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प्रदेश सरकार के लिए सिरदर्द बने ये तीन नेता

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भोपाल। कोरोना संक्रमण की महामारी की दूसरी लहर से प्रदेश के उबरते ही अब मप्र में आंदोलन की चेतना ने रफ्तार पकड़ना शुरू कर दिया है। यही वजह है कि अब प्रदेश में कहीं न कहीं से आंदोलन की खबरें आती ही रहती हैं। हालत यह है कि इन दिनों प्रदेश में राजनैतिक रुप से कई आंदोलन तो चल ही रहे हैं साथ ही कई कर्मचारी संगठन भी आंदोलन की राह पकड़े हुए हैं। कोरोना के चलते प्रदेश में बीते एक साल से इन आंदोलनों पर पूरी तरह से बे्रक लगा हुआ था।
वर्तमान में जिन आंदोलनों ने रफ्तार पकड़ रखी है उनमें राजनैतिक रुप से प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के अलावा जयस, भीम आर्मी और किसान आंदोलन शामिल हैं। खास बात यह है कि इन आदोलनों की कमान तीन युवाओं के हाथों में हैं। यह तीनों ही नेता उन जातियों से आते हैं जिन्हें आज भी आर्थिक, राजनैतिक और शैक्षणिक रुप से बेहद कमजोर माना जाता है। खुफिया विभाग के सूत्रों की माने तो इन तीनों ही नेताओं के साथ जो जनसमूह दिखता है उसकी वजह से प्रदेश सरकार भी परेशान बनी हुई है। बीते रोज जिस तरह से कांग्रेस की युवा इकाई ने राजधानी की सड़कों पर प्रदर्शन किया और उसमें पार्टी के कई युवा पूर्व मंत्री शामिल हुए उससे प्रदेश में कांग्रेस की मजबूत विपक्ष की साख बड़ी है। यह बात अलग है कि इस प्रदर्शन को और अधिक धारदार बनाया जा सकता था। कांग्रेस जिस कार्यशैली को अपनाए हुए है उसके बाद भी अगर कांग्रेस के युवा कार्यकर्ता सड़कों पर उतर कर अपनी ताकत दिखा रहे हैं तो यह पार्टी के लिए अच्छी बात मानी जा रही है। वैसे भी प्रदेश में युवक कांग्रेस की कमान जब से विक्रांत भूरिया को सौंपी गई  है, तब से सुप्तावस्था में पहुंच चुका युवक कांग्रेस का संगठन अंगड़ाई लेता नजर आने लगा है।
वे युवक कांग्रेस के शायद पहले ऐसे नेता होंगे जो अब तक प्रदेश के 47 जिलों का न केवल दौरा कर चुके हैं बल्कि लगातार अपने कार्यकर्ताओं के संपर्क में भी बने रहते हैं। उनके दौरों की वजह से कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ने का ही प्रतिफल है कि अब कांग्रेस का यह सहयोगी संगठन पूरी तरह से प्रदेश भर में सक्रिय नजर आने लगा है। दरअसल विक्रांत युवक कांग्रेस के ऐसे नेता है जो न केवल मृदुभाषी हैं बल्कि पढ़े लिखे और बेहद समझदार हैं। वे पेशे से चिकित्सक हैं तो राजनीति उनकी विरासत है। उनके पिता कांती लाल भूरिया वर्तमान में न केवल विधायक हैं, बल्कि यूपीए सरकार में केन्द्रीय मंत्री रहने के अलावा कई बार सांसद रह चुके हैं। उनके पिता की पहचान इसके अलावा एक बड़े आदिवासी नेता के रुप में भी होती है। खास बात यह है कि अपनी चिकित्सा शिक्षा की पढ़ाई के समय ही विक्रांत छात्र राजनीति में आ गए थे, जिसकी वजह से वे जूडा के भी अध्यक्ष रहे हैं।
छात्र राजनीति में रही उनकी सक्रियता अब उनके लिए बेहद मददगार बनी हुई है। भूरिया द्वारा जिस तरह से सक्रियता दिखाई जा रही है उसकी वजह से उनका संगठन अब असरकारक बनता जा रहा है। यही वजह है कि अब जब भी किसी मैदानी दौरे पर हों या फिर आंदोलन की राह पर उनके साथ भीड़ नजर आने लगती है। इसका बड़ा उदाहरण है बीते रोज भोपाल की सड़कों पर किया गया आंदोलन। ऐसा बहुत ही कम देखने को मिला है जब भोपाल में युवक कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर जिला व पुलिस प्रशासन को भारी मात्रा में बंदोबस्त करने पड़े हों और खुद डीआजी को सुरक्षा की कमान सड़क पर उतरकर संभालनी पड़ी हो। शहर में हुए युवा कांग्रेस के प्रदर्शन के बाद हबीबगंज पुलिस ने 2500 कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज किया है। इसमें युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीवी श्रीनिवास, युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया, जयवर्धन सिंह, कुणाल चौधरी व नरेंद्र उर्फ गोलू को नामजद आरोपी बनाया है। यही नहीं अगर पुलिस अधिकृत रुप से तीन हजार कार्यकर्ताओं के आंदोलन में शामिल होने की बात कह रही है तो मान लिया जाना चाहिए कि इसमें कम से कम पांच हजार से अधिक कार्यकर्ता शामिल थे। अच्छी बात यह है कि उनके इस आंदोलन को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन का भी पूरे समय साथ मिलता रहा।
 दूसरे नेता जयस के संस्थापक सदस्य और कांग्रेस के विधायक हीरा लाल अलावा हैं। उनके संगठन का तेजी से मालवा निमाड़ अंचल के इलाके में प्रभाव बढ़ा है। उनका संगठन भी इन दिनों आंदोलन की राह पकड़े हुए है। महू में किए गए आंदोलन में जिस तरह से भीड़ उमड़ी उसे देखकर सभी हतप्रभ रह गए। यह आदिवासी समाज का मूल रुप से संगठन है। इसका प्रभाव इससे ही समझा जा सकता है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को हीरा लाल अलावा को पार्टी से प्रत्याशी बनाना पड़ गया था। इसका फायदा भी कांग्रेस को विधानसभा के चुनावों में मिला था। इस संगठन का प्रभाव खंडवा लोकसभा के तहत आने वाली लगभग आठों विधानसभा सीटों पर है। यह वह लोकसभा की सीट है जिस पर जल्द ही उपचुनाव होना है। इस सीट पर जयस अपने उम्मीदवार को उतारने की पूरी तैयारी में है।
तीसरे नेता हैं भीम आर्मी के उप्र के चन्द्रशेखर आजाद उर्फ रावण। हाल ही में उनके द्वारा मालवा अंचल के उन्हैल से लेकर उज्जैन तक रैली निकाली गई थी, जिसमें पूरे समय हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। इस रैली में जुटी भीड़ को देखकर खुफिया विभाग द्वारा जो रिपोर्ट सरकार को दी गई है उससे सरकार के कान खड़े हो गए हैं। दरअसल रावण की पार्टी से बड़ी संख्या में लोग जुड़ रहे हैं। यह बात अलग है कि उनकी अर्मी से जुड़ने वाले लोगों में वह लोग हैं जो कभी बसपा के साथ खड़े रहते थे। इनके द्वारा भी पूरी तरह से बसपा की ही तरह दलित राजनीति को आगे बढ़ाए जाने के प्रयास पूरे देश में किए जा रहे हैं। उज्जैन का इलाका अनुसूचित जाति बाहुल्य माना जाता है।
इनके संगठन का भी प्रदेश में तेजी से गठन किया जा रहा है।

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