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सोनिया ने खड़गे को उतारकर खेला दलित कार्ड!क्या हो सकता है दिग्विजय का नया रोल ?

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भोपाल

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने देश की सबसे पुरानी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामाकंन भरने के कुछ घंटे पहले ही खुद को रेस से बाहर कर लिया है। उनकी जगह अब राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे मैदान में आ गए हैं। मुकाबला खड़गे और शशि थरूर के बीच होगा। सबसे बड़ा सवाल यह है कि गांधी परिवार के करीबी और भरोसेमंद दिग्विजय चुनाव लड़ने के ऐलान के एक दिन बाद यानी शुक्रवार को बैकफुट पर क्यों आए?

जानिए घड़ी की सुइयों के साथ इस पॉलिटिकल ड्रामे की स्क्रिप्ट में अचानक आए बदलाव और नए किरदारों की एंट्री कैसे हुई…

सबसे पहले बात दिग्विजय सिंह की एंट्री की…अचानक दिल्ली रवानगी और फिर चर्चा में

तारीख-28 सितंबर, दिन-बुधवार। दोपहर के वक्त न्यूज ब्रेक होती है- दिग्विजय सिंह को दिल्ली बुलाया गया है। इसके साथ ही यह सुर्खिंयां बन जाती है कि राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान और राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए अशोक गहलोत की बजाय अब दिग्विजय सिंह रेस में आ गए हैं। सभी तरफ उनकी चर्चाएं होने लगती है। न्यूज चैनलों पर उनके पुराने इंटरव्यू चलने लगते हैं। पैनलिस्ट चर्चा करने लगते हैं। शाम के वक्त फिर ब्रेकिंग न्यूज चलती है, दिग्विजय सिंह दिल्ली पहुंचे। भारत जोड़ों यात्रा के समन्वय समिति के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह हैं। वो केरल से सीधी दिल्ली पहुंचते हैं।

गांधी परिवार के प्रति वफादारी वाला बयान दिया तो लगा गहलोत नहीं दिग्विजय…

तारीख 26 सितंबर, दिन – सोमवार। राजस्थान का सियासी घमासान कम होने के बजाय बढ़ता गया। गहलोत के पक्ष और विपक्ष में बयानबाजी तेज हो गई। इस बीच दिग्विजय का फिर बयान आया। उन्होंने कहा– मैं तीन चीजों से कभी समझौता नहीं करता हूं। पहला- दलित, आदिवासी और वंचितों के मुद्दों पर। दूसरा-धार्मिक उन्माद फैलाने वाले किसी भी संगठन के साथ कभी समझौता नहीं करूंगा। तीसरा- मेरी वफादारी नेहरू-गांधी परिवार और कांग्रेस के प्रति है। इससे संकेत स्पष्ट होते गए कि अब गहलोत नहीं दिग्विजय को गांधी परिवार का समर्थन है। हालांकि उससे पहले लोकसभा सांसद शशि थरूर चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर चुके थे। दिग्विजय ने खुले तौर पर अपनी दावेदारी को लेकर कुछ नहीं कहा।

दिग्विजय को नहीं मिले संकेत, फिर बयान आया– हाईकमान के आदेश का पालन करेंगे

तारीख 27 सितंबर, दिन – मंगलवार। दिग्विजय सिंह को गांधी परिवार की तरफ से चुनाव मैदान में आने का कोई संदेश नहीं मिला। फिर उनका एक बयान आया। हाईकमान का जो भी आदेश होगा, उसका हम पालन करते आए हैं और करेंगे, आगे करते भी रहेंगे। दिग्विजय सिंह के इस बयान से यह साफ है कि ऊपर से निर्देश मिलने के बाद वह अध्यक्ष पद के लिए नॉमिनेशन करेंगे। इसकी वजह यह भी थी कि राजस्थान मामले में पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट सोनिया गांधी को सौंप दी थी। ऐसे में इंतजार था- गहलोत अध्यक्ष पद के उम्मीदवार रहेंगे या नहीं?

