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*एसकेएम ने किया भोजनालयों पर मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश को रोकने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत* 

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 *आदेश संविधान का उल्लंघन, राष्ट्र विरोधी* 

 *मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों से माफी मांगने को कहा ।

 *आदेश पर हस्ताक्षर करने वाले नौकरशाहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग ।* 

नई दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की भाजपा नीत राज्य सरकारों द्वारा जारी सरकारी आदेश का कड़ा विरोध किया है, जिसमें कांवड़ यात्रा के दौरान सभी भोजनालयों को मालिकों के धर्म की पहचान करने के लिए उनके नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया गया है। एसकेएम को आशंका है कि मालिकों के नाम प्रदर्शित करने से अल्पसंख्यकों के व्यावसायिक प्रतिष्ठान आरएसएस/भाजपा की सांप्रदायिक योजना के लिए आसान लक्ष्य बन जाएंगे।

यह आदेश स्पष्ट रूप से धर्म के आधार पर दुकान मालिकों के चयन में भेदभाव करने के लिए जारी किया गया है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 (1) का गंभीर उल्लंघन है, जो धर्म, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव को रोकता है और अनुच्छेद 14 भी उल्लंघन है, जो भारत के क्षेत्र में कानून के समक्ष समानता या समान सुरक्षा प्रदान करता है और व्यक्तियों के बीच अनुचित भेदभाव को रोकता है। अनुच्छेद 15 (2) के अनुसार, राज्य किसी भी नागरिक के साथ “दुकानों, सार्वजनिक रेस्तरां, होटलों और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों तक पहुँच” के मामले में भेदभाव नहीं करेगा।

एसकेएम ने आदेश पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि संवैधानिक सिद्धांतों के लिए कोई संभावित खतरा नहीं होगा और संविधान का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सही दिशा में की गई यह तत्काल कार्रवाई भारत के प्रत्येक नागरिक को सत्ता में बैठे उन लोगों के खिलाफ सतर्क रहने के लिए संवेदनशील बनाएगी, जो लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, बंधुत्व के संवैधानिक सिद्धांतों को तोड़ने और नष्ट करने और भारत की राष्ट्रीय एकता को खत्म करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। एसकेएम ने कहा है कि भारत एक बहुराष्ट्रीय देश है, जो विश्वास, भाषा, परंपरा और संस्कृति में विविधता के सम्मान और समान व्यवहार के आधार पर एकजुट है।

लोकसभा चुनाव में आरएसएस की सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ लोगों के गुस्से और राम मंदिर के शोर में लोगों की आवाज दबाने की भाजपा की असफल कोशिश से बौखलाई भाजपा सरकारें दोनों राज्यों में धार्मिक यात्रा के नाम पर समाज को बड़े पैमाने पर ध्रुवीकृत करने की हताश कोशिश कर रही हैं। एसकेएम ने साहसपूर्वक रेखांकित किया है कि हिंदी पट्टी के आम लोगों ने हमेशा ईद, दशहरा, कांवड़ यात्रा, जन्माष्टमी जैसे सभी धार्मिक त्योहारों को धर्मनिरपेक्ष उत्साह, उल्लास और समग्र भागीदारी के साथ मनाया है और वे भाजपा-आरएसएस गठबंधन की इस कट्टर सांप्रदायिक कदम को बर्दाश्त नहीं करेंगे। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की आम जनता ने हमेशा से सभी धर्मों की मिश्रित संस्कृति का आनंद लिया है और उसे संजोया है, जो न केवल अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के संघर्ष के दौरान, बल्कि हाल के किसानों के संघर्ष के दौरान भी प्रदर्शित हुई है। दरअसल 5 सितंबर 2021 को मुजफ्फरनगर में 5 लाख से अधिक किसानों का विशाल जमावड़ा “हर हर महादेव, अल्लाह-ओ-अकबर” के आह्वान के तहत हुआ था। 

औपनिवेशिक ब्रिटिश शासकों ने सामंती-साम्राज्यवादी शोषण के अपने शासन को बनाए रखने के लिए संगठित धार्मिक ध्रुवीकरण और सांप्रदायिक विभाजन को भड़काना शुरू किया था और अब आधुनिक भारत में, आरएसएस-भाजपा गठबंधन किसानों, मजदूरों और आम लोगों की कॉर्पोरेट लूट करने के लिए उस नापाक साजिश को जारी रखे हुए है। एसकेएम इस आदेश को राष्ट्रीय एकता के खिलाफ देशद्रोह मानता है और उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों से माफी की पुरजोर मांग करता है। जिन नौकरशाहों ने इस सांप्रदायिक साजिश के आगे घुटने टेक दिए हैं और इस तरह के देश विरोधी आदेश को तैयार और हस्ताक्षरित किया है, उन्हें कड़ी सजा दी जानी चाहिये, ताकि यह उन सभी विकृत दिमागों के लिए एक सबक बन जाए, जो अभी भी सरकारी सेवा में हैं। एसकेएम अपने सभी घटक संगठनों से भाजपा की इस विभाजनकारी योजना का विरोध करने और गांव स्तर पर एसकेएम की मांगों पर आंदोलन खड़ा करने के लिए ठोस प्रयास करने की अपील करता है। एनसीसी और एसकेएम की आम सभा राष्ट्रीय एकता और भारत के संवैधानिक सिद्धांतों की रक्षा के लिए लोगों को एकजुट करने और आरएसएस-भाजपा गठबंधन की कट्टर सांप्रदायिक विचारधारा को अलग-थलग करने के लिए पूरे भारत में ठोस कार्रवाई और अभियान की योजना बनाएगी।

जारीकर्ता :

*मीडिया सेल | संयुक्त किसान मोर्चा*

*संपर्क : 9869401565 | 9830052766*

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