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2024 चुनाव में कहीं अकेले न पड़ जाए सपा

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लखनऊ : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के बाद नगर निकाय चुनाव 2023 में सपा को लगातार हार का मुंह देखना पड़ा है। इसी को देखते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) आगामी लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में जुटे गए हैं। अखिलेश यादव ने साफ किया कि सपा कांग्रेस के साथ लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी, जबकि उसकी सहयोगी पार्टी रालोद के महासचिव त्रिलोक त्यागी का ऐसे समय में बयान आया है, जिसने अखिलेश यादव को टेंशन दे दिया है।

रालोद बयान, टेशन में अखिलेश

रालोद के महासचिव त्रिलोक त्यागी ने कहा कि 2024 में पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि उनकी ओर से कोशिश है कि सपा को कांग्रेस के साथ गठबंधन में आने के लिए कोशिश जारी है। कांग्रेस को तो सारे देश में साथ आने की जरूरत है। कांग्रेस जहां साथ नहीं भी है, वहां भी साथ आने की जरूरत है। मैं कहता हूं वन-टू-वन होगा तो भाजपा को हराने के लिए अच्छा रहेगा। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव जी कांग्रेस से बातचीत करेंगे। सभी लोग बैठ के बात करेंगे। वन-टू-वन में कई चीजें सामने आती हैं। सीटों का मुद्दा भी उठता है।

अखिलेश ने राहुल की भारत जोड़ो यात्रा से बनाई दूरी

राहुल गांधी ने दक्षिण से भारत जोड़ो शुरू की थी। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जब यूपी से होकर गुजरी थी, तब केवल रालोद के नेता और कार्यकर्ता ही राहुल गांधी की यात्रा में नजर आए थे। अखिलेश यादव और सपा कार्यकर्ता ने भारत जोड़ो यात्रा से दूरी बनाए रखी। इससे साफ है कि अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ नहीं जाना चाहते हैं, क्योंकि वे पिछले लोकसभा चुनाव में देख चुके हैं कि महागठबंधन का क्या हश्र हुआ था। सपा का वोट शेयर गिरा था और उसको मात्र पांच सीटें ही मिली थीं।

रामगोपाल ने राहुल गांधी के बयान का किया विरोध

राहुल गांधी ने अभी हाल ही में नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री को नहीं करना चाहिए। राष्ट्रपति को नए संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए। इस पर सैफई में सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव से जब सवाल पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि संसदीय लोकतंत्र में असली अधिकार प्रधानमंत्री का होता है। अगर इस पर कोई सवाल उठाता है तो मैं कुछ नहीं नहीं कहना चाहता हूं। अखिलेश यादव के चाचा के बयान से साफ है कि सपा कांग्रेस के साथ नहीं जा रही है।

कांग्रेस को दिया मौका तो सपा को हो सकता है नुकसान

उत्तर प्रदेश में इस समय बीजेपी के बाद सपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। ऐसे में अखिलेश यादव नहीं चाहते यूपी में उनकी पार्टी का कद घटे। अगर अखिलेश यादव फिर से महागठबंधन में पड़ते हैं तो उनको पिछली बार की तरह ही इस बार बहुत सीटों पर समझौता करना पड़ेगा और इसका असर पार्टी पर भी पड़ेगा। वहीं, कांग्रेस को इसका फायदा होगा। पिछली बार भी महागठबंधन में कांग्रेस को यूपी में काफी फायदा हुआ था। उसने सपा से वो सीटें मांगी जिस पर सपा ठीक पोजीशन पर थी, लेकिन सपा को महागठबंधन की एकता के कारण वो सीटें कांग्रेस को देनी पड़ी थीं। ऐसे में अखिलेश यादव नहीं चाहते हैं कि यूपी में कांग्रेस सपा के जनाधार को कम करे। कहीं न कहीं अखिलेश में ये डर है।

लीडरशिप पर संशय, सभी बनना चाहते मुखिया

कांग्रेस चाहती है कि उसको महागठबंधन का लीडर चुना जाए, जबकि नीतीश कुमार और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी चाहती हैं कि वो आगे रहे। ऐसे में महागठबंधन में भी एकता नहीं है। अखिलेश यादव ये बात जानते हैं कि कांग्रेस कभी नहीं चाहेगी कि वो क्षेत्रीय दलों से कम उसको आंका जाए। ऐसे में लीडरशिप को लेकर कहीं न कहीं एक ऊहापोह महागठबंधन में शामिल होने वाली पार्टियों के मन में है।

दिल्ली में विपक्षी एकता की बैठक, क्या होगी कामयाब

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल, नीतीश कुमार, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के बीच मुलाकात हुई थी। बैठक में मेन मुद्दा आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को हराने के लिए सभी को फिर से महागठबंधन के लिए आने का आह्वाहन करना था। नीतीश कुमार की मुलाकात के बाद खरगे ने ट्वीट किया था, जिसमें लिखा था कि एकजुट होगा देश, ‘लोकतंत्र की मजबूती’ ही हमारा संदेश! राहुल गांधी और मैंने आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के साथ वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर चर्चा कर, देश को एक नई दिशा देने की प्रकिया को आगे बढ़ाया।

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