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कद्दावरों के बंगलों पर पसरा सन्नाटा,किस खेमे से कौन-कौन बना मंत्री

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सीएम मोहन यादव के नवगठित मंत्रिमंडल में बुंदेलखंड से चार विधायकों को जगह मिली हैं। इसमें सागर के अलावा छतरपुर और दमोह से मंत्री बनाए गए हैं। दमोह जिले से दो विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिली है। उधर कद्दावरों के बंगलों पर सन्नाटा पसरा हुआ है।सीएम मोहन यादव की ‘सेना’ अर्थात मंत्रिमंडल में बुंदेलखंड से चार विधायकों को जगह दी गई है। यह संयोग ही कहा जाएगा कि शिवराज सरकार में भी 2020 में बुंदेलखंड से चार मंत्री शामिल थे। नए मंत्रिमंडल में सागर जिले से जहां गोंविंद सिंह राजपूत को सिंधिया मंत्री बनवाने में कामयाब रहे हैं तो वहीं छतरपुर जिले की चंदला विधानसभा से पहली बार के विधायक दिलीप अहिरवार को वीडी शर्मा राज्यमंत्री बनवाने में सफल रहे हैं।

इधर दमोह जिले से दो विधायकों को मंत्री बनने का मौका मिला है। इसमें पथरिया विधायक लखन पटेल और जबेरा विधायक धमेंद्र सिंह लोधी संगठन और संघ की पसंद होने के कारण मंत्री बने हैं।

दिग्गजों को घर बैठा दिया

बुंदेलखंड में भाजपा के कई दिग्गज और कद्दावर नेता मौजूद हैं। शिवराज सरकार के समय बीते 20 सालों से प्रदेश में इनकी तूती बोलती रही है। अब बंगलों पर मायूसी छाई है। समर्थक हताश हो गए हैं। सबसे पहला नाम रहली से 9 बार जीते और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव का है। इन्हें प्रोटेम स्पीकर का झुनझुना पकड़ाकर घर बैठा दिया गया है। इसी प्रकार बुंदेलखंड में दूसरे सीएम कहलाने वाले शिवराज के सबसे नजदीकि व पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह भी मंत्री बनने से वंचित रह गए। दमोह विधानसभा सीट से जीते जयंत मलैया 8 बार के विधायक व पूर्व मंत्री हैं। सत्ता में उन्हें भी भागीदारी नहीं मिली है। पूर्व मंत्री व पन्ना विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह, छतरपुर विधायक और पूर्व मंत्री ललिता यादव, जतारा विधायक व पूर्व मंत्री हरीशंकर खटीक को भी दरकिनार कर दिया गया है।

इनकी किस्मत का सितारा बुलंद

गोविंद सिंह राजपूत, कैबिनेट मंत्री
बुंदेलखंड में गोविंद सिंह राजपूत सबसे चर्चित नाम है। सिंधिया घराने के बेहद करीबी होने के कारण गोविंद को मंत्री बनाने के किए खुद महाराज ने पूरा जोर लगाया था। वे सिंधिया खेमे से होने के कारण ही लगातार तीसरी बार मंत्री बन सके हैं। इसके पहले वे शिवराज सरकार और उसके पहले कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं।

धमेंद्र सिंह लोधी, राज्य मंत्री
दमोह जिले की जबेरा विधानसभा से जीतकर आए विधायक धमेंद्र सिंह लोधी दूसरी बार विधायक बने हैं, हालांकि उन्हें 2018 में भी टिकट दिया गया था। वे लंबे समय से संघ से जुड़े हुए हैं। धमेंद्र सिंह लोधी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपनी राजनीति शुरू की थी।

लखन पटेल, राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार
दमोह जिले की पथरिया विधानसभा ने लखन पटेल पर भरोसा जताया और इस बार भाजपा और संगठन ने लखन पटेल को मंत्री पद से नवाजा है। लखन पटेल भाजपा संगठन और संघ के नजदीक हैं। उन पर किसी नेता के खेमे का होने का ठप्पा नहीं लगा है।

दिलीप अहिरवार, राज्य मंत्री
मोहन यादव कैबिनेट में चांदला से पहली बार जीतकर आए दिलीप अहिरवार भाजपा के जिला उपाध्यक्ष भी हैं। वे भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के करीबी हैं। उन्हीं के चलते टिकट मिल पाया था। जातिगत समीकरणों के चलते उन्हें पहली बार में ही मंत्रीमंडल में शामिल होने का मौका मिला है। बता दें कि दिलीप पूर्व में अनुसूचित जाति मोर्चा में प्रदेश महामंत्री व छतरपुर जिला किसान मोर्चा प्रभारी भी रह चुके हैं।

