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सीताराम येचुरी ने कहा : हिन्दुत्व की सांप्रदायिकता सबसे बड़ी चुनौती….माकपा का महाधिवेशन शुरू

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कन्नूर (केरल)। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के 23वें राष्ट्रीय महाधिवेशन ने देश को मौजूदा संकट से बाहर निकालने के रास्तों पर मंथन शुरू कर दिया है। माकपा का मानना है कि देश की आम जनता ने भाजपा सरकार के लगभग आठ वर्षों में सांप्रदायिक-कॉर्पोरेट गठजोड़ मजबूत होते और तानाशाहीपूर्ण हमलों को बढ़ते हुए देखा है। 2019 में सरकार में वापस आने के बाद से भाजपा फासीवादी आरएसएस के हिंदू राष्ट्र के एजेंडे को आक्रामक रूप से आगे बढ़ा रही है। इसके साथ नव-उदारवादी नीतियों को आक्रामक रूप से लागू करने और शासन की तानाशाही में बढ़त जारी है। आरएसएस द्वारा संचालित हिंदुत्व का एजेंडा देश के संवैधानिक ढांचे का घातक रूप से क्षरण कर रहा है और भारतीय गणराज्य के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक चरित्र को नष्ट कर रहा है।
इस बारे में मजदूरों, किसानों, महिलाओं, सामाजिक रूप से शोषित-उत्पीड़ित तबकों, मध्यम वर्ग तथा देशी छोटे और मंझोले उद्योग धंधो की दुर्दशा के ढेर सारे आंकड़ों और तथ्यों के साथ समीक्षा करने के बाद माकपा का राष्ट्रीय महाधिवेशन देश को इससे उबारने के तौर तरीकों पर चर्चा शुरू कर रहा है। 
कल माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने करीब साढ़े तीन घंटे में हालात का ब्यौरा और आगामी दिनों में इनसे बाहर आने के लिए अपनाई जाने वाली कार्यनीति का सार पार्टी महाधिवेशन के सामने रखा। देश भर की पार्टी इकाइयों से चुनकर आये 900 से अधिक प्रतिनिधि अगले पांच दिनों तक इस पर चर्चा करेंगे और रास्ता तय करेंगे। इस महाधिवेशन का समापन 10 अप्रैल को आयोजित एक विशाल रैली और आमसभा के साथ होगा।
हिंदुत्व की साम्प्रदायिकता को सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए सीताराम येचुरी ने कहा कि इसका मुकाबला धर्मनिरपेक्षता की हिफाजत के लिए समझौताहीन रुख अपना कर ही किया जा सकता है। उन्होंने सभी पार्टियों से इस देशभक्तिपूर्ण जिम्मेदारी को निबाहने के लिए खड़े होने का आव्हान किया। कांग्रेस सहित बाकी दलों से भारत के धर्मनिरपेक्ष-लोकतांत्रिक गणराज्य के स्वरुप की हिफाजत में स्पष्ट और बेलाग रुख लेने का आव्हान करते हुए उन्होंने कहा कि वे अपने खुद के अनुभव से ही समझ लें कि ऐसा न करने और अवसरवादी रवैया अपनाने से वे अपने यहां से जारी भगदड़ को भी रोक नहीं पाये।
आने वाले दिनों में किये जाने वाले कामो पर चर्चा करते हुए माकपा महाधिवेशन ने जिन मुद्दों को चर्चा में लिया है, उनमें :
1. मुख्य कार्य भाजपा को अलग थलग करना और उसे हराना है। इसके लिए सी पी आई (एम) और वामदलों की स्वतंत्र शक्ति के विकास की आवश्यकता है, ताकि वर्ग और जन संघर्षों में लोगों को ताकतवर और जुझारू तरीके से लामबंद किया जा सके।
