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नुकसानी की वसूली विधेयक :दंगे या प्रदर्शन में संपत्ति को नुकसान होने पर दोगुना हर्जाना दिलवाएगा क्लेम ट्रिब्यूनल

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भोपाल

गे, हड़ताल, बंद, प्रदर्शन आदि में संपत्ति का नुकसान होने पर संबंधित दावेदार को क्लेम ट्रिब्यूनल नष्ट संपत्ति की कीमत से दोगुना हर्जाना दिलवा सकेगा। इस बारे में प्रस्तावित विधेयक के ड्राफ्ट में प्रावधान किए गए हैं। क्लेम ट्रिब्यूनल को सिविल कोर्ट के अधिकार दिए जा रहे हैं। ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद भी यदि आरोपी हर्जाना नहीं चुकाता है तो कलेक्टर को उसकी संपत्ति कुर्क करने और नीलाम करने का अधिकार होगा।

राज्य सरकार ने मप्र लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान का निवारण एवं नुकसानी की वसूली विधेयक, 2021 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसे गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई। इसे अब आगामी विधानसभा सत्र में लाने की तैयारी है। यह प्रदेश में पहली बार सांप्रदायिक दंगे या उन्मादी भीड़ में होने वाले नुकसान का हर्जाना देने के लिए इस तरह के कड़े प्रावधान वाला विधेयक होगा।

इसमें सरकारी और निजी दोनों तरह की संपत्ति के नुकसान पर प्रभावित पक्ष हर्जाने का दावा कर सकेगा। विधेयक में क्लेम ट्रिब्यूनल गठित करने का प्रावधान किया गया है, जहां दावा दायर कर हर्जाने की मांग की जा सकेगी। ट्रिब्यूनल में राज्य सरकार किसी सेवानिवृत्त जिला जज और सेवानिवृत्त सचिव को नियुक्त करेगी। सरकारी संपत्ति के नुकसान पर कलेक्टर या संबंधित अधिकारी और निजी संपत्ति के नुकसान पर संपत्ति मालिक घटना के 30 दिन के अंदर ट्रिब्यूनल में दावा प्रस्तुत कर सकेंगे।

ट्रिब्यूनल से क्लेम कमिश्नर की नियुक्ति की जाएगी जो नुकसान की जांच करेंगे। ट्रिब्यूनल को अधिकार होगा कि वे संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले व्यक्ति के साथ ही उसे भड़काने वाले व्यक्ति से भी नुकसान की वसूली के आदेश दे सकेंगे। इसमें नष्ट संपत्ति का दोगुना हर्जाना देने का प्रावधान भी रखा गया है। अवाॅर्ड पारित होने के 15 दिन में भुगतान न होने पर ब्याज सहित प्रकरण में खर्च राशि भी वसूली जा सकेगी। क्लेम ट्रिब्यूनल के आदेश केवल उच्च न्यायालय में अवॉर्ड पारित होने के 90 दिन में चैलेंज किए जा सकेंगे।

हेरिटेज शराब बेचने के लिए माइक्रो डिस्टलरी खुलेगी, मंजूरी कलेक्टर देंगे

प्रदेश में नई आबकारी नीति बनाने की दिशा में काम शुरू हो गया है। इस बार आबकारी नीति में हेरिटेज शराब जुड़ जाएगी। प्रदेश के 23 जनजातीय जिलों और 89 विकासखंड में शराब बनाई और बेची जा सकेगी। इसके लिए जनजातीय स्व सहायता समूह (एसएचजी) बनाए जाएंगे। जनजातीय व्यक्ति को माइक्रो डिस्टलरी इकाई डालने के अधिकार होंगे।

इसकी उत्पादन क्षमता एक हजार लीटर से ज्यादा नहीं होगी। इन डिस्टलरी को मंजूरी कलेक्टर दे सकेंगे। नई आबकारी नीति को लेकर मंत्रिमंडल उपसमिति की बैठक मंत्रालय में हुई। इसमें गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह, आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा, वन मंत्री विजय शाह और प्रमुख सचिव आबकारी दीपाली रस्तोगी मौजूद थे।

बैठक में आबकारी नीति के बिन्दुओं का प्रजेंटेशन दिखाया गया। हैरिटेज शराब के लिए जनजातीय स्व सहायता समूह (एसटी एसएचजी) के गठन होंगे। जनजातीय विकासखंडों में एसएचजी में 50 फीसदी महिलाएं रहेंगी। समूह में 25 प्रतिशत दसवीं पास को रखना अनिवार्य रहेगा।

हैरिटेज शराब के संग्रहण, बॉटलिंग और सह विपणन इकाई के लाइसेंस कलेक्टर देंगे। हैरिटेज शराब को लेकर एसटी कंपनी बनेगी। इसमें मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव आबकारी, प्रमुख सचिव वन विभाग और प्रमुख सचिव जनजातीय विभाग रहेंगे। इसकी डिस्टलरी के लाइसेंस ऑनलाइन मिलेंगे।

एक्साइज ड्यूटी कम करेगी सरकार

प्रदेश में दूसरे राज्यों की तुलना में शराब काफी महंगी है। नई आबकारी नीति में एक्साइज ड्यूटी कम करने का प्रस्ताव है। एक जिले में एक ठेकेदार को ठेकों की जगह छोटे-छोटे ग्रुप में शराब दुकानों के ठेके दिए जाएंगे।

एक और पहल; बच्चे एक साथ समस्या सुलझा सकें, ग्रुप डिस्कशन को बढ़ावा

पढ़ाई के दौरान बच्चे एक साथ अपनी समस्याएं सुलझा सकें। इसके लिए उनकी पढ़ाई में ग्रुप डिस्कशन विषय को बढ़ावा मिलेगा। अन्य राज्यों के साथ इंटरेक्टिव सेशन के साथ प्रोटेक्टिव सेमिनार के माध्यम से निष्कर्ष पर पहुंचा जाएगा। इसे अमल में लाने कोर्स में बदलाव की प्रक्रिया जारी है।

यह बातें प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा रश्मि अरूण शमी ने कहीं। वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बोर्ड रिफॉर्म एंड असेसमेंट विषय पर दो दिवसीय सेमिनार में बोल रही थीं। सेमिनार में विभिन्न राज्यों, केंद्र एवं कई परीक्षा मंडलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सेदारी की।

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