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सुखनिवास पैलेसःमहल का हर कोना और हर झरोखा किसी न किसी कहानी को समेटे हए है….

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इंदौर शहर मालवा की धरती पर बसा एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक केंद्र है…. अपने भव्य महलों और राजसी इतिहास के लिए जाना जाता है…. इस शहर में होलकर राजवंश के कई निशान देखने को मिलते हैं, जिनमें से एक अद्वितीय और रहस्यमय स्थल है सुख निवास पैलेस…. यह महल न केवल अपनी भव्यता और शाही ठाट-बाट के लिए प्रसिद्ध है बल्कि अपने चारों ओर बुनी गई डरावनी कहानियों और रहस्यमय घटनाओं के लिए भी जाना जाता है…. सुख निवास पैलेस वह स्थान है, जहाँ इतिहास और रहस्य का अनूठा मेल देखने को मिलता है…. यह महल 19वीं शताब्दी में होलकर राजवंश के शासनकाल में बनाया गया था…. इसे शाही परिवार के ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में उपयोग किया जाता था, जहाँ वे अपनी व्यस्त दिनचर्या और प्रशासनिक जिम्मेदारियों से दूर सुकून के कुछ पल बिताते थे…. महल का नाम ‘सुख निवास’ भी इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए रखा गया था-एक ऐसा स्थान, जहाँ शांति और आराम की अनुभूति हो…. लेकिन समय के साथ इस महल ने केवल शाही आरामगाह होने का तमगा नहीं रखा बल्कि इसके चारों ओर रहस्यमय घटनाओं और भूतिया कहानियों ने इसे और भी आकर्षक और रोचक बना दिया…. महल का हर कोना, हर दीवार, और हर झरोखा किसी न किसी कहानी को समेटे हए है….

सुखनिवास पेलेस

प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इंदौर अपने पुराने किले, महल, मंदिर और पैलेस से भी समृद्ध है…. राजा रजवाड़ों के दौर की कई इमारतें यहां आज भी सुरक्षित हैं. इनमें से एक सुखनिवास पैलेस भी है….इस पैलेस को गर्मी में रहने के लिए बनवाया गया था…. राजा-महाराजा गर्मियों में यहां घूमने आते थे….

इतिहास में दर्ज जानकारी के अनुसार सुखनिवास पैलेस को तुकोजीराव होलकर द्वितीय के बेटे शिवाजीराव होलकर ने बनवाया था….इस पैलेस को भमोरी तालाब के किनारे 1883 में बनवाया गया था…. राजा-महाराजा गर्मियों में यहां आते थे और इसे एक पिकनिक प्लेस की तरह इस्तेमाल करते थे…. सुखनिवास पैलेस से होलकर शासकों के विलासितापूर्ण जीवन का भी अंदाजा लगाया जा सकता है….

शांत, सुंदर और हरे-भरे पेड़ पौधों से भरे और तालाब के पास बना यह पैलेस गर्मियों में सुख और शांति देता था…. इसलिए इसे सुखनिवास पैलेस कहा जाने लगा…. यह महल भारतीय और पश्चिमी स्टाइल में बना है…. इंदौर से करीब 11 किमी दूर भमोरी तालाब के तट पर बने इस पैलेस को बनाने में 1883 में लगभग साठ हजार रुपए खर्च हुए थे….

इस महल का मुख्य आकर्षण यहां की अंडरग्राउंड सुरंग है…. यह सुरंग महल और होलकर राजाओं के बीच कड़ी का काम करती थी…. फिलहाल यह ऐतिहासिक महल पिकनिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है…. अन्य किलों और महलों की तरह यह महल भी कबाड़ होता जा रहा था

लेकिन समय रहते इसकी मरम्मत कर इसे फिर से नया जीवन दिया गया….

यह पैलेस पहले सफेद रंग का था लेकिन मरम्मत के बाद इसे पीले रंग से रंगा गया है…. महल के कुछ हिस्सों की दोबारा मरम्मत की गई…. इसे जब बनवाया गया था तब इसे बनाने में चूना और गुड़ के साथ दाल आदि के मिश्रण का इस्तेमाल किया गया था…. इस महल में पुरानी स्टाइल में ही नई फिटिंग की गई है…. यहां तक कि इसके पुराने पुराने लुक लुक को को बनाए बनाए रखने रखने के लिए इसमें संगमरमर भी पुराने स्टाइल के ही लगाए गए हैं…. दरवाजे-खिड़की की कुंडियां पुरानी शैली की तरह ही लगाई गई हैं….

