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कांग्रेस के सफाये का संकेत, क्या जी-23 से प्रियंका को मिलेगी कमान?

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जगनमोहन रेड्डी, ममता बनर्जी, नवीन पटनायक जैसे शख्सियतों में एक नाम और जुड़ा गया है। अरविंद केजरीवाल का। आम आदमी पार्टीने पंजाब फतहकर एक और सूबे से कांग्रेस को साफ कर दिया है। आंध्र प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के आखिरी सीएम राजशेखर रेड्डी के बेटे जगनमोहन ने पहले अपने पिता की पार्टी और फिर चंद्रबाबू नायडू को धूल चटाकर आंध्र प्रदेश में अपनी जमीन तैयार की। ममता बनर्जी का कांग्रेस से मोहभंग हुआ तो पश्चिम बंगाल से वो साफ हो गई। ओडिशा में नवीन पटनयाक का एकछत्र राज चल रहा है। अब पंजाब भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी के हाथ से फिसल गया है। गौर करने वाली बात ये है कि इन तमाम राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कांग्रेस को एक कदम और पीछे यानी तीसरे नंबर पर धकेलने की कोशिश करती रही। कुछ में सफल भी हो गई है। इकराम ईबोबी सिंह के गद्दी से हटने के बाद मणिपुर में भी कांग्रेस का यही हाल हुआ है। विधानसभा चुनाव परिणामों से साफ है कि भाजपा के कांग्रेसमुक्त भारत अभियान में नया साथी जुड़ गया है। बिना किसी स्थायी अध्यक्ष के चल रही ग्रांड ओल्ड पार्टी से असंतुष्ट 23 वरिष्ठ नेताओं का गुट अब परिवार पर प्रहार तेज कर सकता है।

सोनिया गांधी के हस्तक्षेप के बाद जी-23 की क्षणिक शांति ने पांचों राज्यों में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के विघटन को ही सतह पर लाने का काम किया है। पंजाब में भाजपा से आयातित नवजोत सिंह सिद्धू ने जिस तरह से राहुल गांधी और सोनिया गांधी को विवश कर दिया, कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे शख्स को पार्टी छोड़नी पड़ी और अब आप के हाथों मिली इस हार के दौरान मनीष तिवारी जैसे नेताओं ने संकेतों में हमेशा पार्टी नेतृत्व पर हमला जारी रखा। सुनीन जाखड़ और कपिल सिब्बल जैसे धाकड़ नेताओं ने भी समय-समय पर भड़ास निकाली। जब गुलाम नबी आजाद को पद्म पुरस्कार मिला और उन पर हमले हुए तो जी-23 उनके साथ खड़ा रहा। कुछ नेताओं ने तो यहां तक कह दिया कि विपक्ष में होते हुए भी नरेंद्र मोदी ने आजाद को ज्यादा तवज्जो दी है। फिलहाल कांग्रेस के भीतर सांगठनिक चुनाव की प्रक्रिया जारी है। तय कार्यक्रम के मुताबिक अगस्त-सितंबर में कांग्रेस डेलिगेट्स राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करेंगे।

क्या सोनिया अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी?

ये कहना मुश्किल है कि इस बीच क्या कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सोनिया गांधी अपने पास रखेंगी या किसी और को पास करेंगी। अब गांधी परिवार में प्रियंका गांधी ही ऐसी नेता हैं जिन पर जी-23 सहमत हो सकता है। राहुल के फैसले लेने की क्षमताओं पर कई बार सवाल उठ चुके हैं। यहां तक कि उत्तराखंड में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस के नेता हरीश रावत भी राहुल के प्रबंधन से खुश नहीं हैं। पंजाब संकट के समय भी ये सामने आ गया था। हरीश रावत सिद्धू को ज्यादा तवज्जो देने के पक्ष में नहीं थे। पर, वो कुछ करते उससे पहले तो उन्हें ही माफी मांगने की नौबत आ गई। जब उत्तराखंड में चुनाव सिर पर था तब उन्हें अचानक शिफ्ट किया गया। पंजाब की जवाबदेही हरीश चौधरी ने संभाली। उत्तराखंड लाने के बाद प्रचार समिति के प्रमुख तो बना दिए गए लेकिन कांग्रेस ने उन्हें सीएम का उम्मीदवार घोषित नहीं किया। उलटे भाजपा से हरक सिंह रावत की आवक ने उनकी बेचैनी बढ़ा दी और आने वाले समय ये देखना रोचक होगा कि दोनों के बीच देवभूमि में कैसी बनती है।

पंजाब की मोगा रैली से प्रचार की शुरुआत करने का ऐलान करने के बाद अचानक विदेश चले गए राहुल के लिए अब पार्टी नेताओं की निष्ठा हासिल करना मुमकिन नहीं लगता। उधर प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश की खाक छानी। 200 से ज्यादा रैलियां कर उन्होंने योगी आदित्यनाथ को भी पीछे छोड़ दिया। भले ही कांग्रेस यूपी में कुछ नहीं कर पाई लेकिन प्रियंका ने कांग्रेस को पुरानी पहचान से जोड़ने की कोशिश की। दलितों और सवर्णों को पार्टी से जोड़ने की उनकी कोशिश जमीनी धरातल पर दिखी। ऊपर से इंदिरा गांधी से उनकी तुलना एक बड़ा फैक्टर है। लखीमपुर खीरी कांड और आगरा में दलित की हत्या के बाद उनके तेवरों ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने का काम किया। कई लोगों का मानना है कि अगर कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को यूपी का सीएम कैंडिडेट बना दिया होता तो नतीजे बेहतर होते। लेकिन अब तो नतीजे सामने हैं। देखना भविष्य की ओर है। और दिल्ली का रास्ता यूपी होकर ही जाता है। ये रास्ता बंद नहीं होने वाला।

इस लिहाज से जी-23 प्रियंका गांधी को आगे रख सकता है। एक मजबूत कमेटी बन सकती है जो पार्टी के कार्यक्रम और निकट भविष्य की रणनीति पर काम करे। हालांकि ये इतना आसान नहीं होगा। कांग्रेस में ओल्ड और न्यू जेनरेशन के बीच सामंजस्य बनाना एक बड़ी चुनौती होगी। कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवाणी और हार्दिक पटेल जैसे नेताओं और जी-23 के बुजुर्ग पर अनुभवी नेताओं के बीच कैसी कैमेस्ट्री बनती है, इस पर भी बहुत कुछ निर्भऱ करेगा।

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