नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी मप्र भाजपा भले ही एकजुटता के दावे कर रही है, पर पार्टी में अंतर्कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। हैरानी की बात यह है कि जहां पार्टी के कार्यकर्ता मिशन 200 में पूरी तन्मयता से लगे हुए हैं, वहीं मंत्री, सांसद, विधायक आदि आपस में लड़ रहे हैं। आलम यह है कि संघ, संगठन और खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की चर्चा, सलाह और चेतावनी का भी असर होता नजर नहीं आ रहा है। प्रदेश का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां भाजपा के दिग्गज नेता आपस में नहीं लड़ रहे हैं। इससे कार्यकर्ता भी पसोपेश में हैं।
गौरतलब है कि मप्र भाजपा में असंतोष से हाईकमान भी चिंता में है। असंतोष पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी नाराजगी जता चुके हैं। वहीं पार्टी के केंद्रीय पदाधिकारी भी बैठकें करके सबको एकजुटता के साथ काम करने का मंत्र दे चुके हैं। समन्वय के लिए लगातार प्रयास भी चल रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा नेताओं से मेल मुलाकात कर असंतोष दूर करने का प्रयास कर चुके हैं। लेकिन असंतोष दूर होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। खासकर वैसे समर्पित कार्यकर्ता जो पिछले तीस-पैंतीस बरसों से पार्टी से जुड़े हैं। उन्हें लग रहा है, यह सब अच्छा नहीं हो रहा है। संघ, विद्यार्थी परिषद और जनसंघ से होते हुए आज भाजपा का झंडा ढो रहे हैं, ऐसे कार्यकर्ता सौ, पांच सौ नहीं, हजारों में हैं। वैचारिक और सैद्धांतिक रूप से एकदम प्रतिबद्ध। पार्टी से इन्हें कुछ मिले न मिले, ये सदैव पार्टी से ही जुड़े रहेंगे।
काम नहीं आ रहा कोई भी प्रयास
गौरतलब है कि भाजपा-पार्टी विद द डिफरेंस अभी अंतर्कलह की आग से तप रही है। विचार और सिद्धांत की बुनियाद पर बनी देश की सबसे सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी इन दिनों शायद अपने सबसे बुरे दिनों से गुजर रही है। सबसे सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाने की बजाय अंतर्द्वंद से यह उबर नहीं पा रही है। लड़ ऊपर के नेता रहे हैं, लेकिन इसका असर नीचे कार्यकर्ताओं पर पड़ रहा है। दरअसल, भाजपा में असंतोष की आग अंदर ही अंदर धधक रही है, जिसके चुनाव पूर्व ज्वालामुखी बन फटने की आशंका है। प्रदेश के विभिन्न अंचलों के असंतुष्टों ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी है। मालवा हो या महाकौशल, विंध्य हो या बुंदेलखंड, ग्वालियर हो या चंबल सभी दूर असंतोष के सुर उभरने लगे है। सीएम की वन-टू-वन चर्चा और चेतावनी का भी कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है।
नेताओं के बगावती रूख चिंताजनक
भाजपा में नेताओं के बगावती रूख से हाईकमान चिंता में है। क्योंकि, इससे स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। कटनी के पूर्व विधायक ध्रुव प्रताप सिंह ने भाजपा में सुनवाई नहीं होने का आरोप लगाकर इस्तीफा दे दिया । वह कांग्रेस में शामिल हो सकते है, तो वहीं ग्वालियर दक्षिण सीट पर भाजपा में टिकट का घमासान खुलकर सामने आ चुका है।
