Site icon अग्नि आलोक

उत्तर प्रदेश को छोड़कर कहीं भी गठबंधन का पेंच नहीं फंसेगा,बिहार सध गया और महाराष्ट्र में दिक्कत नहीं; दिल्ली में संभले

Share

कांग्रेस के अंदर खाने से बड़ी खबर आ रही है। पार्टी के एक महासचिव  का कहना है कि उत्तर प्रदेश को छोड़कर कहीं भी गठबंधन का अधिक पेंच नहीं फंसेगा। अखिलेश यादव के करीबी और दुबई से लौटकर आए नेता का कहना है कि रालोद, सपा और कांग्रेस के बीच में सीटों के बंटवारे की बात चल रही है। हालांकि, अंदर खाने से खबर है कि कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा इसमें चौथे दल के रूप में बसपा की इंट्री का प्रयास कर रहा है। बताते हैं बिहार में जद(यू), राजद और आंग्रेस के बीच में मोटी-मोटी सहमति बन गई है। अब केवल राजद और जद(यू) को आपस में समझना है।राहुल गांधी की भारत न्याय यात्रा आरंभ होने से पहले इंडिया गठबंधन अपने भीतर के सभी पेंच सुलझा लेगा। इस समय इसका समाधान ही उच्च प्राथमिकता में है।

सूत्र का कहना है कि जद(यू) के वर्तमान में लोकसभा में 16 सांसद हैं, लेकिन गठबंधन में सहयोगी दलों का ख्याल रखना होता है। इसे जद(यू) और सहयोगी दल राजद दोनों समझते हैं। राजद के एक विधायक की माने तो 16 सीट पर राजद और 16 सीट पर जद(यू) 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। शेष सीट कांग्रेस और वाम दल के पाले में जाएगी। इसलिए सहमति बनने में कोई बड़ा रोड़ा नहीं है। महाराष्ट्र में भी कोई बड़ा पेंच नहीं फंसने वाला है। रविवार तक नतीजे पर पहुंच जाएंगे। 

वरिष्ठ नेता का कहना है कि राहुल गांधी की भारत न्याय यात्रा आरंभ होने से पहले इंडिया गठबंधन अपने भीतर के सभी पेंच सुलझा लेगा। इस समय इसका समाधान ही उच्च प्राथमिकता में है। दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस पार्टी के एक राज्य के प्रभारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में कोई बहुत चिंता नहीं है। वह कहते हैं कि लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी के बयानों पर मत जाइए। इंडिया गठबंधन के सभी नेता इसकी एकजुटता के लिए गंभीर हैं। माना जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस 34-36 सीटों पर अपना दावा पेश करेगी। शेष सीटें सहयोगियों के लिए रहेगी।

हमसे ज्यादा तो महाराष्ट्र में एनडीए के सामने खड़ी होगी चुनौती
कांग्रेस के नेता महाराष्ट्र का जिक्र करने पर कहते हैं कि महाविकास अघाड़ी में शामिल दलों में शिवसेना (यूबीटी) 2029 में सबसे अधिक सांसद जीतकर आए थे। हमारा अपना दावा है और एनसीपी के भी दावे हैं। इसे आज शाम को होने वाली बेठक में व्यवहारिक रूप देने की कोशिश की जाएगी। संजय राऊत ने भी दावा किया है कि सीटों के बंटवारे को करीब करीब सुलझा लिया गया है। 

हालांकि, सूत्र का कहना है कि अभी सीटों के बंटवारे को लेकर महाराष्ट्र में एनडीए में भी सिर फुटौव्वल होने वाली है। वहां शिवसेना छोड़कर गए एकनाथ शिंदे और शारद पवार की एनसीपी छोड़कर गए अजीत पवार की पार्टी को भी लोकसभा चुनाव 2024 लडऩा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री रहे सूत्र का कहना है कि कांग्रेस के नेताओं को भाजपा और एनडीए के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। महाराष्ट्र भाजपा के बड़े नेताओं में गिने जाने वाले सूत्र का कहना है कि 2024 में 48 में से 30 से अधिक सीटें जीतकर हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देने वाले हैं।

महाराष्ट्र, बिहार, उ.प्र., दिल्ली… में ही इंडिया गठबंधन पर ज्यादा जोर
कांग्रेस के सूत्र कहते हैं कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हरियाणा समेत तमाम राज्यों में इंडिया गठबंधन की जरूरत नहीं है। समाजवादी पार्टी के नेता और कांग्रेस के टिकट पर अलीगढ़ से लोकसभा चुनाव जीत चुके बिजेन्द्र सिंह भी कहते हैं कि असल की राजनीतिक लड़ाई तो यूपी में है। दक्षिण भारत में भाजपा लड़ाई में बहुत कमजोर है। यूपी में लोकसभा की 80, बिहार में 40, पश्चिम बंगाल में 42, महाराष्ट्र में 48 लोकसभा की सीटें हैं। चार राज्यों की 210 सीटों पर भाजपा को कड़ी चुनौती देने की तैयारी है। 2019 में एनडीए ने 210 में 165 पर जीत हासिल की थी। बताते हैं कि चारों राज्यों में कड़ी टक्कर देकर एनडीए को आसानी से 100 सीटों पर लाया जा सकता है। एनडीए को 64 सीटों का नुकसान हो सकता है।

यूपी में 4 दल मिलकर लड़े तो क्या हो सकता है सीटों का बंटवारा?
अभी यूपी में इंडिया गठबंधन में समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल और कांग्रेस शामिल है। कांग्रेस प्रियंका गांधी की टीम में रहे नेता का कहना है कि बात चल रही है। कांग्रेस राज्य की 12 सीटों पर अपना मजबूत दावा समझती है। इंडिया गठबंधन में बसपा के शामिल होने के बारे में सूत्र का कहना है कि उनके पास कोई सूचना नहीं है। इतना तय है कि यदि चारों दल उ.प्र. में तालमेल से लड़े तो भाजपा को 2024 में जनता मजा चखा देगी।

जहां तक सीट बंटवारे का प्रश्न है तो समाजवादी पार्टी के नेता के मुताबिक उनकी पार्टी ने कांग्रेस जिन सीटों पर लड़ना चाहती है, उसका आधार पूछा है। अखिलेश यादव के करीबी संजय लाठर कहते हैं कि कांग्रेस को भाजपा को लाभ पहुंचाने वाली रणनीति पर नहीं चलना चाहिए। लाठर कहते हैं कि कांग्रेस को पड़ोसी राज्यों में भी सपा को सीटें देने के बारे में सोचना चाहिए। 

समाजवादी पार्टी के नेता का कहना है कि मोटे तौर पर रालोद के साथ सहमति बन गई है। इसमें (पश्चिमी उ.प्र.) जहां रालोद का प्रभाव (जाट बाहुल) है, वहां उसके प्रत्याशी और शेष सीटों पर हमारे प्रत्याशी। लाठर कहते हैं कि 52 सीटों पर समाजवादी पार्टी लड़ाई की स्थिति में है। 14-15 सीटें ऐसी हैं, जहां से भाजपा हर हाल में जीतती है। इसके बाद 13-14 सीटें ही बचती है। इसलिए सभी समीकरणों को गंभीरता से सोचकर सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दिया जाएगा।

Exit mobile version