*अदालत की आदेश की पहली राज्य सरकार में पीथमपुर की कंपनी को 20% राशि का भुगतान कर ठेका दे दिया था**2005 में₹14 रूपये 80 पैसे प्रति किलो में दिया गया था ठेका, अब हो गया है 246 गुना बढ़कर 3700 प्रति किलो**समाजवादी पार्टी ने सरकार से किए सवाल, मांगा जवाब*
इंदौर। डॉक्टरों, विशेषज्ञों, सामाजिक संगठनों से लेकर स्थानीय नागरिकों और पक्ष-विपक्ष के जनप्रतिनिधियों के विरोध के बावजूद यूनियन कार्बाइड का ज़हरीला कचरा पीथमपुर में ही जलाने की सरकारी जींद के पीछे बड़े आर्थिक घोटाले का आरोप लगाते हुए समाजवादी पार्टी ने इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। पार्टी के प्रदेश महासचिव रामस्वरूप मंत्री ने उक्त आरोप लगाते हुए कहा है कि ये पूरा खेल हज़ारों करोड़ की डीलिंग का है। यूनियन कार्बाइड की बेस कीमती अरबो की जमीन पर भाजपा नेताओं की निगाह थी और वे किसी भी तरह इस जमीन को हथियाना चाहते थे। यहां कितना बड़ा घोटाला है यह इसी बात से साबित होता है कि 2005 में इसी कचरे को ₹14.80 पैसे प्रति किलो में जलाने का ठेका दिया गया था जो अब 246 गुना बढ़कर 3700 रूपये प्रति किलो हो गया है।
आपने कहा कि पूरा खेल ज़मीन माफिया, बीजेपी और भ्रष्ट अधिकारियों/मंत्रियों की कारगुज़ारी का है। लाखों लोगों की जान संकट में डालकर ये अपनी तिजोरी भरना चाहते हैं। इनको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि मालवा की आने वाली पीढ़ियाँ विकलांग पैदा होंगी या हर घर में कैंसर से मौत होगी।
श्री मंत्री ने कहा कि कचरे को पीथमपुर भेजना के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सरकार ने यह कचरा पीतमपुर में जलन का निर्णय लिया है और कचरा पीथमपुर भेजा गया है जबकि हकीकत यह है कि कोर्ट के आदेश के पहले ही सरकार ने कचरा पीथमपुर की राम की कंपनी को जलाने का ठेका दे दिया था और 20 प्रतिशत रकम का भुगतान भी कर दिया था।मोहन यादव सरकार ने पीथमपुर की कचरा जलाने वाली संस्था मेसर्स पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को दिनांक 29 मई 2024 को ही 20% की राशि 21.37 करोड़ का भुगतान भी कर दिया था।हक़ीक़त यह है कि 29 मई 2024 को ही मोहन यादव सरकार ने कचरा पीथमपुर भेजने के लिये 126 करोड़ की स्वीकृति दे दी थी।
आपने कहा कि इस ज़मीन से कचरा हटाना और जमीन हथियाना बीजेपी नेताओं की पहली प्राथमिकता है।बीजेपी नेताओं ने खुद को सुरक्षित रखने के लिए कुछ स्थानीय लोगों और भूमाफ़ियों से कोर्ट में केस लगवा दिया और फिर अदालत के कंधे पर रखकर बंदूक़ चलाते रहे। अभी भी जो कचरा भोपाल से पीथमपुर भेजा गया है, उसके पीछे अदालती आदेश का ही हवाला दिया जा रहा है, जबकि अदालती आदेश केवल जनता की आँखों में धूल झोंकने की कोशिश है। सरकार कचरा पीथमपुर में जलन का निर्णय अदालत या देश के पहले ही कर चुकी थी।
*जनता चाहती है इन सवालों के जवाब ?*
*9 जनवरी को संभागायुक्त कार्यालय पर किसानों मजदूरों व राजनीतिक कार्यकर्ताओं का धरना*
मंगलवार को इंदौर में हुई विभिन्न ट्रेड यूनियनों एवं राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ताओं की बैठक में निर्णय लिया गया है कि पीथमपुर में जहरीले कचरे को जलाए जाने के खिलाफ सभी को एकजुट कर व्यापक आंदोलन चलाया जाए । आंदोलन के पहले चरण में संभाग आयुक्त कार्यालय के बाहर 9 जनवरी को सुबह 11:00 से 5:00 तक धरना दिया जाएगा । कोशिश की जाएगी कि इस धरने में सभी राजनीतिक दलों के प्रमुख नेता भी शरीक हो।