राजस्थान के सियासी ड्रामे में गहलोत को क्लीनचिट मिलने से बढ़ गया सस्पेंस

तारीख 28 सितंबर, दिन – बुधवार। राजस्थान के सियासी घटनाक्रम को लेकर पर्यवेक्षक अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे की रिपोर्ट के तथ्य सामने आए। उसमें गहलोत को क्लीनचिट दी गई। इसके बाद दिग्विजय की उम्मीदवारी को लेकर सस्पेंस बढ़ गया। इसके बाद दिग्विजय सिंह का बयान आया- अगर राहुल और प्रियंका चुनाव लड़ेंगे तो हम दावेदारी नहीं करेंगे। अगर कोई दूसरा लड़ता है और मैं उसे पसंद नहीं करता हूं तो मैं चुनाव में दावेदारी कर सकता हूं। कोई भी कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ सकता है। पार्टी में पहले भी गांधी परिवार से बाहर के अध्यक्ष रहे हैं। चुनाव लड़ने से किसी को रोका नहीं जा सकता और न ही किसी को जबरदस्ती चुनाव लड़ा सकते हैं।

गहलोत के पीछे हटने के बाद दिग्विजय की दावेदारी हो गई मजबूत

तारीख 29 सितंबर, दिन – गुरुवार। दिग्विजय सिंह ने नामांकन फार्म लिया। ऐस में माना जाने लगा कि अब थरूर और दिग्विजय के बीच मुकाबला होगा। दिग्विजय ने यह बयान देकर इस पर मुहर लगा दी कि वे 30 सितंबर को नामांकन दाखिल करेंगे। लेकिन अभी तक गांधी परिवार से कोई बात नहीं हुई है। दिग्विजय के करीबियों के मुताबिक वे पार्टी आलाकमान की सहमति के बाद ही नामांकन करते। शाम होते-होते गहलोत ने सोनिया से मुलाकात करने के बाद ऐलान कर दिया था कि वे अध्यक्ष पद की रेस से हट गए हैं। वहीं शाम में दिग्विजय सिंह की शशि थरूर के साथ तस्वीर सामने आई। ऐसे में यह तय माना जाने लगा कि दिग्विजय सिंह की कांग्रेस के बिग बॉस होंगे।

अब जानिए आखिरी वक्त ऐसा क्या हुआ कि दिग्विजय ने किनारा किया

जब लगभग तय हो गया कि दिग्विजय सिंह ही गांधी परिवार की तरफ से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार होंगे तो कांग्रेस नेता आनंद शर्मा के घर पर G-23 के नेताओं की बैठक हुई। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में ठाकुर-राजपूत को अध्यक्ष नहीं बनाने पर सहमति बनी। इस दौरान समूह के एक प्रमुख सदस्य और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने (जिन्होंने पार्टी में संगठनात्मक परिवर्तन को लेकर 2020 में सोनिया गांधी को एक खत लिखा था) ने प्रस्ताव रखा कि यदि खड़गे को उम्मीदवार बनाया जाता है तो उन्हें समर्थन दिया जाना चाहिए। यानी साफ है कि ये नेता दिग्विजय सिंह को अध्यक्ष बनाने के पक्ष में नहीं थे। दिग्विजय के विरोध में यह भी कहा गया कि अगर दिग्विजय चुने गए तो उनके खिलाफ उनके ही बयान जा सकते हैं। ऐसे में बीजेपी कांग्रेस को निशाना बना सकती है। उन पर मुस्लिम तुष्टीकरण को बढ़ावा देने वाले बयान देने के आरोप लगते रहे हैं।

