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मास्टर प्लान में शामिल 79 गांवों का लैंडयूज तय, 31 तक जारी होगा नक्शा

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इंदौर

इंदौर विकास योजना यानी मास्टर प्लान में शामिल किए गए 79 गांवों का जमीन उपयोग निर्धारित कर दिया गया है। 79 गांवों को शामिल करने के बाद मास्टर प्लान का निवेश क्षेत्र कुल 168 गांवों का हो गया है। वर्तमान भूमि उपयोग वाले इस नक्शे पर इसी के साथ दावे-आपत्तियां भी बुलाई जाएंगी। नगर व ग्राम निवेश विभाग के संयुक्त संचालक एसके मुद्गल ने बताया नक्शे को लोग 31 दिसंबर से 7 जनवरी 2022 तक कार्यालयीन समय के दौरान देख सकते हैं।

कमिश्नर कार्यालय, कलेक्टर कार्यालय, आयुक्त नगर पालिका निगम कार्यालय, जिला पंचायत इंदौर, नगर पालिका सांवेर, देपालपुर, हातोद व राऊ तथा नगर व ग्राम निवेश कार्यालय में नक्शा उपलब्ध रहेगा। दावे, आपत्ति आने के बाद सुनवाई के लिए एक पेंच यह आ सकता है कि 79 गांवों के सरपंच अभी अस्तित्व में नहीं हैं, जबकि इन्हें भी कमेटी में रखा गया है। जनपद, जिला पंचायत के साथ ही महापौर का पद भी खाली है। ऐसे में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का कोरम पूरा नहीं होने से प्रारूप पर आने वाले वाले दावे-आपत्ति पर सुनवाई मुश्किल है। पंचायत चुनाव टलने के साथ ही शहर विकास योजना यानी मास्टर प्लान भी अधर में चला गया है।

बीते शुक्रवार को ही नगरीय विकास व आवास विभाग ने मास्टर प्लान का प्रारूप जारी होने के बाद दावे, आपत्ति का निराकरण करने के लिए जनप्रतिनिधियों की कमेटी बनाए जाने के आदेश जारी किए थे। अब जब तक महापौर, 79 गांव के सरपंच, जनपद पंचायत के सदस्य, अध्यक्ष, जिला पंचायत के अध्यक्ष, सदस्यों का निर्वाचन नहीं हो जाता, तब तक कमेटी भी अस्तित्व में नहीं आ पाएगी।

एक्सपर्ट का सुझाव, नए मास्टर प्लान से पहले जोनल प्लान पर चर्चा हो
प्लानिंग के जानकारों का कहना है कि शासन को 79 गांव जोड़कर नया निवेश क्षेत्र जारी करने के बजाए जोनल प्लान पर फोकस करना चाहिए। पिछले 45 सालों में एक भी जोनल प्लान नहीं बना है। मास्टर प्लान को जमीन पर उतारने के लिए जोनल प्लान ही सबसे अहम है। कायदे से जोनल प्लान बनाकर उसकी समीक्षा की जाना चाहिए थी। टीएंडसीपी, इंदौर विकास प्राधिकरण, नगर निगम को मिलकर जोनल प्लान के लिए कवायद करना चाहिए थी। केंद्र सरकार की नियमावली, सुप्रीम कोर्ट भी आदेशों में जोनल प्लान बनाने पर ही जोर देते हैं।

केंद्र सरकार के मापदंड भी यही कहते हैं
केंद्र सरकार ने मास्टर प्लान, विकास को लेकर जो मापदंड तय किए हैं, उसके तहत एक बार मास्टर प्लान बनने के बाद उसका हर पांच साल में केवल अध्ययन होगा। जोनल प्लानिंग बनाकर उसका अमल किया जाएगा। समय-समय पर जोनल प्लानिंग की समीक्षा की जाएगी। लेकिन पिछले 45 सालों से ऐसा नहीं हो रहा है। केवल मास्टर प्लान बनाए जा रहे हैं। जोनल प्लानिंग नहीं हो रही है। नगर तथा ग्राम निवेश विभाग मजबूरी में मास्टर प्लान में को-ऑर्डिनेशन के नाम पर जमीन मालिकों को मंजूरी देता है। 1 जनवरी से 2008 से प्लान जारी होने के बाद से अब तक यही होता आ रहा है। जोनल प्लानिंग के होने से शहर के हर हिस्से का व्यवस्थित विकास होता है।

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