इस ऐतिहासिक इमारत को बचाए रखने के लिए आरआर clusive कैट (राजा रमन्ना सेंटर फॉर एडवांस टेक्नोलॉजी) के वैज्ञानिक और स्टाफ ने काफी प्रयास किया…. वर्षों पुराने इस पैलेस के पास से गुजरने वाले वाहनों के कंपन से इसे और ज्यादा नुकसान हो रहा था…. इससे बचाने के लिए पैलेस के पास के रास्ते को नो व्हीकल जोन घोषित किया गया….

वाहनों के बंद होने से अब वहां काफी ज्यादा मोर और अन्य पक्षी बिना किसी डर के घूमते रहते हैं…. पास के तालाब के चलते पक्षियों के साथ ही लोगों को भी ताजी हवा और हरियाली देखने को मिलती है….

अब यह राजा रमन्ना सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (आरआर कैट) के रूप में देशभर में जाना जाता है…. डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी के तहत यह बड़े रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के रूप में प्रसिद्ध है….

पैलेस के निर्माण में चूना और गुड़ के साथ दाल आदि के मिश्रण का इस्तेमाल किया गया था…. महल का मुख्य आकर्षण यहां की अंडरग्राउंड सुरंग है…. यह सुरंग महल और होलकर राजाओं के बीच कड़ी का काम करती थी.

होलकर राजवंश, जिनकी उदारता और प्रभावशाली शासन ने इंदौर को मध्य भारत का सांस्कृतिक केंद्र बनाया, ने कई भव्य महलों का निर्माण किया…. सुख निवास पैलेस….उन्हीं में से एक है….

यह महल 19वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया था और इसे गर्मियों के दौरान शाही परिवार के आरामदायक निवास के रूप में प्रयोग किया जाता था….

महल का नाम “सुख निवास” इस बात को दर्शाता है कि इसे सुख-शांति और आराम के उद्देश्य से डिजाइन किया गया था….

महल का स्थापत्य वैभव यूरोपीय और भारतीय वास्तुशिल्प का अनोखा मिश्रण है….

लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से बने इस महल के भीतर सुंदर मेहराब, नक्काशीदार स्तंभ, और आकर्षक झरोखे हैं, जो शाही ठाट-बाट का प्रमाण देते हैं….

इसकी भव्यता केवल इसके निर्माण तक ही सीमित नहीं थी; सुख निवास पैलेस को शाही उत्सवों, समारोहों और महत्वपूर्ण राजनीतिक बैठकों का भी गवाह बनने का गौरव प्राप्त है….

वास्तुकला का जादू

सुख निवास पैलेस की डिजाइन में यूरोपीय प्रभाव साफ दिखाई देता है…..

महल के भीतर विशाल बगीचे, कृत्रिम झील, और पानी के फव्वारे इसे उस समय के सबसे उन्नत और आधुनिक महलों में से एक बनाते थे….

झील की बनावट और महल के आसपास के हरियाली से घिरे परिवेश को इस तरह से सजाया गया है, जिससे यहाँ एक शांत और सुकून भरा माहौल बन सके….

महल के भीतर दीवारों पर किए गए चित्र और नक्काशी, कला और संस्कृति के प्रति होलकर राजाओं की रुचि को दर्शाते हैं….

महल का हर कोना एक कहानी बयाँ करता है-चाहे वह राजा-रानी के निजी कक्ष हों या वह भव्य दीवान ए-खास, जहाँ राजनीतिक और प्रशासनिक चर्चा होती

भूतों और रहस्यमय कहानियों का ठिकाना

इतिहास के साथ जब रहस्य जुड़ता है, तो वह स्थल और भी आकर्षक हो जाता है…..

सुख निवास पैलेस के मामले में भी ऐसा ही है…. समय के साथ यह महल केवल एक ऐतिहासिक स्मारक नहीं रहा, बल्कि यह कुछ डरावनी कहानियों

और भुतहा किस्सों का केंद्र भी बन गया….

स्थानीय निवासियों और पर्यटकों के अनुसार, महल के कुछ हिस्सों में अजीब घटनाएँ होती हैं….

महल के वीरान हिस्सों से रात में दरवाजों के खुलने- बंद होने की आवाजें, भारी कदमों की आहट, और रहस्यमय परछाइयाँ देखे जाने की कहानियाँ सुनाई देती है….

