अग्नि आलोक

बीजेपी/संघ की विचार धारा साम्राज्यवाद और पूंजीवाद की समर्थक, मजदूर और किसान विरोधी

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कामरेड छगनलाल दलाल स्मृति प्रसंग

*मार्क्सवाद के ख्यातनाम शिक्षक और भारतीय व दुनिया के दर्शनों के अध्येता कामरेड छगनलाल दलाल स्मृति प्रसंग के अवसर पर “”वर्तमान परिस्थितियों और संदर्भ में देश के ट्रेड यूनियन आंदोलन की चुनौतियां ” व “मजदूर – किसान संयुक्त आंदोलन आज की आवश्यकता ” विषयों पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।*

*सभा के प्रारंभ में कामरेड दलाल के काम को आगे ले जाने के उद्देश्य से बनाई गई संस्था ” मेहनतकश” के संयोजक साथी विजय दलाल ने संस्था के काम और उद्देश्य के बारे में विचार रखे।**माना की बहती धारा की दिशा में नाव खैना बहुत आसान है मगर विपरीत दिशा में उतना ही कठिन, मगर ले जाना तो है।*

*मैं व्यक्तिगत तौर पर इस आजादी की दूसरी लड़ाई जो कि फिरंगियों के दौर में तो केवल विदेशी ताकत के खिलाफ थी और उसके पास मीडिया और आधुनिक टेक्नोलॉजी का हथियार भी नहीं था पढ़ी लिखी जनता के सामने फ्रांस की राज्य क्रांति जिससे दुनिया की प्रजा नागरिक में तब्दील हुई, रूस और चीन की वामपंथी क्रांतियों का दौरा था। लेकिन आज हमारा वर्ग शत्रु देशी है वोट के जरिए आया है धर्म की बैसाखियों पर तथाकथित राष्ट्रवाद का मुखौटा पहनकर हमारे सामने है। खुले आम विदेशी और देशी कार्पोरेट्स पूंजी के हक में हर तरह के अनैतिक राजनीतिक भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी पर आमादा है।न्यायपालिका भी पुरी तरह से उसके लिए नतमस्तक है। मीडिया के जहर फैलाने के कारण यह लड़ाई केवल सरकार तक सीमित नहीं रह गई है अपने ढाल के रूप में एक बहुत बड़े मध्यमवर्ग को मेहनतकश जनता के खिलाफ वैचारिक रूप से खड़ा कर लिया गया है इसलिए लड़ाई उस समय से और अधिक कठीन है। मैं इसे आजादी के दूसरे आंदोलन का 1857 मानता हूं इसलिए निराश नहीं हूं।**इसलिए हर स्तर पर संघर्ष जारी रखना है।*

*कार्यक्रम का उद्देश्य पिता के गुणगान करना कतई नहीं था इसलिए कामरेड सुधाकर उर्ध्वरेशे जो कि एलआईसी यूनियन के विभाजन के बाद फेडरेशन जिसका नेतृत्व पिताजी कर रहे थे उसके विपरीत यूनियन का नेतृत्व करने वाले कामरेड को भी आंदोलन के उस दौर को याद करने के उद्देश्य से आमंत्रित किया था और उसी दौर की भावना कि राजनीतिक मतभेदों के बाद भी लक्ष्य पाने के लिए एक दूसरे से सिखना और व्यक्तिगत सौहार्द और प्रेम कायम रखना। जो कि किसी भी ट्रेड यूनियन नेतृत्व और कार्यकर्ता के लिए सबसे पहला सबक है। उस पीढ़ी ने हमें सिखाया है कि हमारी लड़ाई की बुनियाद वर्ग संघर्ष है व्यक्ति के खिलाफ नहीं व्यवस्था के खिलाफ है।*शोषित वर्ग के हकों के लिए है। पूंजीवादी अन्याय के विरुद्ध है।*

*इसलिए वामपंथी और ट्रेड यूनियन आंदोलन के इतिहास के सबसे कठीन दौर में इस आयोजन का उद्देश्य  बीजेपी/संघ जिसकी सैद्धांतिक समझ और विचार धारा ही साम्राज्यवाद और पूंजीवाद की समर्थक होने के साथ मजदूर और किसान विरोधी है जिसके सत्ता में रहने से आज देश के संघीय ढांचे, संविधान और लोकतंत्र पर खतरा मंडरा रहा है ऐसी विचारधारा से प्रतिबद्ध  यूनियन के अलावा बाकी सब यूनियनों की सच्ची एकता कायम हो और जिस राजनीतिक शिक्षा ने देश के ट्रेड यूनियन आंदोलन को ऊंचाईयों तक पहुंचाया था उसमें कामरेड छगनलाल दलाल जैसे लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका थी उनके इस काम की आज बेहद आवश्यकता है, इसी एकमात्र उद्देश्य से यह आयोजन किया गया था।*

*सभी सेंट्रल ट्रेड यूनियन के वक्ताओं ने एकता और यूनियनों के सदस्यों के बीच सही राजनीतिक ट्रेड यूनियन की शिक्षा के जरूरत को भी महसूस भी किया और उसे अपने भाषण में जाहिर भी किया।*

 * मजदूर कर्मचारी आंदोलन के इतिहास के सबसे कठीन दौर में संगठनों के ऐसे वैचारिक विमर्श और चर्चाएं और उन पर लगातार कार्यवाहियां आज की परिस्थितियों से निपटने के लिए बेहद आवश्यक है इस बात को सभी ने एकमत से महसूस किया। इस उद्देश्य से आयोजन पूर्णतः सफल रहा। सभी सेंट्रल ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधियों ने अपने विचार व्यक्त किए। एटक से साथी एस.एस.मौर्या,इंटक से साथी श्याम सुंदर जी यादव, सीटू से साथी कैलाश लिम्बोदिया, एचएमएस से साथी हरिओम सुर्यवंशी, एआईयूटीयूसी से साथी लोकेश शर्मा, संयुक्त किसान मोर्चा से साथी रामस्वरूप मंत्री थे। कार्यक्रम के पहले सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ श्रमिक नेता साथी सोहनलाल शिंदे और दूसरे सत्र की अध्यक्षता एटक के जिला सचिव साथी रूद्रपाल यादव ने की।

*सभा में एटक के राज्य महासचिव साथी एस.एस.मौर्या के नव निर्वाचित होने पर एमपीएफसी यूनियन के सचिव सुनीलचंद्रन ने और इंटक के नवनिर्वाचित राज्य अध्यक्ष श्याम सुंदर जी यादव का साथी अजय लागू ने मेहनतकश की ओर से स्वागत किया। सभा का संचालन एमपीबीओए के राज्य महासचिव अरविंद पोरवाल ने किया।

इस अवसर पर रूपांकन संस्था के  साथी अशोक दुबे के सहयोग से सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा अभियान व सफल किसान आंदोलन संबंधित पोस्टर्स की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई।सभा के अंत में कामरेड छगनलाल दलाल के बड़े पुत्र प्रकाश दलाल ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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