महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव प्रचार अब अपने आखिरी दौर में है. राज्य की 288 सीटों पर 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. ऐसी स्थिति में 48 घंटे पहले यानी 18 नवंबर की शाम को प्रचार थम जाएगा. इस बार की चुनावी लड़ाई मुख्य रूप से दो गठबंधन के बीच में है. इसमें एक तरफ सत्ताधारी महायुति है जबकि दूसरी ओर विपक्षी महाविकास अघाड़ी है. दोनों ही गठबंधन के नेता चुनाव प्रचार में वोटरों को लुभाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं ताकि विजय हासिल हो सके. इस बार के चुनाव में मुख्यमंत्री पद को लेकर भी संशय की स्थिति बनी हुई है. न तो महायुति की ओर से मुख्यमंत्री का कोई चेहरा है और न ही महाविकास अघाड़ी की ओर से किसी के नाम का ऐलान हुआ है.
मुख्यमंत्री के नाम को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होने की वजह से महायुति और महाविकास अघाड़ी दोनों में इसके लिए कई दावेदार माने जा रहे हैं. महायुति की बात करें तो इसमें मुख्यमंत्री पद के लिए तीन दावेदार माने जा रहा है. करीब-करीब यही स्थिति महाविकास अघाड़ी के तरफ भी है. यहां उद्धव ठाकरे को लेकर कहा जाता है कि वो पहले से ही खुद को सीएम पद की रेस में मानकर चल रहे हैं लेकिन नाम किसी ने नहीं लिया है. वहीं, कांग्रेस की ओर से नाना पटोले सबसे बड़े चेहरे हैं. यही स्थिति शरद पवार गुट की एनसीपी में भी देखने को मिली है. शरद गुट की ओर से सुप्रिया सुले का नाम चर्चा में है, लेकिन नाम का ऐलान नहीं हुआ है.
कमान शिंदे के हाथ में जरूर है, लेकिन महायुति में कई दावेदार
मौजूदा समय में सरकार की कमान जरूर एकनाथ शिंदे के हाथों में है, लेकिन मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में एनसीपी नेता अजित पवार और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस भी लाइन में हैं. फडणवीस समय-समय पर एकनाथ शिंदे की तारीफ जरूर करते नजर आए हैं, लेकिन सीएम पद को लेकर अभी तक कोई बात नहीं कही है. शिंदे मुख्यमंत्री जरूर हैं, लेकिन इस चुनाव में अगर महायुति को जीत मिलती है तो उनकी सीट बरकरार रहेगी या नहीं इस पर भी संशय की स्थिति बनी हुई है. इसके पीछे कई वजहें भी हैं.
सीट शेयरिंग में बीजेपी सहयोगियों पर भारी
महायुति में सीट शेयरिंग की बात करें तो बीजेपी सबसे ज्यादा 149 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जबकि शिंदे गुट की शिवसेना 81 और अजित पवार की एनसीपी 59 सीटों पर मैदान में उतरी है. सीट शेयरिंग में बीजेपी का पलड़ा भारी नजर आ रहा है. बीजेपी के पास बहुमत से ज्यादा सीट है. बीजेपी की ओर से देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, भले ही शिंदे सरकार सरकार में वो डिप्टी सीएम की भूमिका में है. इसलिए मुख्यमंत्री पद को लेकर उसकी भी दावेदारी से इनकार नहीं किया जा सकता है. हालांकि, वोटिंग से दो दिन पहले भी सीएम पद को लेकर सभी नेता खामोश हैं.
महाविकास अघाड़ी में भी तीन दावेदार, लेकिन सब खामोश
कुछ यही स्थिति महाविकास अघाड़ी में भी है. यहां सीएम पद को लेकर दावेदार तो कई हैं, लेकिन पार्टियों के नेता खामोश हैं. महाविकास अघाड़ी में महिलाओं की भूमिका को लेकर भी चर्चा है. शरद पवार यह बात कह भी चुके हैं कि महिला मुख्यमंत्री बनने में कोई आपत्ति नहीं है. इसके बाद से सुप्रिया सुले के नाम को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री चेहरे के लिए जोर आजमाइश को लेकर शुरू में उद्धव ठाकरे का नाम भी उछला था. कई मौकों पर वो फील्डिंग भी सजाते हुए नजर आ चुके हैं. सीटों के लिहाज से देखें तो करीब-करीब तीनों दल बराबर-बराबर सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
कांग्रेस में नाना पटोले बड़ा चेहरा
महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस भी मुख्यमंत्री चेहरे पर खामोश है. सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा हो रही है कि अगर नाम को आगे बढ़ाने की बात आएगी तो पार्टी नाना पटोले को आगे बढ़ा सकती है, लेकिन फिलहाल सभी की नजरें चुनाव पर हैं. महाराष्ट्र में नाना पटोले की गिनती पार्टी के सीनियर और कद्दावर नेताओं में होती है. बड़े मराठी नेता के रूप में भी अपनी पहचान रखते हैं. एक तरह से कह सकते हैं कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव एक मुख्यमंत्री पद के लिए 6 दावेदार मैदान में हैं.