अग्नि आलोक

धोखेबाजों पर मेहरबान , खरगोन पुलिस !कानून व्यवस्था का अजीब चेहरा…

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सारे सबूतों के साथ शिकायत के बावजूद धोखेबाजो पर दर्ज नहीं करते एफआईआर बमुश्किल एफआईआर दर्ज तो आरोपी की गिरफ्तारी में अनदेखी

• NVDA उद्वहन नहर रोड़ बेलेंस वर्क

• उत्कृष्ट स्कूल जमीन

• अवैध तरीके से वाहन बिक्री रजिस्ट्रेशन

• जमीन की अवैध बिक्री रजिस्ट्री हो

• डीपीसी फर्जीवाड़ा मामला…..

, खरगोन

आपके साथ कहीं धोखाधड़ी हुई हो… और आप थाने पर जाकर एफआईआर कर न्याय की उम्मीद करों….या फिर जिला प्रशासन के पास… चाहे जनसुनवाई में ही क्यों न अपनी शिकायत लेकर कार्रवाई और न्याय की उम्मीद करों… लेकिन आपकी उम्मीद पर पानी फिरना तय है…. यह कहना तब लाजमी हो जाता है… जब जिले की कानून और व्यवस्था खुद धर्म कर्म के हाथों में हो…. और इन व्यवस्थापकों के मातहत भी इन्हीं की आंखों में धूल झोंक कर शिकायतकर्ता की शिकायत को…, पीड़ित की पीड़ा को दूर करने के बजाय उसे ही पीड़ा पहुंचाएं… और कथित आरोपियों के हिमायती और रहनुमा बन बैठे… ऐसा कहना तब ओर भी लाजमी हो जाता है … जब ऐसे मामले एक दो नहीं बल्कि अनेक हो….तब भी जब ऐसे मामले सैकड़ों हजारों के नहीं बल्कि

करोड़ों की हेराफेरी के हो…. बावजूद ऐसे मामलों की मय

नेट हाउस फर्जी लोन मामला

• प्लाट फर्जी और फर्जी रजिस्ट्री मामले

• बैंक बंधक प्लाट दुकानों की बिक्री रजिस्ट्री मामला

• रिटायर्ड पुलिस कर्मी से 60 लाख की धोखाधड़ी मामला माइक्रो बैंक के नाम से फर्जीवाड़े मामले

दस्तावेजी सबूतों के साथ हुई शिकायतों के बाद भी यदि पुलिस महकमें के जिम्मेदार कई मामलों को बाले बाले निपटा दे… कई मामलों की फाइलों को इतनी गहराई में दबा दे कि उसकी धूल भी हटाना मुश्किल हो… कई मामलों की जांच को इतना मुश्किल कर दे कि शिकायतकर्ता उम्मीद का दामन छोड़ने को मजबूर हो जाए… कई मामले ऐसे भी कि कथित लेनदेन कर आरोपी पर मेहरबानी कर दे और पीड़ित का मुंह भी बंद करने को मजबूर कर दे…. कई मामले तो ऐसे जिनके आरोपी रसूखदार होने से आरोपियों के लिए खाकीधारी होकर भी खाकसार बन जाए… कई मामले ऐसे की मुश्किलों से एफआईआर दर्ज भी हो जाए.. तो गिरफ्तारी के बजाय रहनुमा बन जाए… बहरहाल, धोखेबाजों पर इस तरह कानून के रखवालों की ही मेहरबानी, आमजन के मन में खाकी की छवि किस तरह की बना रही है.. यह गृह विभाग के लिए मंथन का विषय है… हालांकि पिछले दिनों में अलग अलग जिलों कानून के रक्षकों की जो तस्वीरें वायरल हुई है उससे भी खासा समझा जा सकता है।

NVDA उद्वहन नहर रोड़ बेलेंस वर्क

खरगोन उद्वहन नहर योजना से जुड़े करोड़ों के घोटाले की ऑनलाइन और लिखित शिकायतें मय सबूत के किए

जाने के महीनों बीतने के बावजूद आज तक पुलिस कोतवाली ने धोखेबाजों पर मेहरबानी बनाए रखे हुए है….

सूत्रों की माने तो उक्त मामले की शिकायत में स्पष्ट है कि खरगोन उद्वहन नहर योजना के बेलेंस वर्क 01 और

02 में साइड लाइन 35 किलोमीटर दूरी का रोड़ निर्माण करना था.. जीएम 01 में 12 किलोमीटर और जीएम

02 में 23 किलोमीटर बनाना था.. जिसकी लागत 31 करोड़ थी.. सूत्रों के अनुसार पुल पुलिया निर्माण सहित

रोड़ निर्माण में लगभग 12 करोड़ नुकसान पहुंचाया… टेंडर अनुसार पुलिया निर्माण नहीं की…इस काम को

पहले मेधा कंस्ट्रक्शन ने अधूरा छोड़ा.. ब्लैक लिस्ट हुई… इसके बाद स्वर्ण बिल्डकॉन को वर्क ऑर्डर दिया

… जबकि स्वर्ण बिल्डकॉन ने फर्जी सर्टिफिकेट लगाए थे, जिनकी जांच भी हुई है

उत्कृष्ट स्कूल जमीनः

खरगोन कोतवाली इलाके में ही उत्कृष्ट स्कूल जमीन का मामला बकायदा दर्ज हुआ है….इस मामले में सरकारी

जमीन को पैतृक जमीन होने का हवाला देकर तथाकथित प्रॉपर्टी इन्वेस्टर्स को बेचा गया था… हालांकि इस मामले

की शिकायत पर जांच और एफआईआर के बावजूद मामला दबा हुआ है… सूत्रों की माने तो इस कथित फर्जी

खरीद फरोख्त मामले में दिग्गज इन्वेस्टर्स शामिल है… पुख्ता कार्रवाई नहीं होने पर सोशल मीडिया पर सवाल

उठते है बावजूद कार्रवाई जीरो बटे सन्नाटा..!