बैठक के बाद आनंद शर्मा ने दिग्विजय सिंह से मुलाकात भी की थी, लेकिन दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई, इसका खुलासा नहीं किया गया। गुरुवार देर रात पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने दिग्विजय से उनके निवास पर जाकर मुलाकत की। यही उन्हें संदेश दिया गया था कि खड़गे पार्टी के औपचारिक तौर पर उम्मीदवार बनाए जा रहे हैं।

सोनिया ने खड़गे से कहा था- तैयार रहें

सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी से मल्लिकार्जुन खड़गे की गुरुवार को हुई मुलाकात के बाद पार्टी अध्यक्ष के लिए दिग्विजय पर दांव नहीं खेलने की संभावना बढ़ गई थी। सोनिया ने उन्हें कहा है कि जरूरत पड़ने पर शुक्रवार को उन्हें अपना नामांकन दाखिल करने के लिए तैयार रहना चाहिए। आखिर नामांकन दाखिल करने के कुछ घंटे पहले उनका नाम फाइनल किया गया। यही वजह है कि गुरुवार को नामांकन पत्र लेने वाले दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार सुबह खड़गे से मुलाकात के बाद चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया।

खड़गे को आज सुबह मिला 10 जनपद का संदेश

वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के करीबी नेता केसी वेणुगोपाल ने खड़गे को शुक्रवार को करीब 8 बजे आलाकमान के फैसले से अवगत कराया कि गांधी परिवार इस चुनाव में निष्पक्ष रहेगा और वह अध्यक्ष पद की रेस में शामिल हो सकते हैं। यही वजह है कि दिग्विजय सुबह 9 बजे खड़गे से मुलाकात करने उनके निवास पर पहुंचते हैं। इसके बाद ही उन्होंने रेस से बाहर होने का फैसला किया।

प्रमोद तिवारी और पुनिया पहुंचे दिग्विजय के घर

सुबह करीब 11 बजे कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी और पीएल पुनिया ने दिग्विजय सिंह से मुलाकात की। इसके बाद तिवारी ने मीडिया के सामने कहा कि उनका समर्थन खड़गे के साथ है। इसके बाद दिग्विजय ने मीडिया के सामने ऐलान किया कि वे अब अध्यक्ष पद के लिए नामांकन नहीं भरेंगे। उन्होंने कहा – मैंने जीवन भर कांग्रेस के लिए काम किया है। मैं कह चुका हूं कि मैं तीन बातों पर समझौता नहीं करता, दलित आदिवासी और गरीब पर। सांप्रदायिक सदभाव पर समझौता नहीं करता। मेरी गांधी परिवार के प्रति निष्ठा है। खड़गे जी मेरे सीनियर हैं। मैं कभी आपके खिलाफ चुनाव लड़ने की बात नहीं सोच सकता। लेकिन अब आपका इरादा फॉर्म भरने का है, अब मैं उनका प्रस्तावक बनूंगा।

सोनिया ने खड़गे को उतार कर दिया संदेश

राजनैतिक जानकारों का मानना है कि सोनिया गांधी ने खड़गे को मैदान में उतारने की सैद्धांतिक सहमति देकर दलित कार्ड खेला है। खड़गे दलित चेहरा हैं और गांधी परिवार के नजदीकी भी। वे विरोधियों से मधुर रिश्ते बनाने के माहिर भी हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि संगठन में दिग्विजय की प्रोफाइल भले ही शशि थरूर से बड़ी है, लेकिन खड़गे के मुबाकले कम मानी जाती है।

दिग्विजय बन सकते हैं राज्यसभा में विपक्ष के नेता

कांग्रेस सूत्रों की माने तो दिग्विजय भले ही अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हो गए हैं, लेकिन उन्हें राज्यसभा में विपक्ष के नेता का पद मिल सकता है। कांग्रेस में एक पद एक व्यक्ति के नियम के आधार पर मल्लिकार्जुन खड़गे अध्यक्ष पद के लिए राज्यसभा में विपक्ष के नेता के पद से इस्तीफा देंगे।

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