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MP के अफसर को नीतीश पर फख्र; बोले- देश में उनसे अनुभवी CM दूसरा नहीं

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बिहार के सियासी उलटफेर की चर्चा पूरे देश में है। इससे मध्यप्रदेश के बिहार मूल के अफसर भी गदगद हैं। BJP का साथ छोड़ने से लेकर नीतीश कुमार के फिर से CM बनने तक के घटनाक्रम पर वह फख्र महसूस कर रहे हैं।

दरअसल, मंत्रालय में पदस्थ बिहार मूल के एक अफसर के कमरे में टीवी पर बिहार के सियासी खेल वाली खबरें चल रही थीं। खबर यह थी कि भाजपा नीतीश के विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है। यह सुनकर वल्लभ भवन के यह अफसर अपने साथी से बोले- देख लीजिए, बिहारी टिकाऊ होते हैं, बिकाऊ नहीं…।

चैनल बदला तो वहां भी बिहार की खबर थी… नीतीश 8 बार के मुख्यमंत्री हैं। देश में उनसे अनुभवी कोई नहीं है। क्या उनका इशारा अपनी ‘सरकार’ की तरफ है, जिन्हें 4 बार का अनुभव है?

पुराने संगठन मंत्री से मंत्री की बंद कमरे में गुफ्तगू
अचानक भोपाल आए BJP के एक पूर्व संगठन मंत्री सीधे एक मंत्री के घर पहुंचे। इसके बाद कई तरह की सियासी कयासबाजी शुरू हो गई। वैसे ऐसे कयास लगाना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार हलचल ज्यादा दिखाई दी, क्योंकि मंत्री ने अपना मोबाइल बंद कर दिया था और स्टाफ से कह दिया था कि उन्हें डिस्टर्ब न किया जाए। यह बैठक 2 घंटे चली। इसके बाद मंत्रीजी, पूर्व संगठन मंत्री के साथ दिल्ली चले गए।

यह खबर जब अन्य मंत्रियों को लगी तो वे अलर्ट मोड में आ गए। दिल्ली में अपने सोर्स से पतासाजी करने लगे कि क्या खिचड़ी पक रही है। अगले दिन पता चला कि मंत्री दिल्ली अपने बेटे से मिलने गए थे, जिसने हाल ही में वहां एक कॉलेज में एडमिशन लिया था। यह भी तब पता चला, जब मंत्रालय में बैठक के दौरान एक मंत्री ने यह बात छेड़ी, जिस पर ‘सरकार’ की तरफ से सफाई आई।

‘सरकार’ की छवि चमकाने अफसरों की नए सिरे से जमावट
लोकल इलेक्शन के बाद ‘सरकार’ एक्शन मोड में आने वाले हैं। दिल्ली में प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक के बाद मिशन 2023 को अमलीजामा पहनाने की तैयारी के बीच उन्होंने ब्यूरोक्रेट्स को सख्ती का संदेश दिया है। सुना है कि प्रशासनिक मुखिया कुछ IAS की कार्यप्रणाली से नाराज हैं। उन्होंने हाल ही में IAS अफसरों की सर्विस बुक पर निगेटिव रिमार्क देने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दी थी। चर्चा है कि मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक मुखिया के दिए रिमार्क पर मुहर लगा दी। ऐसे अफसरों की संख्या 18 बताई जा रही है।

अब मुख्यमंत्री कार्यालय में मैदानी अफसरों की जमावट नए सिरे से करने के लिए लिस्ट बन रही है। इसमें ऐसे अफसरों के नाम शामिल किए जा रहे हैं, जो राजनीति से परे अपनी छवि बनाना चाहते हैं। ऐसा हुआ तो ‘सरकार’ की छवि अपने आप निखर जाएगी।

कहीं नेताजी टकराव के मूड में तो नहीं…
भोपाल पूर्व विधायक का सोशल मीडिया पर दर्द छलका। उन्होंने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का अनुसरण किया।
नेताजी ने लिखा- ‘उसूलों पर आंच आए तो टकराना जरूरी है,
यदि जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है।’

सिंधिया ने यह शेर तब लिखा था, जब कमलनाथ सरकार के साथ उनका टकराव चल रहा था और कुछ ही दिन बाद वे कांग्रेस छोड़कर BJP में चले गए थे। इससे लोग अनुमान लगाने लगे हैं कि कहीं नेताजी भी किसी टकराव के मूड में तो नहीं हैं?

एक समय था, जब नेताजी की गिनती ‘सरकार’ के करीबियों में होती थी। अब तो वे पार्टी के सार्वजनिक कार्यक्रम में भी नजर नहीं आते। उन्होंने न्यू मार्केट को अपना ठिया बना रखा है, जहां शाम को अक्सर वे देखे जाते हैं। पहले उनके आसपास समर्थकों की जमात दिखाई देती थी, लेकिन अब तो दो-तीन बंदे ही जी हुजूरी करते नजर आते हैं। ये वही नेताजी हैं, जिनमें अतिक्रमण करवाने का हुनर है।

और अंत में…

अफसर का तिरंगा प्रेम
केंद्र और राज्य सरकार ‘हर घर तिरंगा’ अभियान चला रही है। मप्र में एक सीनियर IAS अफसर ऐसे हैं, जिनके निवास पर पिछले एक साल से तिरंगा लहरा रहा है। सख्त छवि वाले इस अफसर ने बिशनखेड़ी में अपना घर बनवाया है। जिस दिन गृह प्रवेश किया, उसी दिन घर पर तिरंगा फहराया गया। यह सिलसिला अब तक जारी है। हाल ही में उन्होंने अपने अधीनस्थों को अपने निजी या सरकारी आवास में तिरंगा फहराने का आदेश दिया है। बता दें, यह वही अफसर हैं, जो तीन माह बाद रिटायर होने वाले हैं। इन दिनों अपने पुनर्वास के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। आजकल BJP के उन नेताओं से मेलजोल बढ़ा रहे हैं, जिनका सरकार के फैसलों में दखल रहता है।ये भी पढ़ें :-

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