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कर्मचारी शेर तो अधिकारी सवा शेर…अर्थात शेर को सवा शेर मिल ही गया ये मुहावरा शुक्रवार को झोन क्रं.14 राजेन्द्र धारकर राजस्व विभाग की पहली सामान्य समीक्षा बैठक में उस वक्त सार्थक हुआ जब नए सहा.राजस्व अधिकारी मनीष हरियाले ने बैठक में ही कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा नेताओं से फोन लगवाने के मुद्दे पर बात शुरू की इस दौरान बैठक में ही हरियाले ने उन अधिकारियों व कर्मचारियों को बगैर नाम लिए आडे हाथ लेते हुए कहा कि मुझे कुछ कर्मचारियों ने नेताओं से फोन लगवाए है,मुझे ये पसंद नहीं है…अब मेरे पास फोन नही आना चाहिए में भी ऊससे भी ऊपर से फोन लगवा सकता हूँ,हरियाले की ये बात सुन फोन लगवाकर रसूख दिखाने वाले अधिकारी व कर्मचारी एक दूसरे का मुंह ताकने लगे बैठक में उठे मुद्दे ने एक बात तो साफ कर दी है। कि हरियाले भी अपने विभाग में बैठे रसूखदार नकारे कर्मचारियों को पहचान गए है। बैठक में ये अधिकारी रहे मौजूद अखिलेश मालवीय बिल कलेक्टर वार्ड क्रमांक 85 वसूली सहायक धर्मेंद्र यादव, पवन चावड़ा बिल कलेक्टर वार्ड क्रमांक 84 अजय पाठक, वसूली सहायक रमेश जोशी, महेश बेतव, बिल कलेक्टर वार्ड 82 तरुण पाराशर वसूली सहायक जितेंद्र गौड, राजेश जायसवाल, महेश सैनी, बिल कलेक्टर वार्ड 79 पवन उपाध्याय,वसूली सहायक,अर्पित चौधरी उपस्थित रहे आपको बता दे की अपने विभाग के नकारे अधिकारियों व कर्मचारियों के कामकाज को लेकर बैठक में जो नाराजगी हरियाले ने दिखाई है, उसे नकारे कर्मचारी व अधिकारी पचा नहीं पा रहे हैं, वैसे ये पहली बार नहीं जब यहां पदस्थ राजस्व अधिकारियों व कर्मचारियों के कामकाज को लेकर लापरवाही की बात सामने आई है” इससे पहले वार्ड क्रमांक 85 में पदस्थ अखिलेश मालवीय कामकाज में लापरवाही को लेकर बर्खास्त भी हो चुके है। इधर बैठक में अंत में पूर्व सहायक राजस्व अधिकारी सुरेंद्र खरे के कामकाज और कार्यकाल के दौरान हुए कामों पर भी चर्चा हुई इस दौरान हरियाले ने सख्त तेवर दिखाते हुए बैठक में ही कहा कि इससे पहले के सहायक राजस्व अधिकारी के कार्यकाल में क्या हुआ क्या नहीं हुआ उससे मुझे कोई लेना-देना नहीं है_ मैं उसपर जाना भी नही चाहता पर मेरे कार्यकाल में वैसा काम नहीं चलेगा बैठक में उठी इस बात ने ये खुलासा जरूर कर दिया है कि इससे पहले सहायक राजस्व अधिकारी रहे सुरेंद्र खरे के कार्यकाल के दौरान जमकर लापरवाही हुई है।
*# यहा पदस्थ ज्यादातर कर्मचारी नेताओं के रिश्तेदार*
संभवत ये ऐसा पहला राजस्व विभाग है,जहां या तो पदस्थ कर्मचारी नेताओं के रिश्तेदार है,या फिर रसूखदार जिसका दम वो नए आए राजस्व अधिकारी को शुरुआती दौर में ही दिखाने का प्रयास कर रहे थे। पर पासा उल्टा पड़ गया बताते हैं कि यहां कई ऐसे कर्मचारी भी है_जो कार्यरत तो कागजों में किसी और विभाग में है पर काम यहां कर रहे है, तो वहीं कुछ कर्मचारी ऐसे हैं जो बगैर पद स्थापना के ही यहां कार्यरत है। इस तरह के कई मामलों पर ध्यान देने की जरूरत नए सहायक राजस्व अधिकारी को है_ क्योंकि पुराने सहायक राजस्व अधिकारी तो मामले पर अपने अधीनस्थों के साथ सांठगांठ कर सिर्फ लीपापोती ही कर रहे थे नए राजस्व अधिकारी के आने से अब गड़बड़ियां धीरे-धीरे खुलकर सामने आने लगी है। साथ ही सुधार की आशंका को भी बल मिला है।
*# पहली बैठक में ही बरसें हरियाले*
झोन क्रमांक 1 डॉ. हेडगेवार (किला मैदान राजस्व विभाग से तबादला होकर झोन क्रं.14 राजेन्द्र धारकर (हवाबंगला पर आए सहायक राजस्व अधिकारी मनीष हरियाले ने शुक्रवार दोपहर 4:20 पर बिल कलेक्टरो व सहायको की पहली बैठक ली कुछ ही समय चली इस पहली बैठक में हरियाले ने समय पर ऑफिस नहीं आने वाले बिल कलेक्टरो व सहायको को आडे हाथ लिया इस दौरान इच्छा अनुसार साइन कर जाने वाले कर्मचारियों का मुद्दा भी हरियाले ने बैठक में उठाया तब साइन कर जाने वाले कर्मचारी और समय पर ऑफिस नहीं आने वाले कर्मचारी भी ये देखकर हक्का बक्का रह गए कि नए राजस्व अधिकारी ने कुछ ही दिनों में सबकुछ भाप लिया हालांकि हरियाले ने चुनिंदा बिल कलेक्टरों व सहायको के समय पर आने की सराहना की ओर जो बिल कलेक्टर समय पर ऑफिस नही पहुंच रहे उनको चिन्हित कर बैठक मे ही साथी कर्मचारियों से सीख लेने व समय पर ऑफिस आने की हिदायत दी।
*# आरटीआई आवेदनों की बढ़ती संख्या पर भी चर्चा*
आरटीआई आवेदनों की बढ़ती संख्या का मुद्दा भी बैठक में छाया रहा आरटीआई आवेदनों के बढ़ते मामलों को लेकर हरियाले ने दस्तावेज क्रम अनुसार रखने के निर्देश बिल कलेक्टरों व उनके सहायकों को बैठक में दिए इस दौरान कर्मचारियों को हरियाले ने कहा कि थोडा समय जरूर लगेगा लेकिन दस्तावेज क्रमअनुसार व ठीक ठाक करने रखे ताकि जरूरत पडऩे पर आरटीआई में मागे जाने पर दस्तावेज आसानी से दिखाए व दिए जा सके इधर इस दौरान एक आरटीआई आवेदन पर 6 माह बाद भी जानकारी नहीं देने और आवेदक के बार बार आने व शिकायत करने का मुद्दा भी गर्मया तभी बैठक में ही किसी कर्मचारी ने ये कहते हुए इस पर बात ज्यादा ना करने की बात कही की आवेदक बाहर ही बैठा है,इस दौरान अदर ही बैठक मे बैठे एक कर्मचारी ने भारी आवाज में कहा की बैठे रहने दो कोई डर है,क्या बताते है,तभी किसी कर्मचारी ने चुप रहने का इशारा कर दिया फिर कर्मचारी ने भी चुप्पी साध ली।