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सामाजिक न्याय और गठबंधन की राजनीति के उत्प्रेरक थे सीताराम येचूरी

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मुनेश त्यागी 

 आज मेरठ कचहरी में प्रगतिशील, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी वकीलों, ओल इंडिया लोयर्स यूनियन मेरठ और जनवादी लेखक संघ मेरठ के द्वारा महान राजनीतिक विचारक, लेखक, संपादक और लेफ्ट फ्रंट और ज्वाइंट फ्रंट के प्रणेता और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के महासचिव सीताराम येचुरी की श्रद्धांजलि सभा नानक चंद सभागार कचहरी मेरठ में आयोजित की गई। इस अवसर पर बोलते हुए डॉक्टर घासीराम मलिक ने कहा कि सीताराम येचुरी एक समर्पित समाजवादी थे और उन्होंने हिंदुत्ववादी राजनीति का विरोध किया। वे सारी जिंदगी संविधान, जनतंत्र और धर्मनिरपेक्षता को बचाने में लगे रहे। उन्होंने कहा कि वे धर्म के राजनीति में गोलमाल का विरोध करते रहे और सारी जिंदगी अपने वरिष्ठ नेताओं से सीखते रहे और तमाम विपक्षी नेताओं को एक साथ जोड़ते रहे और तमाम जिंदगी लिखते रहे।

    इस अवसर पर बोलते हुए डॉक्टर आरपी जुयाल ने कहा कि सीताराम येचुरी मजदूरों के जन प्रिय नेता थे। धर्म के बीच की दलालों की जरूरत नहीं है। उनकी खूबी यह थी कि ज्यादातर लोग उनसे जुड़े रहते थे। वे किसानों और मजदूरों के बहुत बड़े रक्षक थे। आज जनतंत्र के ख्वाब को बचाना जरूरी है।

     इस अवसर पर बोलते हुए मजदूर नेता संजीव शर्मा ने कहा की सीताराम येचुरी ने इंडिया के विचार को मूर्त रूप दिया हुए। वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के बहुत बड़े नेता थे। उन्होंने कहा कि सीताराम येचुरी ने आह्वान किया था कि नेता ही नहीं नीति बदलो। वे भारतीय समाज के विखंडन के विरोधी थे और वह एक समरस समाज की स्थापना करना चाहते थे। आज उनकी विरासत को आगे ले जाने की जरूरत है। वह गंगा जमुनी तहजीब और हिंदू मुस्लिम एकता के सबसे बड़े प्रहरी थे।

    इस अवसर पर बोलते हुए जनवादी लेखक संघ मेरठ के जिला मंत्री मुनेश त्यागी ने कहा कि सीताराम येचुरी समता समानता जनतंत्र धर्मनिरपेक्ष क्रांति समाजवाद और सामाजिक न्याय के सबसे बड़े हामी और समर्थक थे। उन्होंने बताया कि वह एक वोट और एक मूल्य के समर्थक थे। सीताराम येचुरी जनता को सस्ते और सुलभ न्याय के सबसे बड़े हामी थे। वे सब को शिक्षा सबको काम दिलाना चाहते थे। वे पढ़ो और लडो और समाजवादी क्रांति के सबसे बड़े समर्थक थे। उनमें आंदोलन को संगठित करने की बहुत बड़ी क्षमता थी। वे गजब के मिलनसार थे और उनमें अहम् और घमंड का नाम और निशान नहीं था।

    सीताराम येचुरी धर्मनिरपेक्षता के पक्के समर्थक थे और वह सांप्रदायिकता के कट्टर विरोधी थे। उन्होंने धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील विपक्षी दलों को एक साथ जोड़ा और नव उदारवाद की आर्थिक नीतियों का खुलकर विरोध किया। वे जनवादी, प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष गठबंधन की राजनीति के उत्प्रेरक थे। वह किसान आंदोलन में पर्दे के पीछे रह कर काम करते रहे और किसान नेताओं का हौसला बढ़ाते रहे। सीताराम येचुरी लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और साम्यवादी आंदोलन के सबसे बड़े प्रेरक व्यक्ति थे। उनका कहना था कि हमारा देश धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों से ही आगे बढ़ेगा और पूंजीवाद मानवता का दुश्मन है। शोषण मुक्त समाजवादी समाज ही जनता का कल्याण कर सकता है। वे किसानों मजदूरों और छात्रों नौजवानों के कल्याण के सबसे बड़े हामी और पैरोकार थे। वह कई पत्रिकाओं के संपादक थे और उन्होंने अनेक पुस्तक लिखी थी।

