कई तहसीलदार भी राजस्व निरीक्षकों और पटवारियों के खेल में शामिल
इंदौर। विभिन्न तहसीलों, ग्रामों में तैनात पटवारियों के बिना लेनदेन के काम नहीं करने के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। कलेक्टर की नाक के नीचे बैठने वाले पटवारी या तो हाथ नहीं आते या फिर काम के एवज में मोटी रकम वसूल रहे हैं। 15 से 20 हजार लेकर जहां नामांतरण और बंटवारे किए जा रहे हैं, वहीं रिपोर्ट बनाने के नाम पर आवेदकों से मोटी वसूली की जा रही है।
शासन द्वारा जारी निर्देश और कलेक्टर कार्यालय में कमरा नं. जी-12 में पटवारियों की बैठक व्यवस्था जमाने के बावजूद भी आवेदकों को धक्के ही नसीब हो रहे हैं। किसानों को जहां जमीनों की रिपोर्ट लेना हो। नामांतरण करवाना हो, बंटवारे के मामले हों या डायवर्सन टैक्स भरवाना हो, इसके लिए पटवारियों को अच्छी खासी रकम देना पड़ रही है। तहसीलदारों के नाम पर दस हजार और नामांतरण और बंटवारे जैसे कामों को लेकर 15 से 20 हजार रुपए तक की मांग कलेक्टर कार्यालय में की जा रही है। हातोद तहसील के पटवारी प्रकाश तोमर की शिकायत लेकर पहुंचे आवेदक राजेंद्र जोशी ने कलेक्टर के समक्ष लिखित में आवेदन देते हुए बताया कि डायवर्टेड भूमि की भी रिपोर्ट लेने के लिए पटवारी 15 हजार रुपए की डिमांड कर रहे हैं और पैसे नहीं देंने की सूरत में जान बूझकर निगेटिव रिपोर्ट थमाई जा रही है। प्रकरण खारिज करने की धौंस देकर 15 हजार और तहसीलदार के नाम पर 10 हजार रुपए की अलग से वसूली की जा रही है।
कार्यालय में नहीं बैठ रहे
कलेक्टर के निर्देश के बावजूद भी आवेदकों को पटवारियों तक पहुंचना डेढ़ी खीर हो गया है। कल अपनी बेटी की नौकरी के लिए दस्तावेज सत्यापन के लिए धक्के खा रही मां पटवारी देवराज दांगी को ढूंढती रही। बार बार फोन लगाने के बावजूद भी जब काम नहीं बना तो वह आने जाने वाले एक-एक व्यक्ति से पूछती रही कि देवराज दांगी को पहचानते हो क्या। तहसील कार्यालय में प्रत्येक दिन अलग-अलग क्षेत्र के पटवारियों की बैठक व्यवस्था की सूची तय की गई है, लेकिन उगाही और अपने मतलब के कामो में व्यस्त पटवारियों को ढूंढना आवेदकों के लिए काम कराने से बड़ी जिम्मेदारी हो गई है।
रेडक्रास की दो हजार की पर्ची
जिला प्रशासन के तहत जारी निर्देश के अनुसार किसी भी काम को करवाने के पहले रेडक्रास की पर्ची कटवानी पड़ रही है। कलेक्टर ने प्रत्येक तहसीलदार को दो लाख रुपए रेडक्रास में भरवाने के निर्देश जारी किये हैं, जिसके बाद यह वसूली नामांतरण बंटवारे और अन्य काम को करवाने के लिए आ रहे आवेदकों से की जा रही है। नामांतरण के लिए दो हजार रुपए की पर्ची काटी जा रही है। दूसरी तरफ पटवारियों की मनामानी से आवेदक परेशान हो रहे हैं।
कलेक्टर को सीधी शिकायत के बावजूद नहीं हुआ निराकरण
नवागत कलेक्टर इलैया राजा टी को जूनी इंदौर तहसील में सीमांकन एवं बटांकन के 22 अक्टूबर को दिए गए आवेदन के संदर्भ में ग्राम पीपल्याहाना के आवेदक मोहन जामले द्वारा आवेदन के तीन माह बाद 1 जनवरी को शिकायत की गई, लेकिन इसके बावजूद मार्च माह तक आवेदन का निराकरण नहीं हो पाया। पटवारी, तहसीलदार कलेक्टर को भी व्यस्तता का बहाना देते रहे।