया था जो देश के हित में नहीं है। आयोग के सदस्य (सचिव) को भेजे पत्र में पार्टी अध्यक्ष सुखबीर बादल ने लिखा, ”एकरूपता को एकता के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए। भारत विविधता में एकता का प्रतीक है, एकरूपता में नहीं। केवल एक सच्चा संघीय ढांचा ही हमारी समस्याओं का समाधान कर सकता है और भारत को एक वैश्विक महाशक्ति बना सकता है।”
शांति और सांप्रदायिक सद्भाव जरूरी
मोदी सरकार से यूसीसी के विचार को आगे नहीं बढ़ाने का आग्रह करते हुए बादल ने केंद्र से इस मुद्दे पर कोई भी फैसला लेने से पहले देशभक्त सिख समुदाय की भावनाओं का सम्मान करने की अपील की है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि संवेदनशील सीमावर्ती राज्य पंजाब में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव हमेशा सर्वोच्च राष्ट्रीय प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए। एएसडी अध्यक्ष ने आयोग को यह भी बताया कि पार्टी ने राज्य और बाहर विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया है।
UCC से अल्पसंख्यक की स्वतंत्रता होगी प्रभावित
सुखबीर सिंह बादल ने आगे कहा कि उसके आधार पर, हमने जो व्यापक धारणा बनाई है वह यह है कि यदि यूसीसी लागू होता है तो निश्चित रूप से विभिन्न जाति, पंथ और धर्मों के अल्पसंख्यक समुदायों की स्वतंत्रता प्रभावित होगी। पत्र में यह भी कहा गया है कि चूंकि प्रस्तावित यूसीसी का कोई मसौदा तैयार नहीं किया गया है और विभिन्न धर्मों के वर्तमान व्यक्तिगत कानूनों में प्रस्तावित संशोधनों के संबंध में विधि आयोग द्वारा जारी नोटिस के साथ प्रसारित नहीं किया गया है, इसलिए इस मुद्दे पर कोई ठोस सुझाव देना असंभव है।
जनजातियों को भी प्रभावित करेगा UCC
पत्र में यह भी कहा गया है कि प्रस्तावित कानून के सभी विवरणों को अंडरलाइन करते हुए एक मजबूत मसौदा तैयार किया जाना चाहिए। इस मसौदे को पूरे देश में लोगों के बीच प्रसारित किया जाना चाहिए ताकि वे प्रतिक्रिया दे सकें। सुखबीर बादल ने यह भी कहा कि प्रस्तावित यूसीसी उन सामाजिक जनजातियों को भी प्रभावित करेगा जिनके अपने विविध रीति-रिवाज, संस्कृति और विभिन्न व्यक्तिगत कानून हैं।