अवैध तरीके से वाहन बिक्री रजिस्ट्रेशन

खरगोन के गोगावा इलाके के पीड़ित वाहन मालिक ने एसपी, कलेक्टर से लेकर वरिष्ठों तक इस बात की शिकायत की कि उसके वाहन को निजी फाइनेंस कंपनी के कथित गुर्गे ले गए… लंबे समय से शिकायत के बावजूद न्याय तो मिला नहीं बल्कि वाहन को अवैध तरीके से बेच कर खरगोन आरटीओ से बिक्री पश्चात अवैध नामांतरण रजिस्ट्रेशन करवा लिया… जिसकी शिकायत करने के बावजूद शिकायत कर्ता आज भी भटक रहा है… लेकिन एफआईआर नहीं हो रही..!

जमीन की अवैध बिक्री रजिस्ट्री

खरगोन में कालोनी में एक ही प्लाट को दो बार बेचकर रजिस्ट्री का खेल खेलने के मामले में वर्षों से शिकायत होती रही… बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं हुई… लेकिन जब पीड़ित पक्ष की बार बार की शिकायतों के बाद एफआईआर दर्ज हुई तो अब तक कथित आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो रही है..!

डीईओ, डीपीसी फर्जीवाड़ा मामला

खरगोन के तत्कालीन डीईओ डीपीसी की मय सबूत शिकायत के बावजूद पुलिस ने शिकायत दर्ज नहीं की… मामला कोर्ट में प्रायवेट कंप्लेन तक पहुंचा… जबकि फर्जी बिल भुगतानों सहित कई शिकायतों के बावजूद पुलिस का भ्रष्ट अफसरों का हिमायती बनना सिस्टम पर सवाल खड़े करता है..!

नेट हाउस फर्जी लोन मामला

कई वर्षों से फर्जी नेट हाउस मामला भी फाइलों में दबा हुआ है… एफआईआर दर्ज तो हुई लेकिन रसूखदार आरोपियों पर पुलिस इस कदर मेहरबान बनी हुई है… कि कई मर्तबा कथित आरोपियों के ही रक्षक बन हाथ बंधे खड़े नजर आते है… अब यह बेबसी है या रसूख से मिल रही रहमत का परिणाम, यह वही जाने लेकिन शिकायत कर्ता आज भी इस पशोपेश में जरूर है कि आखिर थाने बने किनके लिए है..!

बैंक बंधक प्लाट दुकानों की बिक्री रजिस्ट्री मामला

खरगोन जिले में थाना इलाकों बड़े बड़े कांडो पर एफआईआर होने के बजाय बाहर ही बाले बाले निपटाने में माहिर पुलिस कर्मी भी तैनात है… जबकि छोटे मोटे मामलों में या गरीब पर एफआईआर करने और उन पर रौब दिखाने में देरी नहीं करने वाला तंत्र भी सक्रिय है… ऐसा ही मामला निजी बैंक में बंधक प्रॉपर्टी की बिक्री और रजिस्ट्री का कोतवाली की दहलीज पहुंचा था … लेकिन कोतवाली के ही पुलिस कर्मी मामला दर्ज के बजाय बाहरी तौर पर सेटलमेंट करवा गया… अब बैंक तो अपनी वसूली कर गया लेकिन जो अपराध हुआ … उसे छिपाने में मददगार खुद वर्दी धारी ही बन बैठे…!

रिटायर्ड पुलिस कर्मी से 60 लाख की धोखाधड़ी मामला

कुछ वर्ष पहले एक रिटायर्ड पुलिस कर्मी के साथ ट्रेवल बस संचालन के नाम पर 60 लाख की धोखाधड़ी की थी… चौकाने बाकी बात रही कि तत्कालीन पुलिस अफसरों ने मामले को कागजों में दर्ज करने के बजाय अपने ही विभाग के कर्मी को न्याय देने के बजाय धोखेबाज आरोपियों पर बड़ी मेहरबानी दिखाई थी…!

माइक्रो बैंक के नाम से फर्जीवाड़े मामले

खरगोन शहर में माइक्रो बैंक और डेली या मासिक कलेक्शन कर एक मुश्त राशि देने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले भी मामले पुलिस जांच में पेंडिंग पड़े है… शिकायत कर्ता शिकायत करते करते इतने थक गए कि अब शयद कानून के रक्षकों पर भरोसा नहीं रहा… और इसके उलट धोखेबाजी करने वाले तो मौज करने में लगे है ही… वरन इनके जैसे कई धोखेबाज अब फिर मैदान में है….!

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