यहां से पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा ने चुनाव लडऩे का पहले ही ऐलान कर दिया है। वहीं, पूर्व मंत्री नारायण कुशवाहा ने पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता को टिकट देने पर प्रचार नहीं करने की बात कही है। रतलाम में भाजपा जिलाध्यक्ष का जमकर विरोध हो रहा है। भंवरसिंह शेखावत ने भी मोर्चा खोला रखा है,तो विंध्य में नारायण त्रिपाठी अपनी सरकार के खिलाफ मुखर हो रहे हैं। पार्टी के नेता खुलकर अपनी बात करने लगे हैं। कुछ खुलकर पार्टी के फैसलों को चुनौती दे रहे हैं तो कुछ खुलकर विधानसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। आलाकमान ने तो पार्टी लाइन से बाहर जाने वालों पर कार्रवाई तक की। वहीं, सीएम शिवराज ने हिदायत तक दी कि यह शिकायत का वक्त नहीं है। सब मिलकर काम करें। इसके बावजूद पार्टी में नाराज लोगों के तेवर नरम नहीं पड़ रहे हैं। ग्वालियर दक्षिण सीट पर भाजपा में टिकट का घमासान खुलकर सामने आ चुका है। यहां से पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा ने चुनाव लडऩे का पहले ही ऐलान कर दिया है। वहीं, पूर्व मंत्री नारायण कुशवाहा ने पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता को टिकट देने पर प्रचार नहीं करने की बात कही है।
दरअसल पिछले चुनाव में ग्वालियर दक्षिण सीट से कुशवाह को पार्टी ने टिकट दिया था, लेकिन समीक्षा गुप्ता के निर्दलीय खड़े होने पर उनको हार का सामना करना पड़ा था। रतलाम में पार्टी में गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। यहां पर भाजपा जिलाध्यक्ष राजेंद्र सिंह लुनेरा को हटाने के लिए कार्यकर्ताओं ने मुहिम छेड़ रखी है। यहां पर एक मंडल अध्यक्ष को जिला अध्यक्ष ने हटा दिया। पार्टी कार्यकर्ता जिला अध्यक्ष की कार्यप्रणाली से नाराज हैं। जिला अध्यक्ष को हटाने की मांग को लेकर वाहन रैली तक निकाली गई। अब पार्टी का शीर्ष नेतृत्व कार्यकर्ताओं की नाराजगी को शांत करने में जुटा हुआ है।
सांसद-विधायक में ठनी
2018 में भाजपा को सबसे अधिक सीटें देने वाले विंध्य में अंर्तकलह की आग तेज होती जा रही है। यहां मैहर विधायक और सतना सांसद में इस कदर ठनी हैं कि दोनों एक-दूसरे को देख लेने की धमकी दे रहे हैं। भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने खुले मंच से सतना से भाजपा सांसद गणेश सिंह पर जमकर भड़ास निकाली। सांसद को राक्षस तक कह डाला और उनको मैहर में नहीं घुसने देने की चेतावनी तक दे डाली। वहीं नारायण त्रिपाठी की नसीहत भरी चेतावनी और हमलावर बयानबाजी का जवाब सांसद गणेश सिंह ने मैहर पहुंचकर ही दिया। सांसद ने कहा- कुछ लोगों की आदत बेमतलब भौंकने की होती है। हम भूमिपूजन और लोकार्पण की नहीं समाज बनाने की राजनीति करते हैं। नारायण त्रिपाठी हमें सांसद बनाने की बात करते हैं, लेकिन शायद वो ये भूल गए कि हम न होते तो दूसरी बार वो विधायक नहीं बनते।
उधर, सीएम समन्वय में जुटे
एक तरफ पार्टी में अंतर्कलह बढ़ रहा है, दूसरी तरफ मुख्यमंत्री लगातार बैठकें करके चुनावी तैयारी और समन्वय में लगे हुए हैं। गत दिवस जबलपुर और मालवा-निमाड़ क्षेत्र के जिलों की भाजपा कोर कमेटी की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सभी कार्यकर्ता मनमुटाव भुलाकर चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं। पहला लक्ष्य चुनाव में जीत का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार बनने पर ही कार्यकर्ताओं का भला होगा। यह समय छोटी-छोटी बातों को मुद्दा बनाने की जगह उन्हें नजरअंदाज करने का है। बैठक मुख्यमंत्री आवास में हुई। इसमें इंदौर, जबलपुर, धार, झाबुआ, आलीराजपुर, बुरहानपुर, खंडवा, बड़वानी और खरगोन जिले के प्रभारी मंत्री, लोकसभा सदस्य, विधायक, भाजपा जिलाध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी शामिल हुए। बैठक में पदाधिकारियों ने पार्टी के स्थानीय हालातों के बारे में बताया। कुछ मुद्दों पर पार्टी पदाधिकारियों की नाराजगी थी जिसे मुख्यमंत्री ने दूर किया। उन्होंने हर जिले की अलग-अलग चर्चा की। ताजा घटनाक्रमों के बारे में बात करते हुए कहा कि प्रमुख कार्यकर्ताओं से लगातार संपर्क में रहें।
नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी मप्र भाजपा भले ही एकजुटता के दावे कर रही है, पर पार्टी में अंतर्कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। हैरानी की बात यह है कि जहां पार्टी के कार्यकर्ता मिशन 200 में पूरी तन्मयता से लगे हुए हैं, वहीं मंत्री, सांसद, विधायक आदि आपस में लड़ रहे हैं। आलम यह है कि संघ, संगठन और खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की चर्चा, सलाह और चेतावनी का भी असर होता नजर नहीं आ रहा है। प्रदेश का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां भाजपा के दिग्गज नेता आपस में नहीं लड़ रहे हैं। इससे कार्यकर्ता भी पसोपेश में हैं।
गौरतलब है कि मप्र भाजपा में असंतोष से हाईकमान भी चिंता में है। असंतोष पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी नाराजगी जता चुके हैं। वहीं पार्टी के केंद्रीय पदाधिकारी भी बैठकें करके सबको एकजुटता के साथ काम करने का मंत्र दे चुके हैं। समन्वय के लिए लगातार प्रयास भी चल रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा नेताओं से मेल मुलाकात कर असंतोष दूर करने का प्रयास कर चुके हैं। लेकिन असंतोष दूर होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। खासकर वैसे समर्पित कार्यकर्ता जो पिछले तीस-पैंतीस बरसों से पार्टी से जुड़े हैं। उन्हें लग रहा है, यह सब अच्छा नहीं हो रहा है। संघ, विद्यार्थी परिषद और जनसंघ से होते हुए आज भाजपा का झंडा ढो रहे हैं, ऐसे कार्यकर्ता सौ, पांच सौ नहीं, हजारों में हैं। वैचारिक और सैद्धांतिक रूप से एकदम प्रतिबद्ध। पार्टी से इन्हें कुछ मिले न मिले, ये सदैव पार्टी से ही जुड़े रहेंगे।
काम नहीं आ रहा कोई भी प्रयास
गौरतलब है कि भाजपा-पार्टी विद द डिफरेंस अभी अंतर्कलह की आग से तप रही है। विचार और सिद्धांत की बुनियाद पर बनी देश की सबसे सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी इन दिनों शायद अपने सबसे बुरे दिनों से गुजर रही है। सबसे सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाने की बजाय अंतर्द्वंद से यह उबर नहीं पा रही है। लड़ ऊपर के नेता रहे हैं, लेकिन इसका असर नीचे कार्यकर्ताओं पर पड़ रहा है। दरअसल, भाजपा में असंतोष की आग अंदर ही अंदर धधक रही है, जिसके चुनाव पूर्व ज्वालामुखी बन फटने की आशंका है। प्रदेश के विभिन्न अंचलों के असंतुष्टों ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी है। मालवा हो या महाकौशल, विंध्य हो या बुंदेलखंड, ग्वालियर हो या चंबल सभी दूर असंतोष के सुर उभरने लगे है। सीएम की वन-टू-वन चर्चा और चेतावनी का भी कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है।
नेताओं के बगावती रूख चिंताजनक
भाजपा में नेताओं के बगावती रूख से हाईकमान चिंता में है। क्योंकि, इससे स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। कटनी के पूर्व विधायक ध्रुव प्रताप सिंह ने भाजपा में सुनवाई नहीं होने का आरोप लगाकर इस्तीफा दे दिया । वह कांग्रेस में शामिल हो सकते है, तो वहीं ग्वालियर दक्षिण सीट पर भाजपा में टिकट का घमासान खुलकर सामने आ चुका है।
