एस पी मित्तल, अजमेर
आईएएस गिरधर बेनीवाल और आईपीएस सुशील कुमार विश्नोई के बहुचर्चित गुंडागर्दी के मामले को दबाने का काम शुरू हो गया है। अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भी दबाव है कि दोनों अधिकारियों का निलंबन रद्द किया जाए। मालूम हो कि गत 11 जून को अजमेर के निकट गेगल हाइवे स्थित होटल मकराना राज पर रात दो बजे होटल कर्मियों की बुरी तरह पिटाई की गई। इस गुंडाई के समय आईएएस गिरधर बेनीवाल और आईपीएस सुशील कुमार विश्नोई भी उपस्थित रहे। पुलिस ने इन दोनों अधिकारियों के पांच साथियों को शांति भंग में गिरफ्तार किया और मुख्यमंत्री के निर्देश पर बेनीवाल, बिश्नोई और चार अन्य कार्मिकों को निलंबित भी किया गया। सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एडीजी सतर्कता बीजू जॉर्ज को जांच के निर्देश भी दिए। मीडिया में कहा गया कि अब दोनों बड़े अधिकारियों की जल्द गिरफ्तारी होगी। गुंडाई के समय बेनीवाल अजमेर विकास प्राधिकरण के आयुक्त और बिश्नोई नवगठित जिले गंगापुर के कानून व्यवस्था के ओएसडी के पद पर नियुक्त थे। लेकिन अब इस गंभीर मामले को दबाने का काम शुरू हो गया है। एडीजी बीजू जॉर्ज की जांच ठंडे बस्ते में चली गई है। अभी तक यह पता नहीं चला की आखिर एडीजी ने किन मुद्दों पर जांच की और उनकी जांच रिपोर्ट पर सरकार ने क्या निर्णय लिया। चूंकि एडीजी की जांच ठंडे बस्ते में है, इसलिए घटना के छह दिन बाद भी आईएएस और आईपीएस को नामजद नहीं किया गया है। देखा जाए तो अब आईएएस और आईपीएस पर लगे आरोपों की जांच अजमेर ग्रामीण क्षेत्र के आरपीएस मनीष बडग़ुर्जर कर रहे हैं। जब आईएएस और आईपीएस के मामले की जांच आरपीएस स्तर का अधिकारी करेगा तो जांच के परिणाम का अंदाजा लगाया जा सकता है। यही वजह है कि जिन होटल कर्मियों की 11 जून की रात को बुरी तरह पिटाई हुई उनमें से चार पीड़ित लापता हो गए हैं। होटल के मालिक महेंद्र सिंह का कहना है कि कर्मचारियों की मन स्थिति फिलहाल सामान्य नहीं है। इसलिए वे अपने गांव चले गए हैं। गांव से लौटेंगे तब पुलिस में बयान दर्ज कराए जाएंगे। अब जब पीडि़तों के बयान भी दर्ज नहीं हो रहे हैं, तब आईएएस और आईपीएस को दोषी कैसे ठहराया जाएगा। यह बात अलग है कि होटल मालिक ने घटना के बाद पुलिस और मीडिया को जो सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध करवाए उसमें गेगल थाने के पुलिस कर्मी और आईएएस व आईपीएस के साथी होटल कर्मियों को डंडों से पीट रहे थे। खुद होटल मालिक महेंद्र सिंह ने लिखित में शिकायत की कि उनके कर्मचारियों को कमरों में बंद कर बुरी तरह पीटा गया है। इतना ही नहीं राजपूत समाज के विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने होटल मालिक के समर्थन में आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ को ज्ञापन दिया। इस ज्ञापन में दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की मांग की गई। तब यह भी आरोप लगा कि अजमेर पुलिस ने आईएएस और आईपीएस को बचाने का काम किया। मुख्य सचिव उषा शर्मा और डीजीपी उमेश मिश्रा ने इस बात पर नाराजगी जताई कि प्रशासनिक तंत्र में 11 जून की घटना की जानकारी सरकार को नहीं दी। 11 जून की घटना के बाद 12 जून को आईपीएस सुशील कुमार विश्नोई ने डीजीपी उमेश मिश्रा से जयपुर में शिष्टाचार मुलाकात की थी। लेकिन तब तक डीजीपी मिश्रा को अपने आईपीएस की गुंडाई की जानकारी नहीं दी। 13 जून को जब राजस्थान पत्रिका में घटना की खबर प्रकाशित हुई तो सरकार ने हलचल हुई। राजपूत समुदाय के दबाव को देखते हुए सरकार ने 14 जून को गिरधर बेनीवाल और सुशील कुमार विश्नोई को निलंबित कर दिया। यह मामला देशभर में चर्चा का विषय बना। राष्ट्रीय मीडिया में भी अधिकारियों की गुंडाई के समाचार प्रमुखता से प्रकाशित हुए। लेकिन अब बदली हुई परिस्थितियों में इस पूरे मामले को दबाया जा रहा है। जानकार सूत्रों के अनुसार जाति की राजनीति के चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भी दबाव है कि दोनों अधिकारियों का निलंबन रद्द किया जाए। जिस तरह से मामले को दबाने का काम शुरू हुआ है उसे देखते हुए उम्मीद है कि निलंबन भी रद्द हो जाएगा। यह बात अलग है कि आईपीएस विश्नोई के विरुद्ध पूर्व में भी बलात्कार का मुकदमा दर्ज हो चुका है। लेकिन अपने पद के प्रभाव के कारण मुकदमे में एफआर लग गई। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि बेनीवाल और बिश्नोई की सरकारी सेवा मात्र चार वर्ष की है। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि दोनों अधिकारी 11 जून की रात दो बजे मकराना राज होटल पर हुई गुंडाई के समय उपस्थित थे।