2. हिंदुत्व के एजेंडे और सांप्रदायिक ताकतों की गतिविधियों के खिलाफ संघर्ष का नेतृत्व करने के लिए भी माकपा और वाम बलों को मजबूत करने की आवश्यकता है। पार्टी को हिंदुत्व की सांप्रदायिकता के खिलाफ सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों की व्यापक लामबंदी के लिए काम करना चाहिए।
3. पार्टी को आक्रामकता के साथ लागू की जा रही नवउदारवादी नीतियों केे खिलाफ, हमारी राष्ट्रीय परिसंपत्तियों की सरासर जारी लूट, सार्वजनिक क्षेत्र, सार्वजनिक सुविधाओं  और खनिज संसाधनों के बड़े पैमाने पर निजीकरण के खिलाफ लोगों के व्यापक हिस्सों को एकजुट करने के लिए सबसे आगे होना चाहिए। हाल के किसान संघर्ष की तरह वर्ग और जन संघर्षों को तेज करके ही लोगों की व्यापक लामबंदी की जा सकती है और कारपोरेट-सांप्रदायिक शासन के खिलाफ विपक्षी धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एक साथ लाने का काम पूरा किया जा सकता है।
4. हिंदुत्व-कारपोरेट शासन के खिलाफ लड़ाई की सफलता के लिए हिंदुत्व आधारित सांप्रदायिक ताकतों और नव-उदारवादी नीतियों के खिलाफ एक साथ संघर्ष की आवश्यकता है।
5. माकपा समान मुद्दों पर धर्मनिरपेक्ष विपक्षी दलों के साथ संसद में सहयोग करेगी। संसद के बाहर पार्टी सांप्रदायिक एजेंडे के खिलाफ सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों की व्यापक लामबंदी के लिए काम करेगी। माकपा और वामपंथ स्वतंत्र रूप से और अन्य लोकतांत्रिक ताकतों के साथ संयुक्त रूप से, मुद्दे के आधार पर, नव-उदारवाद के हमलों, लोकतंत्र, लोकतांत्रिक अधिकारों के खिलाफ सत्तावादी हमलों, दमनात्मक कानूनों के उपयोग से किये जा रहे असहमति के दमन के खिलाफ लड़ेंगे।
6. माकपा वर्गीय संगठनों और जन संगठनों के साझे आंदोलनों के लिए संयुक्त मंचों का समर्थन करेगी। पार्टी मजदूर-किसान-खेत मजदूरों की साझी कार्यवाहियों को मजबूत करने वाले सभी कदमों का समर्थन करेगी।
7. पार्टी की स्वतंत्र शक्ति के विकास के साथ वाम एकता को मजबूत करने के प्रयासों को प्राथमिकता पर लिया जायेगा। संयुक्त वामपंथी अभियान और संघर्ष पूंजीवादी सामंती शासक वर्ग की नीतियों के स्थान पर वैकल्पिक नीतियों को सामने लाने वाले होंगे।
8. माकपा जन संगठनों और सामाजिक आंदोलनों सहित सभी वामपंथी और लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट करने के लिए निरंतर तरीके से काम करेगी। वाम और लोकतांत्रिक मंच के संघर्षों का उद्देश्य वामपंथी और लोकतांत्रिक कार्यक्रम को  वैकल्पिक नीतियों के रूप में जनता के सामने लाने का होना चाहिये।
9. जब भी चुनाव होते हैं, तब भाजपा-विरोधी वोटों को अधिकतम करने के लिये उपयुक्त चुनावी कार्यनीति उपरोक्त राजनीतिक लाइन के आधार पर बनायी जायेगी।
पार्टी संगठन और संघर्षों को मजबूत करने तथा सांप्रदायिकता के खिलाफ वैचारिक अभियान तेज करने तथा आगामी चुनावों में भाजपा की निर्णायक हार सुनिश्चित करने के लिए माकपा महासचिव सीताराम येचुरी द्वारा पेश उपरोक्त 9 सूत्रीय कार्ययोजना पर पूरे देश से आये प्रतिनिधियों ने बहस शुरू कर दी है, जो कल शाम तक चलेगी।
*(कन्नूर, केरल से बादल सरोज की रिपोर्ट)*

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