यहां से पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा ने चुनाव लडऩे का पहले ही ऐलान कर दिया है। वहीं, पूर्व मंत्री नारायण कुशवाहा ने पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता को टिकट देने पर प्रचार नहीं करने की बात कही है। रतलाम में भाजपा जिलाध्यक्ष का जमकर विरोध हो रहा है। भंवरसिंह शेखावत ने भी मोर्चा खोला रखा है,तो विंध्य में नारायण त्रिपाठी अपनी सरकार के खिलाफ मुखर हो रहे हैं। पार्टी के नेता खुलकर अपनी बात करने लगे हैं। कुछ खुलकर पार्टी के फैसलों को चुनौती दे रहे हैं तो कुछ खुलकर विधानसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। आलाकमान ने तो पार्टी लाइन से बाहर जाने वालों पर कार्रवाई तक की। वहीं, सीएम शिवराज ने हिदायत तक दी कि यह शिकायत का वक्त नहीं है। सब मिलकर काम करें। इसके बावजूद पार्टी में नाराज लोगों के तेवर नरम नहीं पड़ रहे हैं। ग्वालियर दक्षिण सीट पर भाजपा में टिकट का घमासान खुलकर सामने आ चुका है। यहां से पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा ने चुनाव लडऩे का पहले ही ऐलान कर दिया है। वहीं, पूर्व मंत्री नारायण कुशवाहा ने पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता को टिकट देने पर प्रचार नहीं करने की बात कही है।
दरअसल पिछले चुनाव में ग्वालियर दक्षिण सीट से कुशवाह को पार्टी ने टिकट दिया था, लेकिन समीक्षा गुप्ता के निर्दलीय खड़े होने पर उनको हार का सामना करना पड़ा था। रतलाम में पार्टी में गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। यहां पर भाजपा जिलाध्यक्ष राजेंद्र सिंह लुनेरा को हटाने के लिए कार्यकर्ताओं ने मुहिम छेड़ रखी है। यहां पर एक मंडल अध्यक्ष को जिला अध्यक्ष ने हटा दिया। पार्टी कार्यकर्ता जिला अध्यक्ष की कार्यप्रणाली से नाराज हैं। जिला अध्यक्ष को हटाने की मांग को लेकर वाहन रैली तक निकाली गई। अब पार्टी का शीर्ष नेतृत्व कार्यकर्ताओं की नाराजगी को शांत करने में जुटा हुआ है।
सांसद-विधायक में ठनी
2018 में भाजपा को सबसे अधिक सीटें देने वाले विंध्य में अंर्तकलह की आग तेज होती जा रही है। यहां मैहर विधायक और सतना सांसद में इस कदर ठनी हैं कि दोनों एक-दूसरे को देख लेने की धमकी दे रहे हैं। भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने खुले मंच से सतना से भाजपा सांसद गणेश सिंह पर जमकर भड़ास निकाली। सांसद को राक्षस तक कह डाला और उनको मैहर में नहीं घुसने देने की चेतावनी तक दे डाली। वहीं नारायण त्रिपाठी की नसीहत भरी चेतावनी और हमलावर बयानबाजी का जवाब सांसद गणेश सिंह ने मैहर पहुंचकर ही दिया। सांसद ने कहा- कुछ लोगों की आदत बेमतलब भौंकने की होती है। हम भूमिपूजन और लोकार्पण की नहीं समाज बनाने की राजनीति करते हैं। नारायण त्रिपाठी हमें सांसद बनाने की बात करते हैं, लेकिन शायद वो ये भूल गए कि हम न होते तो दूसरी बार वो विधायक नहीं बनते।
उधर, सीएम समन्वय में जुटे
एक तरफ पार्टी में अंतर्कलह बढ़ रहा है, दूसरी तरफ मुख्यमंत्री लगातार बैठकें करके चुनावी तैयारी और समन्वय में लगे हुए हैं। गत दिवस जबलपुर और मालवा-निमाड़ क्षेत्र के जिलों की भाजपा कोर कमेटी की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सभी कार्यकर्ता मनमुटाव भुलाकर चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं। पहला लक्ष्य चुनाव में जीत का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार बनने पर ही कार्यकर्ताओं का भला होगा। यह समय छोटी-छोटी बातों को मुद्दा बनाने की जगह उन्हें नजरअंदाज करने का है। बैठक मुख्यमंत्री आवास में हुई। इसमें इंदौर, जबलपुर, धार, झाबुआ, आलीराजपुर, बुरहानपुर, खंडवा, बड़वानी और खरगोन जिले के प्रभारी मंत्री, लोकसभा सदस्य, विधायक, भाजपा जिलाध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी शामिल हुए। बैठक में पदाधिकारियों ने पार्टी के स्थानीय हालातों के बारे में बताया। कुछ मुद्दों पर पार्टी पदाधिकारियों की नाराजगी थी जिसे मुख्यमंत्री ने दूर किया। उन्होंने हर जिले की अलग-अलग चर्चा की। ताजा घटनाक्रमों के बारे में बात करते हुए कहा कि प्रमुख कार्यकर्ताओं से लगातार संपर्क में रहें।