इंदौर
ऑटोमोबाइल मार्केट में इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) की रफ्तार लगातार बढ़ रही, लेकिन ईवी कारों को टक्कर देने के लिए हाइब्रिड कारों की डिमांड में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। पेट्रोल हाइब्रिड कार में यह वृद्धि 600% से ज्यादा है। पिछले साल सितंबर तक इंदौर में मात्र 368 हाइब्रिड कारें रजिस्टर्ड हुई थीं, जबकि इस साल यह संख्या 2345 तक हो गई है।
ऑटोमोबाइल सेक्टर के जानकारों का कहना है कि त्योहारी सीजन में और इजाफा हो सकता है। इसकी वजह हाइब्रिड कारों में इलेक्ट्रिक मोटर के साथ इंटरनल कंबक्शन इंजन होने से दोनों एक साथ या अलग-अलग काम करने से ऑपरेशन में आसानी होती है। इन कारों को अलग से चार्ज नहीं करना होता है। माइलेज बेहतर है। हालांकि इन कारों के रेट अन्य कारों की अपेक्षा ज्यादा हैं, लेकिन यह टेक्नालॉजी पर्यावरण के लिए भी अच्छी है।
जनवरी से अब तक 300 से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें रजिस्टर्ड
आरटीओ के वाहन पोर्टल के अनुसार इंदौर में 9000 से ज्यादा ईवी रजिस्टर्ड हो चुके हैं। पिछले साल इसी अवधि में 4340 हुए थे। इसमें कारों की संख्या 150 से 310 हो चुकी है। ऑटोमोबाइल कारोबारी विपिन बाहेती कहते हैं कि हाइब्रिड कारों ने एक दम से रफ्तार पकड़ी है। पिछले साल अक्टूबर के बाद से ही इसकी मांग बढ़ती जा रही है।
इस तरह काम करती है हाइब्रिड टेक्नोलॉजी
हाइब्रिड टेक्नोलॉजी में इंटर्नल सिस्टम के जरिए ही बैटरी चार्ज होती है, इसलिए बैटरी को रिचार्जिंग की जरूरत नहीं पड़ती। जब बैटरी गाड़ी को ऑपरेट करती है तो उस समय फ्यूल कंजम्पशन कम होता है, इसलिए इसका माइलेज ज्यादा होता है।
माइलेज अच्छा, पिकअप भी नॉर्मल से ज्यादा
- इलेक्ट्रिक ऑपरेशन से फ्यूल कम जलता है, इसलिए इन कारों से कार्बन व अन्य उत्सर्जन कम होता है।
- यह पर्यावरण हितैषी होती है। इनका माइलेज ज्यादा होता है। पिकअप नॉर्मल कार से ज्यादा होता है। रीसेल वैल्यू भी अच्छी है।
अब तक मार्केट में आ चुके चार मॉडल
ऑटो मेकर कंपनियां अब तक चार मॉडल बाजार में लेकर आ चुकी हैं। पैरेलल हाइब्रिड, सीरीज हाइब्रिड, तीसरा- प्लग-इन हाइब्रिड और चौथा- माइल्ड हाइब्रिड।