*मध्य प्रदेश के संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान संगठनों की बैठक में हुआ फैसला*
*किसान पंचायत के आयोजन में अड़ंगा लगाना बंद करे केंद्र सरकार*
*संयुक्त किसान मोर्चा*
संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान संगठनों की आज ऑनलाइन बैठक संपन्न हुई। बैठक में किसान संगठनों के नेताओं ने बताया कि 20 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में सुबह 10 बजे से शुरू होने वाली किसान महापंचायत में शामिल होने को लेकर जिला स्तर पर तैयारियां जारी है।
बैठक में डॉ सुनीलम ने बताया कि केंद्र सरकार का किसानों के प्रति अड़ियल रवैया बना हुआ है। पिछली बार किसानों ने रामलीला मैदान मांगा था, तब नहीं दिया गया। किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर रोक दिया । जिसके चलते 380 दिन आंदोलन चला 715 किसानों की शहादत हुई।
अब की बार संयुक्त किसान मोर्चा ने जंतर मंतर- संसद मार्ग पर 20 मार्च को किसान महापंचायत करने की अनुमति चाही थी लेकिन दिल्ली पुलिस द्वारा रामलीला मैदान आवंटित किया गया है, वह भी सीमित समय, सीसीटीवी की निगरानी और किसानों की सघन जांच की शर्तों के साथ ,जो किसानों को मंजूर नहीं है।
डॉ सुनीलम ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा का प्रतिनिधिमंडल पुनः दिल्ली पुलिस के उच्च अधिकारियों से जल्द ही बातचीत करेंगा।
डॉ सुनीलम ने बताया कि 20 मार्च को संकिमो द्वारा भावी किसान आंदोलन की घोषणा की जाएगी।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 380दिन बाद संयुक्त किसान मोर्चा को जो लिखित आश्वासन दिए थे, उन्हें अभी तक पूरा नहीं किया गया है इस कारण किसानों द्वारा दिल्ली में किसान महापंचायत की रही है।
डॉ सुनीलम ने कहा कि आम बजट में किसानों के साथ भेदभाव पूर्ण नीति अपनाई गई है। बढ़ती महंगाई के साथ किसानों की लागत बढ़ जाने तथा महंगाई के अनुपात में समर्थन मूल्य नहीं दिए जाने के कारण किसानों की आय दोगुनी होना तो दूर, उन्हें न्यूनतम आवश्यकताएं पूरी करने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कृषि पर संसदीय समिति ने चिंता व्यक्त की है कि बजट में आवंटित राशि से 28 प्रतिशत कम राशि पिछले 10 वर्ष में खर्च की गई है।
मध्यप्रदेश के किसान नेताओं ने बैठक में बताया कि गेहूं का दाम अचानक 3300 से लुढ़ककर 2000 रूपये प्रति क्विंटल के निचले स्तर पर पहुंच जाना, हाल ही में आंधी तूफान अतिवृष्टि से लगभग 20 जिले की फसलें नष्ट होने के बावजूद मुआवजा और फसल बीमा नहीं दिए जाने, सभी कृषि उत्पादों की समर्थन मूल्य (सीटू+50%) पर खरीद की कानूनी गारंटी, सम्पूर्ण कर्जा मुक्ति, बिजली संशोधन विधेयक 2022 की वापसी, लखीमपुर खीरी में किसानों व पत्रकार के नरसंहार के आरोपी केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी, किसान कल्याण योजना एवं प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की केवल 25% किसानों को ही राशि मिलने, प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की फसल बर्बाद होने पर शीघ्र क्षतिपूर्ति के लिए व्यापक एवं प्रभावी फसल बीमा योजना, सभी मध्यम, छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों को प्रति माह 5,000 रुपये की किसान पेंशन, किसान आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज सभी झूठे मामलों की वापसी, किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान करने, कृषि भूमि के अधिग्रहण पर रोक लगाने, बिजली कटौती और बिजली बिल की जबरन वसूली आदि मुद्दों को लेकर बड़ी संख्या में किसान दिल्ली पहुंचेंगे।
बैठक में अखिल भारतीय किसान सभा के जसविंदर सिंह, संयुक्त किसान मोर्चा, रीवा से एडवोकेट शिव सिंह, किसान संघर्ष समिति की उपाध्यक्ष एड. आराधना भार्गव, सागर से भारतीय किसान श्रमिक जनशक्ति यूनियन के अध्यक्ष संदीप ठाकुर, छतरपुर से किसान क्रांति के अध्यक्ष दिलीप शर्मा, सिवनी से संयुक्त किसान मोर्चा से डीडी वासनिक, बड़वानी -धार जिले से नर्मदा बचाओ आंदोलन के मुकेश भगोरिया, भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव, अखिल भारतीय किसान महासभा (अजय भवन) के प्रहलाददास बैरागी, खुदाई खिदमतगार से कृपाल सिंह मंडलोई, सीधी- सिंगरौली से निसार आलम अंसारी, छतरपुर से अमित भटनागर आदि शामिल हुए। किसान नेताओं ने प्रदेश के अधिक से अधिक किसानों से किसान महापंचायत में शामिल होने की अपील की ।