भोपाल। साल समाप्त होते ही प्रदेश में नई आबकारी नीति को लेकर मंथन का दौर शुरु हो गया है। हालांकि इस बार बहुत अधिक बदलाव होने की उम्मीद कम है, लेकिन माना जा रहा है कि अहातों को लेकर कोई बड़ा प्रावधान किया जा सकता है। प्रदेश में एक बार फिर से भाजपा की सरकार बनने की वजह से माना जा रहा है कि मामूली बदलाव ही इस बार संभावित है। प्रदेश में अहातों के बंद करने के कारण आबकारी के राजस्व पर विपरीत प्रभाव तो पड़ा ही है साथ ही कानून व्यवस्था की दृष्टि से भी शिकायतों में अच्छी खासी वृद्धि हुई है। इसकी वजह से माना जा रहा है कि प्रदेश में एक बार फिर से अहातों का दौर शुरु हो सकता है। नई नीति के लिए जिलों से सुझाव लिए गए हैं ,उनमें अहातों को दोबारा शुरू करने के सुझाव भी शामिल हैं, लेकिन इस पर अमल की संभावना न के बराबर ही है। अब विभाग के मंत्री भी तय हो गए हैं, जिससे माना जा रहा है कि शराब को लेकर नई सरकार का रुख भी सामने आना बाकी है।
गुपचुप की जा रही तैयारी
यही कारण है कि आबकारी विभाग फिलहाल अंदरूनी तौर पर तैयारी कर रहा है। फरवरी के आखिर में नई नीति जारी कर दी जाती है, क्योंकि मार्च में नए टेंडर होते हैं। अहाते बंद होने से प्रदेश में 10 से 20 प्रतिशत सेल में गिरावट आई है। यहां बता दें कि पिछली बार भाजपा सरकार ने अहातों को बंद कर दिया था, जिससे शराब सेवन को बढ़ावा न मिले, लेकिन कंपोजिट दुकानों के चलते देसी-विदेशी को एक साथ कर दिया गया, इससे शराब दुकानों की संख्या तो वही है , लेकिन दुकानों का अनुपात बिगड़ गया।
अब तेज होगी प्रक्रिया
मप्र में नई सरकार का गठन हो चुका है और कैबिनेट मंत्री व अन्य मंत्रियों को भी शपथ दिलाई जा चुकी है। अब मंत्रियों को विभाग भी दिए जा चुके हैं। ऐसे में अब विभाग की जिम्मेदारी भी मंत्री को मिल चुकी है, जिससे अब नई शराब नीति की प्रक्रिया तेज हो जाएगी। जिलों के सुझावों को एकजुट कर प्रेजेंटेशन तैयार किया जाएगा।