नई दिल्ली। रेलवे स्टेशनों पर पीएम मोदी की तस्वीर लगाकर बनाए गये सेल्फी प्वाइंट पर कितना खर्च आया है, इसको लेकर हुए विवाद के बाद भारतीय रेलवे ने आरटीआई नियमों को सख्त कर दिया है। रेलवे ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी देने के लिए जोनल रेलवे के लिए मानदंड कड़े कर दिए हैं।
वहीं इस आरटीआई का जवाब देने वाले अधिकारी का अचानक तबादला कर दिया गया है। मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शिवराज मानसपुरे का बिना किसी नोटिस के 29 दिसंबर को तबादला कर दिया गया। उन्हें यह भी नहीं बताया गया है कि उन्हें कहां भेजा जा रहा है।
रेलवे ने आरटीआई के तहत जानकारी देने को लेकर नए नियम बनाए हैं। अब आरटीआई के तहत दिए जाने वाले सभी जवाब जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों या मंडल रेलवे प्रबंधकों की मंजूरी के बाद ही दिए जा सकेंगे।
इससे पहले ‘द हिंदू’ ने 27 दिसंबर, 2023 को एक रिपोर्ट छापी थी जिसमें ये बताया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कटआउट वाले सभी स्थायी सेल्फी बूथों को बनाने में 6.25 लाख रुपये का खर्चा आया है और सभी अस्थायी सेल्फी बूथों को बनाने में 1.25 लाख रुपये खर्च हुए हैं। यह सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत केंद्रीय संचार ब्यूरो की ओर से अनुमोदित लागत है। पीएम सेल्फी प्वाइंट की कीमतों का खुलासा तब हुआ जब मध्य रेलवे एक आरटीआई में पूछे गए प्रश्न का जवाब दे रहा था।
पिछले साल दिसंबर माह में महाराष्ट्र के अमरावती के एक सामाजिक कार्यकर्ता अजय बोस ने एक आरटीआई डाल कर यह पूछा था कि रेलवे स्टेशनों पर बनी पीएम मोदी की सेल्फी प्वाइंट पर कितना खर्चा आया है।
इससे पहले विपक्ष ने पीएम मोदी की सेल्फी प्वाइंट पर सवाल उठाया था और इसे पैसे की बर्बादी कहा था। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर किए एक पोस्ट में कहा था कि रेलवे स्टेशनों पर पीएम मोदी का सेल्फी बूथ बनाना टैक्सपेयर्स के पैसों की बर्बादी है।
(‘द हिंदू’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)