किस खेमे से कौन-कौन बना मंत्री

 मध्य प्रदेश में भाजपा ने एक बार फिर सबको चौंका दिया है। मोहन यादव सरकार के नए मंत्रिमंडल में कई नए और पहली बार के विधायकों को मौका दिया गया है। इसमें सिंधिया समर्थकों को पर्याप्त स्थान मिला है तो कई शिवराज समर्थकों की छुट्टी कर दी गई है। बता दें कि एमपी में सबसे सीनियर और 9वीं बार के विधायक पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव, 8 बार के विधायक और पूर्व मंत्री जयंत मलैया तो शिवराज सिंह चौहान के सबसे खास माने जाने वाले भूपेंद्र सिंह की छुट्टी कर दी गई है।

एमपी में किसका चला सिक्का, कौन-कौन बने मंत्री

प्रह्लाद सिंह पटेल: मध्य प्रदेश में बड़ा नाम है। मोदी कैबिनेट में शामिल रहे हैं। प्रदेश के अलग-अलग इलाकों से लोकसभा लड़े और जीते। संगठन के भरोसेमंद हैं। पहले सीएम के लिए इनका नाम भी आगे बढ़ाया गया था।

कैलाश विजयवर्गीय: भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, सत्ता-संगठन में बड़ा कद है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नजदीकि हैं। ये इंदौर-1 विधानसभा सीट से जीतकर आए हैं।

राकेश सिंह: सांसद से विधायक बने राकेश सिंह शिवराज सिंह खेमे के माने जाते हैं। वे भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके हैं। संगठन में उनकी अच्छी खासी पकड़ है। भाजपा के समर्पित जनप्रतिनिधियों में शामिल हैं।

विश्वास सारंग: दिवंगत और पूर्व सीएम कैलाश सारंग के बेटे, भाजपा संगठन में अच्छी पकड़ है। शिवराज सिंह चौहान सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे हैं। एबीवीपी की राजनीति से यहां तक पहुंचे हैं।

राकेश शुक्ला: मेहगाांव सीट से विधायक हैं। तीसरी बार चुनाव जीतकर आए हैं। आरएसएस से जुड़ाव के कारण उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिली है।

गोविंद सिंह राजपूत: सागर के सुरखी से पांच बार के विधायक, पहले कांग्रेस में थे। अब भाजपा में दूसरी बार मंत्री बने हैं। वे सिंधिया परिवार के सबसे नजदीकि हैं। इसी कारण सागर जिले से इकलौता चेहरा हैं।

तुलसी सिलावट: सिंधिया समर्थक और 2020 में कांग्रेस छोड़कर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आए थे। कांग्रेस सरकार में भी मंत्री रहे हैं। शिवराज के बाद अब मोहन सरकार में मंत्री हैं।

प्रद्युमन सिंह तोमर: सिंधिया समर्थक हैं। पहले कांग्रेस मे थे। अब भाजपा में आए हैं। शिवराज सिंह चौहान सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं।

चेतन्य काश्यप: रतलाम से विधायक हैं। भाजपा के अंदर काफी चर्चित चेहरा माने जाते हैं। पूर्व में ही उन्होंने बतौर विधायक मिलने वाला मानदेय-वेतन लेने से इंकार कर दिया था। एमपी के सबसे रईस विधायकों में शुमार हैं।

नारायण सिंह कुशवाहा: ग्वालियर दक्षिण से जीतकर आए हैं। चार बार के विधायक हैं। ये ओबीसी वर्ग का चेहरा माने जाते हैं।

संपतिया उइके: भाजपा ने पहली बार के विधायक संपतिया उइके को कैबिनेट में जगह दी गई है। वे हायर सेकेंडरी तक पढ़ी हैं। भाजपा ने उन्हें बतौर आदिवासी चेहरे के रूप में कैबिनेट में शामिल किया है।

विजय शाह: विजय शाह को एमपी में आदिवासी नेता के तौर पर माना जाताा है। वे शिवराज सरकार में भी मंत्री रहे हैं। पार्टी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है।

भाजपा संगठन व संघ ने इन पर भी जताया भरोसा

बतौर कैबिनेट मंत्री मोहन यादव सरकार में शामिल किए गए उदय प्रताप सिंह, करण सिंह वर्मा, इंदर, एंदल सिंह, कंसाना सिंह परमार, निर्मला भूरिया और नागर सिंह चौहान को कैबिनेट में जगह दी गई है। कुल 18 विधायकों को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।

संगठन की सहमति के बाद ये बने स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री

मोहन यादव सरकार में बतौर राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में 6 विधायकों को मंत्री बनाया गया है। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर, दिलीप जायसवाल, लखन पटेल, धर्मेंद्र लोधी, गौतम टेटवाल, नारायण पवार को शामिल

राज्य मंत्री के रूप में यह रहे संगठन की पसंद

मोहन यादव सरकार में 4 राज्यमंत्री भी बनाए गए हैं। इनमें दिलीप अहिरवार, नरेन्द्र शिवाजी पटेल, राधा सिंह, प्रतिमा बागरी शामिल हैं।

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