    इस अवसर पर जनवादी लेखक संघ के संरक्षक रामगोपाल भारतीय ने बताया कि सीताराम येचुरी दबे कुचले लोगों के साथ जुड़े हुए थे।श और एक बहुत बडे लेखक थे। आज के श्रद्धांजलि सभा में भी कांग्रेस और सपा और दूसरे दलों के लोग शामिल हैं। यही उनका सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है। उन्होंने विषम परिस्थितियों में भी अपना संघर्ष जारी रखा और हमें इस संघर्ष को आज भी जारी रखने की जरूरत है।

    इस अवसर पर जितेंद्र पांचाल ने कहा कि वह पिछड़े और वंचितों के प्रतिनिधि थे और फासीवादी और सांप्रदायिक ताकतों के जबरदस्त विरोधी थे। उनका एजेंडा संविधान, जनतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को बचाना था। उनके जाने से हम निराश नहीं है बल्कि वह हमें आशा की किरण छोड़कर गए हैं। उनका जाना प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष ताकतों के लिए बड़ी क्षति है। आज वक्त की जरूरत है कि उनके विचारों को आगे बढ़ाया जाए।

      इस अवसर पर बोलते हुए ओल इंडिया लोयर्स यूनियन मेरठ के उपाध्यक्ष राजकुमार गुर्जर ने कहा कि उनकी विचारधारा सर्व कल्याण की थी। विचारों के बिना जीवन का कोई मूल्य नहीं है। उन्होंने गलत को गलत कहा और धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और साम्यवादी दलों को एकजुट किया और इंडिया गठबंधन का निर्माण किया। आज हमें भी स्थानीय लेवल पर ऐसी कोआर्डिनेशन कमेटी बनाने की जरूरत है।

     अध्यक्ष मंडल के सदस्य और समाजवादी पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष राजपाल सिंह ने कहा की सीताराम येचुरी ने अपने साथ चलने वालों का कद बढ़ाया उन्होंने पूरी देश में एक बहुत बड़ा छात्र संगठन खड़ा किया, उन्होंने देश से लिया नहीं बल्कि देश की जनता को बहुत कुछ दिया है। उनके विचारों को हमें अपने जीवन में उतरने की जरूरत है और उनसे बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।

     अध्यक्षता करते हुए ऑल इंडिया बड़ी यूनियन मेरठ के अध्यक्ष अब्दुल जब्बार खान ने कहा कि हमें उनके विचारों को अपनाने की जरूरत है। यह उनके सपनों का समझ नहीं है। वामपंथी विचारधारा ही देश का कल्याण कर सकती है। वह जिंदगी भर एक बेदाग व्यक्ति बन रहे और उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड का भी सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार किया। आज हमारे देश को ऐसे ही नेताओं की जरूरत है।

     इस अवसर पर मजदूर नेता संजीव शर्मा, यशपाल सिंह, शक्ति राज, विजय शर्मा, धर्म सिंह सत्याल राजपाल सिंह और अब्दुल जब्बार खान ने भी अपने विचार व्यक्त किये। सभा की अध्यक्षता धर्म सिंह सत्याल, रामगोपाल भारतीय, राजपाल सिंह और अब्दुल जब्बार खान ने की। सभा का संचालन ब्रजवीर सिंह ने किया। इस अवसर पर मंगल सिंह मंगल, डोरी लाल भास्कर, नाथी सिंह, देवेंद्र सिंह, जय गोपाल, जी पी सलोनिया, जीशान कुरैशी, परवीन भारती, अवनीश सिवाच, वीरेंद्र, मनोज, विजेता राठी, शोएब सत्येंद्र सिंह, जसवीर सैनी, जावेद, नदीम, केपी मलिक आदि सैकड़ो लोग उपस्थित थे।

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