कुछ लोगों का मानना है कि महल के कुछ पुराने सेवक, जिन्होंने यहाँ जीवन भर सेवा की थी, उनकी आत्माएँ अब भी यहाँ भटकती हैं….

एक कहानी के अनुसार, महल का एक कमरा शापित

इस कमरे को रानी का अंतिम कक्ष कहा जाता है, जहाँ उन्होंने अपने जीवन के आखिरी दिन बिताए थे…. कहा जाता है कि रानी की आत्मा अभी भी यहाँ मौजूद

महल के पास स्थित झील भी रहस्य से अछूती नहीं है….

रात के समय यहाँ से किसी के रोने या चीखने की आवाजें सुनाई देने की घटनाएँ भी सामने आई हैं….. हालाँकि, इन कहानियों की कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं है, लेकिन ये किस्से महल के प्रति लोगों की जिज्ञासा बढ़ा देते हैं….

भूतहा कहानियों के पीछे का विज्ञान

जिन रहस्यमय कहानियों ने सुख निवास पैलेस को भुतहा स्थल के रूप में लोकप्रिय किया है, उन्हें लेकर विशेषज्ञों की अलग राय है….

– कई बार, पुरानी इमारतों में हवा और संरचनात्मक कारणों से आवाजें सुनाई देती हैं,

जिन्हें लोग डरावनी घटनाओं से जोड़ देते हैं…. – महल की प्राचीनता और वीरान हिस्से, खासकर रात के समय, मन में भय और कल्पनाएँ उत्पन्न कर सकते हैं….

हालाँकि, ये किस्से महल की लोकप्रियता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं….

कई पर्यटक यहाँ केवल इन कहानियों की वजह से आते हैं….

पर्यटन का केंद्र

आज के समय में सुख निवास पैलेस केवल भुतहा कहानियों तक सीमित नहीं है….

यह इंदौर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है…. महल की खूबसूरती और शांति, पर्यटकों को यहाँ आने के लिए मजबूर करती है….

महल के अंदर मौजूद संग्रहालय, शाही परिवार से जुड़े ऐतिहासिक दस्तावेज़, और कलाकृतियाँ यहाँ आने वाले लोगों को इतिहास से जोड़ती हैं…..

साथ ही, पर्यटक यहाँ के बगीचों और झील के आसपास टहलकर प्रकृति की खूबसूरती का आनंद लेते हैं….

महल के आसपास होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शनियाँ इसे और भी खास बनाते हैं…. यहाँ हर साल स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटक आते हैं, जो इंदौर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को करीब से महसूस करना चाहते हैं….

सुख निवास पैलेस केवल एक महल नहीं है, बल्कि यह इंदौर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक है….

इसके पीछे छिपी कहानियाँ चाहे वह शाही वैभव की हों या रहस्यमय घटनाओं की, इसे और भी खास बनाती हैं….

महल को केवल डरावनी कहानियों से जोड़ना इसके गौरवशाली इतिहास के साथ अन्याय होगा…. यह स्थल हमें होलकर राजवंश के जीवन, उनके प्रशासनिक कौशल, और उनके सांस्कृतिक योगदान की याद दिलाता है….

आवश्यक है कि हम इस महल को एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के रुप में संरक्षित करें और इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए सहेज कर रखें…. साथ ही, इस महल से जुड़ी कहानियों को एक रोमांचक अनुभव के रूप में प्रचारित करना चाहिए, ताकि यह इंदौर के पर्यटन को बढ़ावा दे सके….

सुख निवास पैलेस इतिहास, वास्तुकला, और रहस्य का एक अद्भुत संगम है…. चाहे आप इतिहास प्रेमी हो, कला के प्रशंसक हों, या रहस्यमय कहानियों में रुचि रखते हों, यह महल आपके लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है… यदि आप इंदौर की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो सुख निवास पैलेस को अपनी सूची में जरूर शामिल करें… यह स्थान आपको न केवल शाही वैभव का अनुभव कराएगा, बल्कि आपको एक ऐसे सफर पर ले जाएगा, जहाँ इतिहास और रहस्य एक साथ चलते हैं…. इंदौर से करीब 11 किमी दूर भमोरी तालाब के तट पर बने इस पैलेस

के निर्माण में तब लगभग साठ हजार रुपए खर्च हुए थे…. ग्रीष्मकाल में यहां पेड़ों की हरियाली और तालाब का पानी से सुख की अनुभूति होती थी, इसलिए महल का नाम सुख निवास पैलेस रखा गया…..

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